-जी एट मेमो के लिए रेलवे इम्प्लाई की फजीहत

-वाइफ को हॉस्पीटल में छोड़ दानापुर स्टेशन से लाना पड़ा फॉर्म

PATNA : संतोष कुमार की वाइफ लेबर पेन से परेशान थी। घरवालों ने उसे आनन-फानन में करबिगहिया स्थित सेंट्रल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पीटल में एडमिट कराया। लीव लेकर संतोष कुमार भी हॉस्पीटल पहुंचे। रेलवे हॉस्पीटल में ऐसा प्रावधान है कि एडमिट कराने के बाद इम्प्लॉयी को जी एट फार्म हॉस्पीटल में जमा करना होता है। यह जी एट फार्म रेलवे इम्प्लॉयी किसी भी नियरेस्ट स्टेशन से लेकर दे सकता है। लेकिन जब संतोष जी एट मेमो के लिए पटना जंक्शन के असिस्टेंट स्टेशन मैनेजर के पास गये तो उन्होंने संतोष की परेशानी समझने के बजाया यह कहकर टरका दिया कि जो लेडी एडमिट हुई है वो आपकी ही पत्नी है इसका प्रूफ क्या है। जबकि संतोष अपने आवेदन के साथ रेलवे के इम्प्लॉयी होने का प्रूफ दे रहे थे। मालूम हो कि संतोष गोमो में असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर कार्यरत हैं।

दानापुर स्टेशन से मिला जी एट मेमो

रेलवे में यह रूल है कि रेलवे इमप्लॉयी देश के किसी भी रेलवे हॉस्पीटल में अपने और अपने डिपेंडेंट का इलाज करा सकता है। साथ ही यह भी प्रावधान है कि वह हॉस्पीटल के नियरेस्ट स्टेशन से जी एट मेमो भी ले सकता है। जब वाइफ के बीमार होने की खबर संतोष को मिली तो वो यही सोचकर भागा-भागा आया कि उसे पटना जंक्शन से ही जी एट मिल जायेगा। जब पटना जंक्शन से उसे निराशा हाथ लगी तो संतोष पत्नी को हॉस्पीटल में छोड़ दानापुर स्टेशन गये और वहां से जी एट मेमो लेकर हॉस्पीटल में जमा किया।

प्रसूती विभाग की नियमित सफाई नहीं

किसी भी हॉस्पीटल में प्रसूती विभाग में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है। लेकिन सेंट्रल हॉस्पीटल के प्रसूती विभाग में ही पर्याप्त सफाई नहीं होती है। ऑपरेशन थियेटर के ठीक बगल में वाशरुम और यूरिनल है लेकिन ऐसा लगाता है कि कई हप्तों से इसकी सफाई नहीं की गयी है। वॉशरुम से इतनी दुर्गध आती है कि वहां एक मिनट भी रुकना मुश्किल है। एक सफाई कर्मी ने बताया कि हमलोगों की संख्या कम है। इतने कम कर्मी में दो बार सफाई संभव नहीं है।

हर चीज के लिए चाहिए पैरवी

जंक्शन के एक इम्प्लॉयी की वाइफ वहां एडमिट है। वे कहते हैं डॉक्टर जो दवाई लिखते हैं तो उसमें कई दवाइयां हॉस्पीटल में नहीं मिलती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि जो दवाई नहीं मिलती है उसे बाहर से ले लें। उक्त कर्मी ने बताया कि हॉस्पीटल में बीपी और सुगर की दवाई रहते हुए भी नहीं दी जाती है। किसी अधिकारी से कहवाने के बाद ही दवाई मिलती है। आई नेक्स्ट ने जब प्रसूती वार्ड का मुआयना किया तो पाया कि एक इम्प्लॉयी की पत्नी एक दिन पहले से डिलिवरी के बाद एडमिट है और उसे मात्र एक कंबल से ही काम चलाना पड़ रहा है। कंबल के लिए उक्त कर्मी को यूनियन के एक मेंबर से फोन करवाना पड़ा

सिर्फ नाम का है कैंटीन

हॉस्पीटल में कैंटिन की व्यवस्था है। और यह रूल है कि पेशेंट को सुबह में नाश्ता, दोपहर में लंच, शाम में स्नेक्स और रात में डिनर दिया जायेगा। साथ ही फोर्थ ग्रेड के कर्मी को फ्री में भोजन दिया जायेगा। लेकिन कैंटिन सिर्फ सुबह में ही खुलती है। इसके बाद दिन भर अटेंडेंट को चाय के लिए भी बाहर जाना पड़ता है।

जी एट मेमो इम्प्लॉयी का इंचार्ज देता है। संतोष को मेमो लेकर आना चाहिए था। किसी कारणवश वो नहीं लेकर आया तो यहां के अधिकारी को को-ऑपरेट करना चाहिए था। नहीं दिया गया तो गलती हुई। कैंटिन के मामले में कुछ परेशानी है उसे जल्द ही शॉर्ट-आउट कर लिया जायेगा।

-एके रजक, सीपीआरओ, ईसीआर

Posted By: Inextlive