- रिवर्स गियर के यूज में वाहन चालक कर जाते हैं चूक

- आरटीओ में भी ड्राइविंग टेस्ट के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

-चार दिन पहले गाड़ी बैक करने के दौरान हुआ हादसा, जमकर हुआ बवाल

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KANPUR

क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग कार ड्राइव करते हैं उनमें से कितनों को ठीक से गाड़ी बैक करना आता है। बात छोटी सी है पर बहुत अहम है। ज्यादातर लोग रिवर्स गियर में ड्राइविंग के मामले में सहज नहीं होते और उन्हें गाड़ी बैक करते समय परेशानी होती है। यही परेशानी अक्सर झगडे़ का सबब बन जाती है जैसा इसी हफ्ते गूबा गार्डेन चर्च में हुआ। कार सीखते समय बरती गई छोटी सी लापरवाही लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ जाती है। गाड़ी बैक करते वक्त कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। शॉकिंग फैक्ट ये है कि इसके बावजूद आरटीओ में होने वाले कार ड्राइविंग टेस्ट में रिवर्स गियर पर लोगों की ड्राइविंग चेक नहीं की जाती है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने आरटीओ ऑफिस में ड्राइविंग टेस्ट की पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई।

यहां पहले गियर में हो जाता है टेस्ट

आई नेक्स्ट रिपोर्टर दोपहर क् बजे आरटीओ ऑफिस पहुंचा। यहां रिपोर्टर ने देखा कि व्यवसायी मनीष दीक्षित ड्राइविंग टेस्ट देने आए थे। मनीष ने एक टायर के पास कार खड़ी की। तब तक टेस्ट लेने के लिए आरआई भी पहुंच गए। मनीष ने मुश्किल से भ्0 मीटर की दूरी तक कार चलाई ही थी कि पीछे से आरआई ने हाथ दिखाकर कह दिया। ओके-ओके। सबसे खास बात तो ये रही कि मात्र पहले गियर में ही कार ड्राइविंग का टेस्ट हो गया। दूसरा गियर लगाने की जरुरत ही नहीं पड़ी। रिवर्स गियर लगाना तो बहुत दूर की बात है। वहीं थोड़ी देर बाद गोविंद नगर निवासी ममता वर्मा ड्राइव टेस्ट देने के लिए आईं। उन्होंने दोनों टायरों की दूरी तो तय की, लेकिन रिवर्स गियर में कार उन्होंने भी नहीं चलाई।

टेस्टिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए होने वाली टेस्टिंग का हाल देखा तो दंग रह गया। आरटीओ ऑफिस के ड्राइव टेस्ट के हाल देखकर सिटी में बदहाल ड्राइविंग का कारण भी समझ में आ गया। आरटीओ ऑफिस में टेस्टिंग सिर्फ दो टायरों के बीच होती है। जिनकी दूरी क्00 मीटर भी नहीं होती है। इन दो टायरों के बीच कार को एक बार चलाना होता है। वो भी टेस्ट ले रहे आरआई साहब का मन किया तो, नहीं तो बस चार कदम चलाई और हो गई टेस्टिंग। रिवर्स गियर पर तो कार चलाकर देखी ही नहीं जाती। ऐसे में सिटी में दौड़ रही कारों से ट्रैफिक सेफ नहीं है।

टेस्टिंग ट्रैक की दरकार

आरटीओ ऑफिस के अधिकारियों के मुताबिक उन्हें ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की दरकार है। जिसके लिए शासन से डिमांड भी की जा चुकी है, लेकिन अभी तक शासन की ओर से सहमति नहीं मिली है। अधिकारियों का कहना है कि टेस्टिंग ट्रैक में ड्राइवर का सही तरह से टेस्ट हो जाएगा। वैसे ड्राइविंग टेस्ट में क्वालिटी लाना मुश्किल होता है। आरटीओ नियमों के मुताबिक प्राइवेट फोर व्हीलर चलाने का लाइसेंस इस टेस्ट के आधार पर मिल जाता है, लेकिन कामर्शियल वाहनों के लाइसेंस में रजिस्टर्ड मोटर ड्राइविंग स्कूल का सर्टिफिकेट लेना जरुरी होता है।

ड्राइविंग सर्टिफिकेट के नाम पर भी खेल

सूत्रों के मुताबिक ड्राइविंग सर्टिफिकेट में भी खेल चलता है। आरटीओ ऑफिस परिसर के बाहर तमाम ऐसे दलाल घूमते रहते हैं, जो भ्00 रुपये लेकर फर्जी सर्टिफिकेट बनाते हैं।

क्या है ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक

ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक गुजरात की तरह सिटी में बनाया जाना है। इसको बनाने की कीमत करीब 8 लाख रुपए आएगी।

- ये अंग्रेजी अल्फाबेट के 8 की शेप में होता है।

- कार का टेस्टिंग ट्रैक ख्00 मीटर के सरफेस में बनता है। टेस्टिंग के समय इसमें ख् राउंड कार चलती है।

- हैवी व्हीक‌र्ल्स का टेस्टिंग ट्रैक 800 मीटर के सरफेस में बनता है। टेस्ट के दौरान ख् बार चलना पड़ता है।

- ट्रैक में वाहन राइट, लेफ्ट, अप, डाउन, रिवर्स में कई एंगल में मूव करती है।

- ट्रैक में हिडेन कैमरे भी लगे होंगे। - रिवर्स गियर का इस ट्रैक में चार पर टेस्ट होता है।

- इसमें ऑटोमेटिक सेंसर फिट होते हैं। जो गलत ड्राइव पर इंडीकेट कर देते हैं।

- रिवर्स गियर पर कार का पहिया 90 डिग्री के डाइमेंशन में घूमता है।

दूसरे राज्यों में मार्डनाइज्ड टेस्टिंग ट्रैक

देश में गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में मार्डनाइज्ड टेस्टिंग ट्रैक हैं। जिनमें ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आने वाले एप्लीकेंट का टेस्ट लिया जाता है। रिवर्स गियर में कार चलाने के तीन बार टेस्ट लिए जाते हैं। जिसमें गड़बड़ी होने पर लाइसेंस भी नहीं मिलता है। जिन कुछ सिटीस में टेस्टिंग ट्रैक नहीं है। वहां पर रिवर्स गियर का टेस्ट काफी सावधानी से किया जाता है।

ऐसे करें कार बैक

कार ड्राइविंग सिखाने वाले महेंद्र सिंह ने बताया कि जितना जरुरी कार चलाना है। उससे ज्यादा जरुरी कार को रिवर्स गियर पर चलाना होता है। अच्छे से अच्छा कार ड्राइवर कार को बैक करने में धोखा खा जाता है। कार को बैक करते समय ध्यान रखें।

- बैक मिरर में कार का पीछे वाला शीशा पूरी तरह दिखाई देता हो। जिस तरह से कार आगे वाले शीशे से साइड का अंदाजा लगाकर चलाई जाती है। उसी तरह बैक भी की जाती है।

- साइड मिरर को पहले देख लें। सिर पीछे करके कार बैक करना गलत है।

- जिस तरह से खुले मैदान में कार चलाना सीखा जाता है। उसी तरह से कार बैक करना भी सीखें।

- कार बैक करने की प्रैक्टिस हमेशा ऐसे मैदान में करनी चाहिए। जिसमें पेड़ हों। ताकि रिवर्स में कार चलाते समय कार को काटने का अंदाजा लग जाए।

ये हैं अच्छे विकल्प

- कार में रिवर्स कैमरा लगा लें। इससे पीछे की स्थिति स्पष्ट हो जाती है।

- आजकल कार में सेंसर लगे हुए आते हैं। ये सेंसर रिवर्स गियर लगाते ही एक्टिव हो जाते हैं। बैक मिरर पर पीछे का कैमरा चलने लगता है। वहीं कार के रास्ते में आने वाली हर वस्तु से दूरी भी मिरर में दिखने लगती है। इससे कार बैक करना काफी आसान हो जाता है। बाजार में ये सेंसर भी उपलब्ध हैं।

आंकड़े कहते हैं कि

कार - 8ख्भ्000

बस व ट्रक- 7ख्ब्000

फोर व्हीलर्स ड्राइविंग लाइसेंस- ख्फ्987भ्7

कामर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस- क्9भ्ब्79फ्

रोज आने वाले फोर व्हीलर्स लाइसेंस आवेदक- 7भ्(औसत)

रोज आने वाले कामर्शियल व्हीलर्स लाइसेंस आवेदक- फ्0(औसत)

कार बैक करना बनी विवाद की वजह

- कल्याणपुर गूबा गार्डेन में एक पादरी का कार बैक करने में इलाके के युवकों से विवाद हुआ। पादरी के घर पर तोड़-फोड़ हुई।

- पिछले माह शास्त्री नगर में एक पुलिस कर्मी के घर पर भी कार बैक करने के चक्कर में पड़ोसी से विवाद हुआ।

- पिछले माह चमनगंज में कार बैक कर रहे युवक ने गुमटी को तोड़ा।

- घुमनी बाजार में कार बैक करने पर दो पक्ष भिड़े।

- मिलन गेस्ट हाउस में कार बैक करने में युवक ने युवती को टक्कर मारी। युवती गंभीर रूप से घायल।

वर्जन:

ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की डिमांड शासन से की गई है। टेस्टिंग ट्रैक होने के बाद टेस्ट अच्छी तरह से हो पाएंगे।

- एसके सिंह, एआरटीओ

Posted By: Inextlive