RANCHI: रांची रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी (आरआरडीए) सफेद हाथी बनकर रह गया है। चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, इंजिनियरिंग विंग, टेक्निकल विंग समेत पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद आरआरडीए के पास कुछ गांवों का नक्शा पास करने के अलावा कोई काम नहीं रह गया है। आरआरडीए को नगर विकास विभाग ही कोई काम करने का अधिकार नहीं दे रहा है। हर प्रस्ताव जो आरआरडीए बोर्ड द्वारा तय कर नगर विकास विभाग को भेजा जा रहा है, विभाग उसे नामंजूर कर दे रहा है। अर्फोडेबल हाउसिंग अपार्टमेंट बनाने के लिए आरआरडीए बोर्ड में एचईसी से पीपीपी मोड पर जमीन लेने का प्रस्ताव विभाग को दिया गया, जिसे विभाग ने एनओसी नहीं दिया। बाद में आरआरडीए ने खुद से दस एकड़ जमीन खरीदने का प्रस्ताव बोर्ड से पास कर विभाग को भेजा, लेकिन बोर्ड के इस प्रस्ताव को भी नगर विकास विभाग ने नामंजूर कर दिया।

सिर्फ नक्शा कर रहा पास

आरआरडीए के पास अभी सिर्फ नक्शा पास करने का ही काम हो रहा है, वह भी इस तरीके से हो रहा है कि कई नक्शे पेंडिंग है। जबकि आरआरडीए बोर्ड द्वारा काम करने के लिए कई प्रस्ताव बनाकर नगर विकास विभाग को भेजा गया है, लेकिन विभाग के स्तर से किसी भी तरह की कोई कार्रवाई या आदेश जारी नहीं किया जा रहा है, ताकि कोई काम शुरू हो सके।

सीएम का निर्देश भी नहीं मान रहे अधिकारी

पिछले साल मुख्यमंत्री ने आरआरडीए को सशक्त बनाने को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की थी। कई दिशा-निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने रांची के ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर नागरिक सुविधाएं, यातायात व जल निकास प्रणाली विकसित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था। उन्होंने अधिकारियों को गांवों में छोटे-छोटे पार्क विकसित करने को कहा था.जमीन का अधिग्रहण कर उसे विकसित करने और सुविधाएं बहाल कर लोगों को आवंटित करने का निर्देश भी दिया था। आरआरडीए के क्षेत्र में आनेवाले 170 गांवों का मास्टर प्लान तैयार करने, गांवों में सोलर लाइट, सीठियो व नचियातू में मकान, पार्क आदि बनाने को लेकर भी निर्देश दिए गए थे। लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश को भी नगर विकास विभाग दरकिनार कर रहा है।

प्रोपर्टी दे दी गई निगम को

अध्यक्ष परमा सिंह ने बताया कि कि खादगढ़ा बस स्टैंड, नागाबाबा खटाल, जयपाल सिंह स्टेडियम, आईटीआई बस स्टैंड, धुर्वा, कांके, रातू में जितने बाजार थे, पहले सभी आरआरडीए के अंदर आते थे। लेकिन 2009 में नगर विकास विभाग के सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने बिना कैबिनेट से अप्रूवल लिये ही आरआरडीए की सारी प्रॉपर्टी नगर निगम के हवाले करने का आदेश जारी कर दिया। आखिर कोई प्रॉपर्टी हस्तांतरित करने से पहले कैबिनेट का आदेश तो होता है। प्रॉपर्टी की वैल्यू का पेमेंट दिया जाता है, लेकिन आरआरडीए के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। बस एक पत्र जारी हुआ और सारी प्रॉपर्टी नगर निगम को दे दी गई।

आरआरडीए अध्यक्ष परमा सिंह से बातचीत

सवाल: आरआरडीए अभी क्या काम कर रहा है?

जवाब: आरआरडीए के पास अभी सिर्फ नक्शा पास करने का काम हो रहा है। जमीन को लेकर कई बार नगर विकास विभाग के पास प्रस्ताव भेजे हैं, लेकिन कोई रिप्लाई नहीं आता है। विभाग अगर मदद करे तो विकास के कई सारे प्लान बनाकर भेजे गए हैं। इन्हें शुरू किया जा सकता है।

सवाल: दो साल से चेयरमैन हैं, क्या उपलब्धि है?

जवाब: दो साल में आरआरडीए जो घाटे में चल रहा था, वह प्रॉफिट मेकिंग हो गया है। मास्टर प्लान तैयार करने, हाउसिंग प्रोजेक्ट तैयार करने सहित कई प्रस्ताव नगर विकास विभाग के पास भेजा गया है, लेकिन विभाग की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला है।

सवाल: एक साल कार्यकाल बचा है, कैसे विकास होगा?

जवाब - नगर विकास विभाग में नए सचिव अजय कुमार सिंह आए हैं, उनको सारी जानकारी दी गई है। अब विभाग मदद करेगा, उसके बाद ही हमलोग काम कर पाएंगे।

Posted By: Inextlive