सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लाॅन्ड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों का समर्थन करते हुए कहा कि ईडी को गिरफ्तारी का हक है।

नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लाॅन्ड्रिंग एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों का समर्थन करते हुए कहा कि ईडी को गिरफ्तारी का हक है। पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि मनी लाॅन्ड्रिंग में शामिल लोगों की संपत्ति की कुर्की से संबंधित अधिनियम की धारा 5 संवैधानिक रूप से वैध है।

ईसीआईआर पुलिस एफआईआर के बराबर
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक मामले में संबंधित व्यक्ति को प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) की आपूर्ति अनिवार्य नहीं है। ईडी की ईसीआईआर पुलिस एफआईआर के बराबर है। बेंच, जिसमें जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल हैं, उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के समय ईडी अगर आधार का खुलासा करती है तो यह पर्याप्त है। पीएमएलए अधिनियम 2002 की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को चुनौती को खारिज करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा, "2002 अधिनियम की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को चुनौती भी खारिज कर दी गई है। धारा 19 में कड़े सुरक्षा उपाय प्रदान किए गए हैं। प्रावधान मनमानी के दोष से ग्रस्त नहीं है।"

धारा 5 संवैधानिक रूप से वैध
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब गिरफ्तार व्यक्ति को उसके सामने पेश किया जाता है तो एक विशेष अदालत ईडी द्वारा प्रस्तुत संबंधित रिकॉर्ड को देख सकती है। पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, "धारा 5 संवैधानिक रूप से वैध है। यह व्यक्ति के हितों को सुरक्षित करने के लिए एक संतुलन व्यवस्था प्रदान करती है।' शीर्ष अदालत ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की व्याख्या पर याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुनाया।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari