पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री एक बार फिर मुसीबत में फंस गए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में उर्दू के बजाय अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करना उनके लिए मुसीबत बन गया है। अब उनके देश में ही उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई है। हालांकि पाकिस्‍तान के पीएम इस मामले में अभी तक पूरी तरह से चुप्‍पी साधे हैं।


फैसले का भी अपमान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में उर्दू के बजाय अंग्रेजी भाषा का प्रयोग क्या किया कि मुसीबतों में फंस गए हैं। पूरे पाकिस्तान में उनके इस कदम की आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है देश के प्रधानमंत्री होने के बाद वे ही अपने देश की भाषा उर्दू की अवहेलना कर रहे हैं। वह संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में उस समय अंग्रेजी में भाषण दे रहे थे जब बाकी देशों के प्रतिनिध अपनी राष्ट्रभाषा में ही भाषण दे रहे थे। उन्होंने पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा का ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के 8 सितंबर के एक फैसले का भी अपमान किया है। जिसके चलते याची जाहिद गनी ने  उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। हालांकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की ओर से इस मामले पर अभी कोई बयान नहीं आया है।
पालन नहीं कर अपराध


याची जाहिद गनी का कहना है कि अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के 8 सितंबर के एक फैसले सुनाया था। जिसमें कहा था कि केंद्र और प्रांतीय सरकारों को आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उर्दू भाषा का इस्तेमाल करना जरूरी है। इसके बाद से इसका कड़ाई से पालन कराने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री शरीफ ने अदालत के फैसले का पालन नहीं कर अपराध किया है। इसके साथ ही गनी का यह भी कहना है कि यह नवाज शरीफ ने जानबूझ कर किया है,क्योंकि वहां मौजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी राष्ट्रभाषा में ही भाषण दिया। इसके अलावा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी, क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी भी अपनी भाषा में ही भाषण दे रहे थे।

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Posted By: Shweta Mishra