विश्‍व के अधिकतम देश अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने में लगे हैं। ऐसे में अमेरिका की साइबर सुरक्षा पर खतरा मडरा रहा है। अमेरिकी सेना के साइबर प्रमुख ने सरकार के समक्ष अपनी चिंता जाहिर की है। अन्‍य देशों की तरह अमरिका भी अपनी साइबर वॉल को मजबूत बनाने में लगा हुआ है।


अमेरिकी सेना के साइबर कमान प्रमुख ने जताई चिंताअमेरिका को रूस और चीन से सबसे बड़ा साइबर सुरक्षा का खतरा है। ईरान भी इस दिशा में अपनी क्षमताओं में इजाफा करने का लगातार प्रयास कर रहा है। अमेरिकी सेना की साइबर कमान के प्रमुख और नौसेना एडमिरल ने अमेरिकी सरकार के समक्ष अपनी यह चिंता जाहिर की है। एडमिरल माइकल रोजर्स ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति को बताया कि अमेरिका की कुल सैन्य ताकत इन तीनों देशों से कहीं अधिक है लेकिन साइबर आयुधों की जब बात आती है तो यह फासला कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी साइबर कमान साइबर मिशन टीमों के गठन के साथ इस दिशा में आगे बढ़ रही है। साइबर वॉल को मजबूत करने में जुटा है अमेरिका
एडमिरल माइकल रोजर्स ने कहा सितंबर 2018 तक अमेरिकी साइबर कमान साइबर मिशन टीमों की 133 पूर्ण संचालित इकाइयां होंगी। उन्होंने बताया कि करीब 100 टीमें पहले ही साइबर स्पेस अभियानों पर काम कर रही हैं। रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने इराक और सीरिया में साइबर आयुधों के इस्तेमाल को बढ़ाया है और विभाग की साइबर क्षमताओं में इजाफे को उन्होंने एक प्रमुख लक्ष्य बनाया है। इसी के तहत वह साइबर कमान को पूर्ण स्वतंत्र सैन्य कमान के रूप में विकसित किए जाने पर विचार कर रहे हैं। साइबर सुरक्षा को बजट प्रक्रिया में मिलेगी तवज्जोइस समय अमेरिकी साइबर कमान सेना की सामरिक कमान की एक उप इकाई है। मंगलवार को हुई बैठक में रोजर्स ने सीनेटर को बताया कि पूर्ण कमान होने से उनकी इकाई के कामकाज में तेजी आएगी और इससे मिशन के बेहतर नतीजे मिलेंगे। उन्होंने साथ ही कहा कि इससे उन्हें बजट प्रक्रिया में अधिक तव्वजो मिलेगी और यह निर्धारण करने का मौका मिलेगा कि बजट को किस प्रकार खर्च किया जाए। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि कार्टन का यह मानना है कि साइबर कमान को पूर्ण कमान के रूप में विकसित करना फायदेमंद होगा।

Posted By: Prabha Punj Mishra