- दरोगा ने बेगुनाह को रात भर थाने में किया बंद, छोड़ने के नाम पर मांगी घूस

- एसएसपी के आदेश के बाद छोड़ा, लेकिन नहीं छोड़ी गाड़ी

GORAKHPUR: बेखौफ बदमाश जहां जिले की कानून व्यवस्था ध्वस्त कर रहे हैं। वहीं, कुछ पुलिसकर्मी भी अपनी ही मनमानी में लगे हुए हैं। पुलिस कर्मियों द्वारा अवैध वसूली की बढ़ती शिकायतों पर एसएसपी द्वारा लगातार भ्रष्ट पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के बावजूद कुछ दबंग दरोगा ऐसे भी हैं, जिनके लिए कप्तान का आदेश भी मायने नहीं रखता। ऐसा ही एक मामला कैंट इलाके के रेलवे स्टेशन पुलिस चौकी में सामने आया है। जहां के चौकी प्रभारी के लिए कप्तान का आदेश मानना तो दूर, बल्कि कप्तान के आदेश के बाद वह और भड़क जाते हैं।

मदद करने वाले को ही पकड़ा

बीते 22 अप्रैल को सिंचाई विभाग के नलकूप खंड द्वितीय कार्यालय की गैलरी में एक चार साल की बच्ची बेहोशी के हाल में मिली थी। जिसे लेकर उसके परिवार के लोग सड़क पर ही बैठे थे। 24 अप्रैल को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस बीच मोहद्दीपुर चारफाटक के रहने वाले गौरव पांडेय भी उधर से गुजर रहे थे। भीड़ और परिजनों को रोता-बिलखता देख वह भी वहां रुक गए और पीडि़त परिवार के साथ अपनी सहाभूति प्रकट कर चले गए। अगले दिन फिर उसी रास्ते लौट रहे थे, तभी बच्ची के परिजनों ने उन्हें घेर लिया और बच्ची की मौत का जिम्मेदार बताते हुए उनसे भिड़ गए। हंगामा देख वहां भारी भीड़ लग गई। इस बीच इसकी सूचना किसी ने पुलिस को दे दी। मौके पर पहुंची पुलिस गौरव को हिरासत में लेकर कैंट थाने ले गई और पूरी रात थाने में ही बंद रखा।

छोड़ने के नाम पर मांगे रुपए

रात भर की जांच-पड़ताल के बाद जब पुलिस को अहसास हुआ कि गौरव को इससे कोई लेना-देना नहीं है तो इंस्पेक्टर कैंट ने उन्हें छोड़ने का आदेश दिया। लेकिन आरोप है कि रेलवे स्टेशन चौकी इचार्ज उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं थे। इस बीच उनके कुछ कारखास सिपाही गौरव के परिजनों से उन्हें छोड़ने के नाम पर 20 हजार रुपए की मांग करने लगे। इस बीच किसी ने इसकी सूचना एसएसपी को दे दी। एसएसपी की पहल के बाद आनन-फानन में पुलिस ने गौरव को छोड़ तो दिया, लेकिन उन्हें थाने पर ही यह धमकी मिली कि तुम्हारी गाड़ी नहीं छूटेगी। हिरासत में लिए जाने के दौरान पुलिस ने गौरव की गाड़ी होंडा एक्टिवा पुलिस चौकी पर ही खड़ी करा रखी थी।

'किसी कीमत पर नहीं छूटेगी गाड़ी'

आरोप है कि बुधवार कं थाने से छूटने के बाद जब गौरव के परिजन गाड़ी लेने पुलिस चौकी पहुंचे तो चौकी इंचार्ज उनपर बिफर पड़े। उनका कहना था कि कप्तान क्या कोई भी कहे, गाड़ी नहीं छूटेगी और अब यह सीधा कोर्ट से ही छूटेगी। हालांकि गौरव के पास गाड़ी के सभी कागजात डिजी लॉकर में मौजूद थे। जबकि इंश्योरेंस गाड़ी की डिग्गी में था। परिजनों द्वारा पुलिस से बताया भी गया कि इंश्योरेंस गाड़ी की डिग्गी में है। बावजूद इसके पुलिस ने उन्हें न तो गाड़ी की चाभी दी और न ही डिग्गी से इंश्योरेंस ही निकाला। हालांकि इस बात की भी जानकारी किसी ने एसएसपी को दे दी। बावजूद इसके चौकी इंचार्ज जब किसी भी कीमत पर गाड़ी छोड़ने को तैयार नहीं हुए तो थक-हारकर परिवार के लोग वापस चले गए।

वर्जन- एसएसपी

Posted By: Inextlive