GORAKHPUR: घर कैंपियरगंज तहसील में पड़ता है। करीब 30 किलोमीटर दूर से मुझे सदर तहसील सिर्फ स्टांप खरीदने के लिए आना पड़ा। जबकि ई-स्टांप की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। सदर तहसील में आने पर मुझे करीब चार हजार रुपए एक्स्ट्रा भी खर्च करने पड़े। यह दर्द था कैंपियरगंज तहसील से मायूस होकर सदर तहसील आए स्वर्ण व्यापारी विवेक जायसवाल का। गोरखपुर जिले की 9 तहसीलों में करीब चार तहसीलों में मैनुअल स्टांप बंद होने के बाद भी ई-स्टांप की सुविधा मुहैया नहीं कराई जा सकी है। जिसके चलते हजारों लोगों का गोरखपुर सदर के लिए पलायन शुरू हो गया है, लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस उपाय नहीं कर पा रहे हैं।

घोटालों पर लगानी थी रोक, पब्लिक के लिए खड़ी कर दी सांसत

बता दें, प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर में ई-स्टांप प्रणाली लागू करने का फैसला किया है ताकि फर्जी स्टांप की बिक्री के धंधे और घोटालों पर अंकुश लगाया जा सके। वहीं स्टांप की छपाई व ढुलाई आदि पर आने वाले खर्च को भी कम किया जा सकेगा। इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। सभी संपत्तियों की रजिस्ट्री अब ई-स्टांप पर ही कराए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इसके लिए गोरखपुर जिले के गोला, कैंपियरगंज, बांसगांव व चौरीचौरा तहसील में मैनुअल स्टांप की बिक्री भी बंद हो गई है। लेकिन ई-स्टांप को लेकर कोई व्यवस्था नहीं किए जाने के चलते इन तहसीलों की पब्लिक को स्टांप खरीदने गोरखपुर तहसील के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। गोरखपुर तहसील में रखे गए मैनुअल स्टांप की बिक्री डेली करीब ढाई करोड़ हो चुकी है। एक करोड़ जहां मैनुअल है तो वहीं डेढ़ करोड़ रुपए ई-स्टांप से बिक्री हो रही है।

नहीं छपेंगे नए स्टांप

डीआईजी स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन रामानंद सिंह ने बताया कि सभी मूल्य के ई-स्टांप का प्रमाण पत्र जारी करने केलिए प्रदेश सरकार ने केंद्रीय अभिलेख अनुरक्षण अभिकरण स्टॉक होल्िडग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को अधिकृत किया गया है। उन्होंने बताया कि गोरखपुर मंडल के सभी कोषागारों में अब तक उपलब्ध स्टांप का उपयोग होने तक फिलहाल पूर्व की व्यवस्था के साथ ही ई-स्टांप प्रणाली भी लागू रहेगी।

बॉक्स

डीएम करेंगे मीटिंग

वहीं स्टांप विक्रेताओं की समस्या को देखते हुए सरकार ने ई-स्टांपिंग नियमावली में संशोधन करते हुए स्टांप एजेंट्स को प्राधिकृत संग्रह केंद्र (एसीसी) के रूप में कार्य करने को मंजूरी दी है। वहीं सभी जिला मुख्यालयों के स्तर पर डीएम को स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की मदद से कार्यशाला आयोजित करने के भी निर्देश दिए गए हैं। अब तक कुल 226 स्टांप विक्रेताओं को प्राधिकृत संग्रह केंद्र के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जा चुकी है।

फैक्ट फिगर

गोरखपुर जिले में कुल तहसील - 9

गोरखपुर सदर, दीवानी, कमिश्नरी में लाइसेंसी स्टांप वेंडर की संख्या - करीब 350

मैनुअल स्टांप बंद होने वाले तहसील की संख्या - 4

गोरखपुर तहसील में डेली स्टांप की बिक्री - करीब 2.5 करोड़

वर्जन

मैनुअल स्टांप की छपाई और ढुलाई बंद हो गई है। जो पुराने हैं उन्हीं की बिक्री हो रही है। अब जितने भी स्टांप खरीदे जाएंगे वो ई-स्टांप के स्टॉक होल्डिंग से ही खरीदारी करेंगे। स्टॉक होल्डर्स लाइसेंस प्राप्त स्टांप वेंडर को अधिकृत करेंगे। वे भी ई-स्टांप बेच सकेंगे।

- रामानंद सिंह, डीआईजी स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन

इन काम में होता है स्टांप का यूज

- जमीन की खरीदारी में

- दुकान ट्रांसफर में

- गैस कनेक्शन लेने में

- बिजली कनेक्शन के ट्रांसफर में

- नाम, पता संशोधन करवाने में

कोट्स

जब मैनुल स्टांप बंद कर दिया गया है तो फिर ई-स्टांप की सुविधा भी तो कराई जानी चाहिए। बंद करने से पहले विकल्प तो शुरू करा लेना चाहिए था।

कस्टमर

मुझे सदर तहसील से एक्सट्रा रुपए देकर सदर तहसील से स्टांप खरीदना पड़ा। जबकि ई-स्टांप की बात जिम्मेदार अधिकारी कर रहे हैं। स्टॉक होल्डर्स को खोलने की व्यवस्था भी तो होनी चाहिए।

कस्टमर

मैं 25 किमी दूर से सदर तहसील आया हूं। ई-स्टांप से स्टांप में होने वाले घोटाले पर निश्चित तौर पर अंकुश लग सकेगा। लेकिन पब्लिक की सुविधा का भी तो ख्याल रखना चाहिए। स्टॉक होल्डर्स की व्यवस्था होती तो सदर तहसील का चक्कर लगाना नहीं पड़ता।

कस्टमर

मुझे मैनुअल स्टांप खरीदना था। लेकिन गोला तहसील में नहीं मिला तो मुझे सदर तहसील में आना पड़ा। किराया भाड़ा लगाकर आया भी तो यहां मनमानी पैसे भी वसूल लिए गए।

कस्टमर

Posted By: Inextlive