-जयंती पर याद किए गए संथाली भाषा की लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू

-हटिया के कम्युनिटी भवन में जयंती समारोह, करम गुरु मोती हांसदा ने रखे विचार

RANCHI: संताल वेलफेयर एसोसिएशन झारखंड की ओर से गुरुवार को हटिया रेलवे कॉलोनी स्थित सामुदायिक भवन में संथाली ओलचिकी के निर्माता पंडित रघुनाथ मुर्मू की 112वीं जयंती मनाई गई। मुख्य वक्ता समाज के करम गुरु मोती हांसदा ने कहा कि झारखंड में भी ओलचिकी लिपि में पढ़ाई होनी चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार को प्रयास करना चाहिए। इस लिपि के विकास से समाज को पहचान और आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। यदि इस लिपि को आगे बढ़ाने में सरकार विफल होती है, तो इसके लिए समाज के प्रबुद्ध लोग तैयार रहें और अपने स्तर पर कार्य शुरू करते हुए इसका विकास करें।

आदिवासी संस्कृति को बचाएं

विशिष्ट अतिथि प्रेमचंद्र मुर्मू ने कहा कि आदिवासी भाषाओं विशेषकर संथाली भाषा की अपनी ही विशेषता है, क्योंकि इन भाषाओं के एक ही शब्द से व्यक्ति क्या कहना चाह रहा है, उसका बोध हो जाता है। साथ ही आदिवासियों की संस्कृति पहचान का आधार है। उन्होंने कहा कि हमारे आदिवासी समाज में जो नृत्य-संगीत होते हैं, उसमें सामूहिकता होती है। इसमें मां-पिता, भाई-बहन व पूरा परिवार शामिल होता है। ऐसी संस्कृति किसी गैर आदिवासी समाज में देखने को नहीं मिलती है। यह आदिवासी समाज की खास विशेषता है। आज हमें इस पहचान को बचाए रखने की जरूरत है। जरूरी है कि हम अपनी बुनियादी परंपरा को न छोड़ें। इस दौरान रंगारंग संथाली सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वागत भाषण एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भोला नाथ टुडू व धन्यवाद ज्ञापन सचिव एमएम मुर्मू ने दिया। मौके पर भोला सोरेन, राजेश टुडू, काशीनाथ मुर्मू, निर्मल मुर्मू, भीमसेन हेंब्रोम सहित कई लोग उपस्थित थे।

Posted By: Inextlive