घर से ही तैयार हो रहे बच्चे

देश के भविष्य के हाथ में कटोरा

आगरा। जहां पर देश के बेहतर विकास के लिए बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने की बात की जाती है। करोड़ों रुपया भविष्य निर्माण के नाम पर खर्च कर दिया जाता है। सरकार द्वारा तमाम योजनाएं बनाई जाती है लेकिन मामला ढाक के तीन पात ही रहता है। योजनाओं के मुताबिक जिन हाथों में किताबें होनी चाहिए उन हाथों में कटोरा होता है और यह कटोरा और कोई नहीं बल्कि उनके परिजन ही उन्हें पकड़ाते हैं। चाइल्ड लाइन के रेस्क्यू में ऐसे कई बच्चे पकड़े गए हैं जो सड़कों पर भीख मांगते पाए गए। हाल ही में भीख मांगने गए एक बच्चे के द्वारा मोबाइल चोरी का मामला प्रकाश में आया है।

परिजनों ने बना रखा है बिजनेस

चाइल्ड लाइन के मुताबिक यह ऐसे परिवार होते हैं भीख मांगना जिनकी मजबूरी नहीं बल्कि घरेलू व्यापार है। वह अपने बच्चों का भविष्य खुद ही खराब कर रहे हैं। खुद भी भीख मांगते हैं बच्चों को भी यही ट्रेनिंग देते हैं। बच्चे सुबह से घर से निकल जाते हैं और शाम तक तीन सौ से लेकर चार सौ रुपये तक घर में लाते हैं।

दिन के हिसाब से बदल जाते भगवान

भीख मांगने वाले बच्चों के लिए उनके परिजन दिनों को मैनेज करके रखते हैं। कौन से दिन किसे कहां भेजना है यह परिजन तय करते हैं। गुरुवार को अल्ला तो अन्य दिनों में राम के नाम पर भीख मांगी जाती है। दिनों के हिसाब से मंदिरों पर बच्चों की भीड़ देखी जा सकती है। सिटी के कुछ प्रमुख मंदिर जहां पर अक्सर बच्चे पाए जाते हैं उनमें रावली मंदिर, साई मंदिर, काली देवी मंदिर आदि हैं।

रेसक्यू में पकड़े थे बच्चे

चाइल्ड लाइन के नरेंद्र परिहार ने बताया कि वर्ष 2011-12 में बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ रेस्क्यू चलाया गया था। उस दौरान करीब 20 से 25 बच्चों को पकड़ा गया था। इसी वर्ष पुलिस के साथ मिल कर रेस्क्यू चलाया। उस दौरान 10 से 15 बच्चों को पकड़ा था। सभी बच्चों को पंचशील आश्रय गृह भिजवाया गया था। अधिकतर बच्चों की उम्र दस वर्ष से कम थी।

इन्होंने भी चलाया था रेस्क्यू

क्वालिटी इंस्टीट्यूशनल केयर एण्ड ऑल्टरनेटिव फॉर चिल्ड्रन के पश्चिमी उप्र के रीजनल कोऑर्डीनेटर नरेश पारस ने बताया कि 2014 में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के साथ किए गए रेस्क्यू के माध्यम से दो बार चलाए गए अभियान में एमजी रोड, बिजली घर, आगरा कैंट आदि स्थानों से 60 से 70 बच्चे को पकड़ा था। यह रेस्क्यू जून, जुलाई में चला था।

भीख मांगने के आसान होते बच्चे

नरेंद्र परिहार के मुताबिक बच्चों से भीख मंगवाना आसान होता है क्योंकि बड़े लोगों को भीख दे या न दे लेकिन बच्चों का लोग अधिकतर भीख दे ही देते हैं। हर बच्चे का भीख मांगने का अपना-अलग तरीका होता है। बच्चे गंदे कपड़े पहनते हैं। भीख मांगते हुए लोगों से चिपकना चाहते हैं। बचते हुए लोग पैसे देकर पीछा छुड़ा लेते हैं।

गरीबी उनका हथियार

वैसे तो यह लोग खुद को गरीब बोलते हैं। सरकार द्वारा इनको गरीबी रेखा के अंतर्गत मकान भी दिए जाते हैं लेकिन यह लोग इतने चालाक होते हैं कि अपने मकानों को किराए पर उठा कर झोपड़ी में रहना पसंद करते हैं। क्यों कि यह गरीबी ही इनका हथियार है। यदि इनकी पर्सनेलिटी बदल गई तो इनका भीख मांगने का बिजनिस ठप हो जाएगा।

भविष्य के अपराधी हो रहे तैयार

नरेश पारस के मुताबिक बच्चों के अंदर भिक्षा वृत्ति के साथ-साथ अपराध भी पनप रहा है। बच्चे घर से ही अपराध की शिक्षा ले रहे हैं। हाल ही में हुए थाना जगदीशपुरा के मामले में प्रकाश में आया कि किशोर द्वारा चोरी किया गया मोबाइल उसके पिता ने ही बेच दिया। ऐसे में बच्चों का भविष्य पूरी तरह से गर्त में समा रहा है। भविष्य के अपराधियों को तैयार किया जा रहा है।

कानूनन अपराध है भीख मंगवाना

चाइल्ड लाइन के नरेंद्र परिहार का कहना था कि बच्चों से भीख मंगवाना कानूनन अपराध है। इसके लिए किशोर अधिनियम की धारा-24 बनी हुई है। इस धारा के मुताबिक यदि दोषी पाए जाने पर एक साल की सजा या जुर्माना या दोनो हो सकते हैं। लेकिन परिजनों को इसकी चिंता नहीं। बच्चे जब भी पकड़े जाते हैं उनके परिजन आस पास ही मौजूद होते हैं। बच्चों के आश्रम पहुंचते ही वह भी पहुंच जाते हैं और रिक्वेस्ट कर दोबारा बच्चों को ले आते हैं। फिर से वही काम शुरू हो जाता है।

बेटे ने की चोरी, पिता ने बेचा मोबाइल

थाना जगदीशपुरा क्षेत्र में एक बाल भिक्षुक ने हाथरस के चिकित्साधिकारी के घर पर काम कर रहे पेंटर के मोबाइल पर हाथ साफ कर दिया। दूसरी बार देखे जाने पर पेंटर ने बच्चे को पकड़ लिया। इस मामले को लेकर थाने में शिकायत भी की गई लेकिन बाद में समझौता हो गया।

पेंटर का मोबाइल किया था चोरी

बोदला निवासी 12 वर्षीय किशोर अपने 10 वर्षीय भाई के साथ सेक्टर सात निवासी चिकित्सा अधीक्षक के यहां पर भीख मांगने पहुंच गए। यहां एक पेंटर काम कर रहा था। किशोर ने पेंटर से रोटी मांगी। पेंटर खाना लेने गया तो पीछे से मौका पाकर किशोर ने चार्जिग में लगा पेंटर के मोबाइल पर हाथ साफ कर लिया दूसरे दिन फिर से किशोरों के दिखने पर पेंटर ने एक किशोर का पकड़ लिया जबकि उसका छोटा भाई भाग निकला।

पिता ने बेच दिया मोबाइल

नरेश पारस के मुताबिक इसी के बाद पीडि़त किशोर के घर पहुंच गए। यहां पर पता चला कि उसके पिता ने मोबाइल किसी को बेच दिया। इसके बाद थाने में शिकायत की गई। पुलिस ने पिता को पकड़ लिया। मोबाइल भी बरामद कर लिया लेकिन एफआईआर नहीं की बल्कि समझौता करा दिया। लेकिन इससे एक बात तो साफ है कि बच्चों के अंदर भीख मांगने के साथ अपराधी बनने की शिक्षा भी उनके घर से ही मिल रही है।

Posted By: Inextlive