पाकिस्तान में लोगों को झूठे मामले में फंसाकर सजा दिलाने का एक पुराना इतिहास है। अब इसके खिलाफ एक महिला ने आवाज उठाई है।

कराची (रॉयटर्स) रानी बीबी नाम की एक पाकिस्तानी महिला की बचपन में ही शादी हो गई थी और वह अपने पति की हत्या के झूठे आरोप में लगभग 20 सालों तक जेल में रहीं। हालांकि, अब रानी जेल से रिहा हो गईं है और फिलहाल अपने देश में उन हजारों लोगों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं, जो झूठे आरोप में कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद जेल की सजा काट रहे हैं। बता दें कि बीबी केवल 13 साल की थीं जब पुलिस ने उन्हें उनके पति को मारने के लिए गिरफ्तार किया था, जिन्हें वह एक अच्छे आदमी के रूप में याद करती हैं। उनके माता-पिता और उनके भाई को भी गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया क्योंकि वे सभी आखिरी व्यक्ति थे, जिन्होंने जोड़े साथ में देखा था। दरअसल, दोनों पति-पत्नी परिवार से मिलने के लिए घर पर गए थे।

2001 में सुनाई गई थी सजा

बीबी के पति का मृत शरीर उनके घर से लगभग 25 मील दूर एक अन्य घर में दफन पाया गया था। मेडिकल टेस्ट से पता चला कि उनके सिर पर किसी बड़े हथियार से हमला किया गया था। उन्होंने उस अपराध के लिए अगले 19 साल जेल में बिताए, जिसे उन्होंने किया ही नहीं था। जेल में उन्होंने सैकड़ों कैदियों के लिए खाना पकाया और साथ ही फ्लोर की सफाई समेत तमाम कठिन काम किए। 35 वर्षीय बीबी ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मैंने कड़ी मेहनत की है।' बता दें कि 2001 में उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई लेकिन 2017 में, लाहौर उच्च न्यायालय ने उन्हें सबूतों की कमी के आधार पर रिहा कर दिया और माफी मांगी। हालांकि, उनकी रिहाई ने एक नई लड़ाई की शुरुआत का संकेत दिया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय करार के लिए एक हस्ताक्षरकर्ता है। यह 1966 में अमेरिकी महासभा द्वारा अपनाई गई एक संधि है, जो गलत सजा के पीड़ितों के मुआवजे के अधिकार की गारंटी देती है।

कोर्ट से मुआवजे की मांग

मार्च में, फाउंडेशन फॉर फंडामेंटल राइट्स (एफएफआर) बीबी के लिए काम करने वाले वकीलों के एक समूह ने पंजाब सरकार से 'न्याय का खून' करने के लिए एक याचिका दायर कर मुआवजे की मांग की। उन्होंने पाकिस्तान में गलत सजा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार से नया कानून बनाने को कहा, जहां बीबी की तरह हजारों और मामले होने की संभावना है। एक 2019 की रिपोर्ट में, समूह ने कहा कि 2010 और 2018 के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाई गई 310 मृत्युदंड मामलों में, मौत की सजा पाने वाले लगभग पांच कैदियों में से दो को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था। हालांकि, बीबी ने कोई स्पेशल राशि नहीं मांगी है, उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मुआवजा उन्हें एक नया बिस्तर, कंबल और लिनन, एक वॉशिंग मशीन, एक आयरन और एक स्टोव खरीदने में मदद करेगा क्योंकि उनके पास इस वक्त कोई भी सामान नहीं है।

Posted By: Mukul Kumar