पठानाकोट एयरबेस पर शनिवार तड़के हुए आतंकी हमले चार दिन बाद एक अधिकारी ने बुधवार को हमले को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उन आतंकवादियों को पाकिस्‍तान के चकलाला और लयालपुर एयरबेस में स्‍पेशल ट्रेनिंग दी गई थी। अधिकारी की माने तो पठानकोट एयरबेस में घुसे सभी आतंकियों को ऐयरबेस के हर हिस्‍से की बारीक से बारीक जानकारी थी। उन्‍हें पता था कि वहां मौजूद एयरक्राफ्ट को कैसे तबाह करना है। उनमें से किसी भी आतंकी को विमान उड़ाने की ट्रेनिंग नहीं दी गई थी। अधिकारी ने बताया कि खुफिया इनपुट में पठानकोट पर हमला होने जैसी कोई जानकारी नहीं थी। जिसके बाद भी कुछ इलाकों में सेना को अर्लट जारी किया गया था।


पठानकोट एयरबेस पर हमला करने के लिए मिली थी स्पेशल ट्रेनिंग जिन आतंकवादियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी गई थी। उन्हें एयरबेस में एयरक्राफ्ट की स्थिती पेट्रोल और हथियार रखे जाने की जगहों के बारे में हर छोटी से छोटी बात पता थी। हमले से दो दिन पहले ही कुछ मिसाइल और एयरक्राफ्ट को वहां से हटा दिया गया था। अधिकारी ने बताया कि रिहायशी इलाका होने की वजह से सेना को इतना समय लग गया। सेना ने आतंकियो को खत्म करने के लिए कैस्पर अटैंक हेलीकाप्टर और बीएमपी का प्रयोग किया। आपरेशन शनिवार तड़के 3 बजे शुरू हो गया था और 3 जनवरी की दोपहर तक सारे आतंकी मारे जा चुके थे। आतंकियो को जिंदा पकड़ने की कोशिश में लगा इतना समय


ऑपरेशन पठानकोट खत्म होने में ज्यादा समय लगने के पीछे आतंकवादियों को जिंदा पकड़ने की कोशशि बताई जा रही है। सुरक्षाबल आतंकियों को खाना हथियार के साथ मनोवैज्ञानिक तरीके से तोड़ना चाहते थे। उन्होंने बताया कि सेना कम से कम नुकसान चाहती थी। अगर आतंकी एयरबेस पर रखे हथियारों तक पहुंच जाते तो फिर सेना किसी भी तरह जान गंवाए या नुकसान की परवाह किए बिना आतंकियों पर तेजी से हमला करती। आतंकियों के मारे जाने के बाद भी सेना ने एयरबेस के अंदर 29 धमाके किए। एनएसजी से सेना के सीनियर अधिकारी मेजर दुष्यंत सिंह ऑपरेशन पठानकोट की अगुवाई कर रहे थे। एयरबेस को पहुंचाना चाहते थे भारी नुकसान बातचीत में अधिकारी ने बताया कि पठानकोट हमला करने वाले आतंकी 26/11 के मुकाबले ज्यादा ट्रेंड थे। उनके पास हथियार तो ज्यादा थे पर वह एयरबेस को अधिक नुकसान नहीं पहुंचा पाए। छह में से दो आतंकी एयरबेस के अंदर अराम कर रहे थे। ताकि सेना को हमले के दौरान ये पता चले कि वहां सिर्फ चार ही आतंकी हैं। सुरक्षाबलों द्वारा चारो आतंकियो के मारे जाने के बाद उन दोनों ने हमला किया। दोनों आतंकी एयरबेस में घुस कर नुकसान पहुंचाना चाहते थे और 3 जनवरी की सुबह उन्होंने इसका फायदा उठाने की कोशिश भी की लेकिन वे फंस गए और धमाके में खुद को ही उड़ा लिया। निहत्थे जवानों पर आतंकियों ने झौके फायर

अधिकारी ने बताया कि खुफिया तंत्र फेल नहीं हुआ है। आतंकियों से मुठभेड़ में सिर्फ एक गार्ड कमांडो गुरुसेवक सिंह शहीद हुए हैं। उनके अलावा डीएससी के पांच जवान निहत्थे थे। आतंकियों ने बेस में घुसते ही सबसे पहले मेस पर धावा बोला। वहीं कर्नल निरंजन सिंह विस्फोटक को डिफ्यूज करते समय हादसे का शिकार हुए और शहीद हो गए। आतंकी हमले की सूचना मिलने के एक घंटे के भीतर ही एनएसजी की टीम को पठानकोट एयरबेस भेज दिया गया था। पठानकोट हमले से जुड़ा एक हैंडलर सियालकोट में मौजूद था। वह आतंकियों को वहां से निर्देश दे रहा था। बाकी हैंडलर शकरगढ़ और बहवालपुर में थे और लगातार आतंकियों के संपर्क में थे। सभी आतंकी पंजाब के शकरगढ़ बॉर्डर से भारत में घुसे थे। एसपी सलविंदर को बताया संदिग्ध

आतंकी हमले के दौरान एयरबेस में मौजूद सामान को लेकर एयर मार्शल निर्देश दे रहे थे। अधिकारी ने गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह के बयान को संदिग्ध बताया है। उन्होंने कहा कि एसपी के पुराने व्यवहार के कारण ही पंजाब की पुलिस ने मामले को लेकर उतनी सक्रियता नहीं दिखाई। एसपी पर पहले भी कई आरोप लग चुके है। उन्होंने कहा कि पठानकोट मामले पाकिस्तान को वैसी ही कार्रवाई करनी चाहिए जैसी उससे 16 अक्टूबर को पेशावर में हुए हमले पर की थी। आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए और साजिश रचने वालों की संपत्ति जब्त की जाए। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी को प्रस्तावित विदेश सचिव स्तर की बातचीत पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली कार्रवाई पर ही निर्भर है।

Posted By: Prabha Punj Mishra