- सिटी में मच्छरों के आतंक के बाद भी निगम के स्टोर रूम से नहीं निकल रही हैं फागिंग मशीनें

- i next ने पार्षदों से जाना हाल, किसी वॉर्ड में साल भर से तो किसी में छह माह से नहीं हुई फॉगिंग

VARANASI:

रात हाथ पीटते पीटते कट रही है और दिन इनको भगाने में बीत रहा है। इसके बाद भी इनका परमानेंट इलाज नहीं किया जा रहा है। ये दर्द है शहर के हर इलाके में मच्छरों के आतंक से परेशान लोगों की। गर्मी और बरसात के मिक्स वेदर के कारण मच्छरों को और पनपने का मौका मिल रहा है। पब्लिक परेशान है। लेकिन नगर निगम है कि उसके कान में जूं तक नहीं रेंग रहा है। हाल ये है कि मच्छरों को भगाने के लिए जिन बड़ी बड़ी मशीनों को निगम ने खरीदकर स्टोर में रखा है। उनके बाहर न निकलने के कारण मच्छरों ने इन मशीनों में भी अपना डेरा जमा रखा है। और शहर में फॉगिंग न होने स पब्लिक बेचारी बनकर मच्छरों से जूझ रही है।

मशीनों का नहीं हो रहा प्रॉपर यूज

निगम के पास फॉगिंग के लिए दर्जनों मशीनें हैं। इसके बाद भी इन मशीनों का यूज प्रॉपर वे में नहीं हो रहा है। शहर के 90 वॉ‌र्ड्स में से किसी भी वॉर्ड में ये मशीनें सालों से नहीं पहुंची हैं। इसी को चेक करने के लिए मंगलवार को आई नेक्स्ट निकला और कुछ वॉ‌र्ड्स का मुआयना कर वहां मच्छरों के आतंक के बारे में जाना। आई नेक्स्ट टीम रानीपुर, पानदरीबा, रामपुरा, गढ़वासी टोला, पाण्डेयपुर समेत कुछ अन्य वॉ‌र्ड्स में पहुंची। हमने इन इलाकों के पार्षदों से भी बातचीत कर सच्चाई जानी। लास्ट टाइम निगम की फॉगिंग मशीनें उनके वॉर्ड में कब आई थीं? जो जवाब मिले वो चौंकाने वाले थे। किसी पार्षद ने कहा, साल भर पहले तो किसी ने कहा छह महीने पहले। कइयों ने तो कहा, उनके यहां फागिंग कभी नहीं हुई भाई।

नाम की है टीम

- मच्छरों से लड़ने के लिए निगम के पास लंबी चौड़ी फोर्स है।

- दर्जन भर से ज्यादा फॉगिंग मशीनें साइकिल स्टोर में पड़ी पड़ी सड़ रही हैं।

- इनमें से कई साइकिलें लाखों रुपये के बजट से दो साल पहले ही खरीदी गई हैं।

- इसके बाद भी ये साइकिलें स्टोर में पड़ी हुई हैं और इनका यूज नहीं हो रहा है।

- सड़क व कॉलोनियों में फॉगिंग करने के लिए निगम के पास बड़ी मशीनें भी हैं।

- ये मशीनें साल में एक दो बार ही बाहर निकलती हैं।

- मच्छर भगाने के लिए भी निगम के पास एक दर्जन से ज्यादा स्टाफ है

- ये स्टाफ सिर्फ मच्छरों की रोकथाम का ही काम करता है।

- मच्छरों से लड़ने के लिए पाउडर का छिड़काव भी किया जाता है

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फॉगिंग कब हुई इस बारे में तो बताते हुए भी मुझे शर्म आ रही है। आठ माह पहले साइकिल से फॉगिंग हुई थी जो ऊंट के मुंह में जीरा था। मैंने हफ्ताभर पहले भी फॉगिंग के लिए सुपरवाइजर से कहा लेकिन कुछ हुआ नहीं

अजय कुमार जैन, पार्षद सारनाथ

कोई फायदा नहीं है निगम से कहने का। मेरे वॉर्ड में सालभर पहले फागिंग हुई थी। जब नगर स्वास्थ्य अधिकारी से कहता हूं तो वह झूठी लिस्ट दिखा देते हैं। उनका कहना है कि फॉगिंग होती है लेकिन सच्चाई ये है कि मेरा वॉर्ड फागिंग से अछूता है।

अजय कुमार गुप्ता, पार्षद रानीपुर

बिल्कुल नहीं, निगम की ओर से फॉगिंग कराई ही नहीं जाती है। मैं खुद कई बार नगर स्वास्थ्य अधिकारी से मिलकर फॉगिंग के लिए कह चुका हूं लेकिन कोई सुनता ही नहीं है। मेरे वॉर्ड में छह माह पहले फागिंग हुई थी।

रविकांत विश्वकर्मा, पार्षद पानदरीबा

मेरे वॉर्ड में फॉगिंग हुए लंबा वक्त बीत चुका है। फॉगिंग के लिए कहो तो निगम के अधिकारी बहाना बनाते हैं। फॉगिंग होती नहीं है। जिसका नतीजा है कि मच्छरों के प्रकोप से पब्लिक परेशान है।

शिव सेठ, पार्षद रामापुरा

Posted By: Inextlive