अमरीका की टाइम पत्रिका की तर्ज पर भारत की आउटलुक पत्रिका ने अपने आगामी अंक में राष्ट्रपति बराक ओबामा की तस्वीर पहले पन्ने पर छापकर उन्हें 'अंडर-अचीवर' यानी ऐसा नेता बताया है जो उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है.

टाइम पत्रिका ने अपने 16 जुलाई के अंक में लिखा था कि 'इंडिया नीड्स ए रीबूट' यानी भारत को नयी शुरुआत की जरूरत है। टाइम पत्रिका ने ये सवाल भी उठाया था कि क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसके लिए योग्य हैं,

बिल्कुल इसी तर्ज पर आउटलुक ने लिखा है कि 'अमेरिका नीडेड ए रीबूट' यानी अमरीका को नयी शुरुआत की जरूरत है। आउटलुक आगे लिखता है कि ओबामा ने बदलाव लाने का वादा किया था, लेकिन चार वर्ष हो गए हैं और ओबामा की चमक चली गई है.

दोनों पत्रिकाओं के बीच इस 'छद्म-युद्ध' ने ट्विटर पर एक नई बहस छेड़ दी है। ये सवाल भी उठाया जा रहा है कि भारत में और मुद्दे भी हैं जो आउटलुक के 'कवर-पेज' पर जगह पा सकते थे, ऐसे में ओबामा को 'अंडर-अचीवर' बताकर उनकी तस्वरी पहले पन्ने पर छापने की क्या जरूरत थी।

'बचकानी हरकत'

ट्विटर पर अपने विचारों का इज़हार करने वाले कई लोगों को लगता है कि आउटलुक की ये 'बचकानी' हरकत है और 'जैसे के लिए तैसा' प्रतीत होती है। अभिनव साहनी ट्विटर पर अपने संदेश में सवाल दागते हैं, ''बराक ओबामा को अंडरअचीवर बताते हुए आउटलुक ने जो कवर-स्टोरी की है, क्या उसे वाकई गंभीरता से किया गया है, यदि हां तो ये एकदम बचकाना है.''

इसी तरह विक्रम हेगड़े ने ट्वीट किया है, ''आउटलुक ने ओबामा को अंडरअचीवर कहा है। जब मैं छह साल का था, तब यही खेल खेलता था। जब कोई मुझे गधा कहता था तो मैं भी उसे गधा कहता था.''

'रियल अंडरअचीवर'कई लोगों ने सीधे-सीधे आउटलुक पर ही निशाना साधा है। जैसे सौविक बसु ने ट्वीट किया है, ''आउटलुक पत्रिका का प्रसार और इसके पाठकों की संख्या सही मायने में अंडरअचीवर है.'' इसी तरह रत्नाकर सदासियूला ने ट्वीट किया है, ''ओबामा को अंडरअचीवर बताकर आउटलुक ने टाइम से बदला लिया है.''

खुद को आलोचक और समीक्षक बताते हुए एक व्यक्ति ने ट्वीट किया है, ''अंडरअचीवर वाला कवर पेज बनाकर मुझे लगता है कि आउटलुक ने अपने सत्य की खोज कर ली है कि क्यों उसे कॉमेडी मैगजीन कहा जाता है.''

वहीं भारती सिंह ने ट्वीट किया है, ''क्या ओबामा वाकई अंडरअचीवर हैं। इसमें कुछ हकीकत है.'' ट्विटर पर कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनका कहना है कि आउटलुक ने ओबामा को अंडरअचीवर बताया है तो ये पूरी तरह से गलत भी नहीं है।

नाम्बिराजन ने ट्वीट किया है, ''ओबामा को लेकर आउटलुक पर जो कवरपेज है, इसमें कुछ सच भी है, सच नहीं होता तब ये बचकाना हरकत लगती.'' इसी तरह अंकुर अभिषेक ट्विटर पर लिखते हैं, ''आउटलुक ने ओबामा को अंडरअचीवर बताया है तो ये जैसे के साथ तैसा वाली बात नहीं है। ये सच है कि ओबामा कई मोर्चों पर विफल रहे हैं.''

'कसाब को बिरियानी खिलाई'ट्विटर पर कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने टाइम और आउटलुक के बहाने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मज़ाक उड़ाया है। प्रख्यात राय ट्वीट करते हैं, ''ओबामा ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया, मनमोहन सिंह ने मुंबई पर हमला करने वाले कसाब को बिरियानी खिलाई। ओबामा तो उन्मादी हैं और मुझे लगता है कि भारतीय लोग देशभक्त होते हैं, लेकिन हम सब जानते हैं कि मनमोहन सिंह कितने काबिल हैं.''

'फ्रंट पेज पर क्यों छापा'

टाइम की तर्ज पर आउटलुक की स्टोरी भारतीय मीडिया में भी सुर्खी बटोर रही है। एनडीटीवी और वनइंडिया न्यूज ने इसे तथ्यात्मक बताया है। वहीं दैनिक भास्कर की न्यूज वेबसाइट ने सवाल पूछा है कि क्या भारत के लोग ओबामा के राष्ट्रपति-काल का व्यापक विश्लेषण चाहते हैं जो आउटलुक ने इसे कवर स्टोरी बनाकर छापा है, जबकि कवर-स्टोरी के हिसाब से और भी खबरें थीं।

दैनिक भास्कर ने ओबामा पर आउटलुक की कवर स्टोरी को एक स्टंट बताते हुए लिखा है कि किसी और घरेलू स्टोरी को कवर स्टोरी बनाने पर इतना 'पीआर-माइलेज' नहीं मिलता जितना ओबामा की कवर स्टोरी को मिला है।

Posted By: Inextlive