आई नेक्स्ट लगातार पेरेंट्स को अलर्ट कर रहा है। बच्चे किस ओर जा रहे हेैं ये काफी हद तक उनकी पेरेंटिंग पर निर्भर करता है। स्वराज इंडिया पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट अर्पित की मौत के बाद तो बच्चों की पेरेंटिंग की ओर हर किसी का ध्यान जाना स्वाभाविक है। बड़े स्कूलों में एडमिशन के बाद भी पेरेंट्स की जिम्मेदारी कम नहीं होती बल्कि बढ़ जाती है। आई नेक्स्ट तमाम पहलुओं से पेरेंट्स को रूबरू करा चुका है लेकिन आज हम बड़े स्कूलों के स्टूडेंट्स की जो पोल खोलने जा रहे हैं। उसको जानने के बाद पेरेंट्स अलर्ट हो जाएं और बच्चे की हर एक्टिविटी पर अगले डेढ़ महीने तक बारीक निगाह रखें। क्या होने वाला है अगले डेढ़ महीने में? क्यों निगाह रखना जरूरी है? पूरी हकीकत जानने के लिए पढि़ए ये रिपोर्ट

-व‌र्ल्ड कप के लिए सटोरियों ने सजाई दुकान, सटोरियों ने कई तरह के भाव दिए, जीत से लेकर प्लेयर पर लग रहा सट्टा

-इंडिया, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका है फेवरेट टीम

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KANPUR : क्रिकेट व‌र्ल्ड कप की उल्टी गिनती शुरू होते ही क्रिकेट प्रेमियों की बेचैनी बढ़ गई। वे बेसर्बी से मैच शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। स्कूल से कॉलेज और पान की गुमटी से लेकर मल्टीप्लेक्सेस में चर्चा चल रही है कि कौन सी टीम व‌र्ल्ड कप जीतेगी? इस गरम माहौल को देखकर सटोरियों ने अभी से दुकान सजा ली है। वे व‌र्ल्ड कप के बहाने मोटी कमाई की फिराक में है। उनके टारगेट में स्कूल और कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स हैं। उनको फंसाने के लिए सटोरियों ने गुर्गो को एक्टिव कर दिया है। सटोरिये स्टूडेंट को फंसाने के लिए कई तरह के ऑफर दे रहे हैं। जिसकी भनक लगने पर आई नेक्स्ट की टीम ने पहचान छुपाकर कुछ स्टूडेंट्स और सटोरियों से बात की तो पता चला कि उनके जाल में सैकड़ों स्टूडेंट फंस चुके हैं। आपको बताते है कि सटोरिए किस तरह से स्टूडेंट को फंसा रहे है? व‌र्ल्ड कप में कितनी तरह से सट्टा लग रहा है? कितना बाजार गरम है?

एंड एनालिसिस विंग, नॉर्थ इंडिया ने हाल ही में एक लाख स्टूडेंट्स के बीच कई शहरों में कराए गए सर्वे के मुताबिक स्टूडेंट्स का सबसे फेवरेट गेम क्रिकेट है। वे ग्रुप में मैच देखना पसन्द करते है। इस दौरान वे आपस में कई तरह की शर्त लगाते है। मसलन कौन सी टीम जीतेगी या कौन सा प्लेयर कितने रन बनाएगा। इसी का फायदा उठाकर सटोरिए आसानी से उन्हें अपने जाल में फंसा लेते है। वे उन्हें रुपए कमाने का सपना दिखाते हैं। सटोरियों के गुर्गे स्कूल, कॉलेज, कोचिंग मण्डी और स्टूडेंट्स के अड्डेबाजी वाले प्वाइंट पर एक्टिव रहते है। वे स्टूडेंट्स से दोस्ती कर साथ घूमते है। इसी दौरान वे सट्टा लगाकर रुपए जीतने पर पार्टी देने का नाटक करते है। जिसे देख स्टूडेंट्स भी सट्टा खेलने लगता है।

आईपीएल से पहले व‌र्ल्ड कप पर डबल चांदी

वैसे तो सटोरिये की सहालग आईपीएल मैच में होती है, लेकिन इस बार आईपीएल से पहले व‌र्ल्ड कप होने से सटोरियों की चांदी हो गई। इसके लिए उन्होंने अभी से दुकान सजा ली है। व‌र्ल्ड कप में भी आईपीएल की तर्ज पर सट्टा लगवाया जा रहा है। सटोरियों ने कई तरह का सट्टा लगवाने की तैयारी की है। जिसमें फेवरेट प्लेयर से लेकर स्कोर के नम्बर का सट्टा शामिल है। सटोरिये ने आई नेस्क्ट के रिपोर्टर को बताया कि प्लेयर की अलग अलग डिमाण्ड होती हैं। वे एक साथ कई तरह का सट्टा चाहते है। इसलिए उनको प्लेयर को अलग अलग गेम खिलाना पड़ता है।

इस पर लगाया जाएगा सट्टा

- फेवरेट बेस्ट्समैन, बॉलर और टीम

- स्कोर के आखिर एक और दो नम्बर पर

-हर टीम के शुरुआती भ् और क्0 ओवर के सेशन का सट्टा

-सटोरिये और सट्टा खेलने वाले के फेवरेट प्लेयर के स्कोर का सट्टा

-स्कोर के नम्बर और प्लेयर के रन पर फुट और जोड़ा का सट्टा

-क्वार्टर फाइनल, सेमी फाइनल और फाइनल में कौन सी टीम पहुंचेगी

-मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज

-फाइनल में कौन सी टीम जीतेगी

हर दिन बदल रहा है भाव

सटोरियों ने मोटा मुनाफा कमाने के लिए अभी से सट्टा लगवाना शुरू हो गया है। सटोरिए स्टूडेंट को जाल में फंसाने के लिए अभी से बड़ा भाव दे रहे हैं, ताकि वो सट्टा लगा दें। आई नेक्स्ट के रिपोर्टर को सटोरिए ने बताया कि उन्होंने अभी फेवरेट बैट्समैन, बॉलर, टीम पर सट्टा लगवाना शुरू कर दिया है। हर दिन भाव बदल रहा है। जिसने अभी सट्टा लगा दिया है और वो जीत जाएगा तो उसे तगड़ा मुनाफा होगा। अभी तो सट्टा प्लेयर सिर्फ कागजों पर टीम की मजबूती को देखकर सट्टा लगा रहे है। हर खिलाड़ी और टीम का अलग-अलग भाव है।

इंडिया, आस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड है फेवरेट टीम

सटोरिए सभी टीमों पर सट्टा लगवा रहे हैं। जिसमें अभी तक लगे दांव के मुताबिक इंडिया, आस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड फेवरेट टीम है। सटोरियो का कहना है कि अभी तो अभी तो व‌र्ल्ड कप शुरू भी नहीं हुआ। किसे मालूम ऊंट किस करवट बैठेगा। व‌र्ल्ड कप शुरू होने पर बहुत उतार-चढ़ाव होगा। जिससे फेवरेट टीम और प्लेयर बदल भी सकते है।

स्कोर के नम्बर पर सबसे ज्यादा लगता है सट्टा

सटोरिए फेवरेट टीम से लेकर स्कोर समेत कई तरह का सट्टा खिला रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा सट्टा स्कोर के नम्बर पर लगता है। इसके अलावा सेशन में भी तगड़ा दांव लगाया जाता है। सोर्सेज के मुताबिक स्कोर पर तीन तरह से सट्टा लगाया जाता है। स्कोर एक आखिर नम्बर और आखिरी दो नम्बर पर सट्टा लगता है। इसके अलावा स्कोर पर फुट और जोड़ा का भी सट्टा लगता है।

किस्मत चलने पर ही जीत पाता है प्लेयर

सटोरियों के मुताबिक उनको सबसे ज्यादा कमाई स्कोर के नम्बर के गेम में होती है। अगर आखिर एक नम्बर पर सट्टा लगा है, तो उसमें प्लेयर के पास एक और सटोरिए के पास नौ नम्बर रहते है। ऐसे में सटोरिए के जीतने का चांस ज्यादा रहता है। इसी तरह आखिर दो नम्बर पर सट्टा लगता है तो उसमें प्लेयर के पास एक नम्बर और सटोरिए के पास 98 नम्बर रहते हैं। जिसमें भी सटोरिए के जीतने और प्लेयर के हारने का ज्यादा चांस रहता है।

विनर के साथ रनर में भी लग रहा है दांव

वैसे तो किसी भी गेम में जीतने वाले खिलाड़ी पर सब दांव लगाते है, लेकिन व‌र्ल्ड कप में प्लेयर्स विनर के साथ रनर पर भी दांव लगा रहे है। इसमें सट्टा इस तरह से लग रहा है कि कौन सी टीम क्वार्टर फाइनल, सेमी फाइनल और फाइनल पर पहुंचेगी। इसमें मैच हारने वाली टीम भी सट्टा लगेगा।

कैसे चलता है सट्टेबाजी का भाव

क्रिकेट मैच में फुट और जोड़ा के सट्टा में दोगुना रकम मिलती है। इसके अलावा स्कोर के नम्बर पर 9 गुने से लेकर 70 गुना तक पेमेंट होता है। इसमें भाव के आखिरी दो नम्बर पर सट्टेबाजी होती है। मसलन किसी टीम ने फ्ख्फ् रन बनाए है तो आखिरी के दो नम्बर फ् और ब् पर सट्टेबाजी होती है। अगर प्लेयर ने आखिर के एक नम्बर यानि फ् पर सट्टा लगाया है और वो जीत जाता है तो उसे सटोरिए 9 गुना पेमेंट करेगा। इसी तरह अगर आखिरी के दो नम्बर यानि फ्ब् पर सट्टा लगा है और प्लेयर जीत जाए तो उसको 70 गुना पेमेंट होता है। फेवरेट टीम और प्लेयर का भाव सबसे कम होता है, जबकि सामान्य प्रत्याशी का भाव बहुत ऊपर है। मसलन इंडिया और आस्ट्रेलिया टीम फेवरेट है और उसका भाव ख्0 है तो प्लेयर क्00 रुपए लगाने पर क्ख्0 रुपए जीतेगा, यानि उसको सिर्फ ख्0 रुपए का फायदा होगा। वहीं वह अन्य टीम पर दांव लगाता है तो उसको क्80 रुपए मिलेंगे यानि उसको 80 रुपए का फायदा होगा।

मोबाइल और इंटरनेट से होता है गोरखधंधा

सटोरियो का नेटवर्क सिटी से लेकर विदेशों तक फैला है। इसका खुलासा करीब छह महीने पकड़े गए एक गिरोह के सदस्यों ने पुलिस को दी थी। तत्कालीन एसएसपी यशस्वी यादव ने सटोरियो की विदेशों में हुई बातचीत का रिकॉर्ड भी सबूत के रूप में पेश किया था। यह गेम सेलफोन और इंटरनेट पर निर्भर है। सटोरिए एजेंट के जरिए प्लेयर्स को मोबाइल पर भाव देते है। इसके बाद वे सौदा भी बुक करते है। बुकीज इंटरनेट से छोटे सटोरियों को अलग लाइन भी देते है, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा प्लेयर्स को गेम खिला सके। इसके अलावा सटोरिए मार्केट से गेम लेते है।

जुबान पर चलता है सारा गेम

सट्टेबाजी का पूरा खेल जुबान पर चलता है। इसमें सटोरिए मोबाइल से ही भाव देते है और गेम बुक करते है। इसमें आमने-सामने सौदा नहीं होता है। सारा गेम मोबाइल पर ही चलता है। अगर खिलाड़ी ने बुकीज को मोबाइल पर गेम बुक करा दिया है, तो इसके बाद वह पीछे नहीं हट सकता है। सारे गेम में पारदर्शिता लाने के लिए सटोरिए सारी बात रिकार्ड करते है, ताकि बाद में कोई पीछे न हट पाए।

हवाला से होता है रुपए का लेनदेन

सिटी के सटोरिए के तार दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, हैदराबाद, पुणे समेत फार्रेन तक में फैला है। इसमें रुपए का लेनदेन हवाला के जरिए किया जाता है। नयागंज हवाला की सबसे बड़ी मंडी है। यहां पर रोज लाखों रुपए का पेमेंट हवाला के जरिए होता है। सट्टेबाजी के गोरखधंधे में फारेन के लोग भी लिप्त है। वे ही भाव देते है। यह सारा खेल इंटरनेट, मोबाइल और हवाला में टिका है।

कई सफेदपोश भी है शामिल

सिटी में सट्टेबाजी के खेल में कई सफेदपोश लोगों लिप्त है। इसमें कुछ खिलाड़ी है, तो कुछ इस धंधे में पैसा फंसाकर मोटी कमाई कर रहे है। इसके तार नेताओं से लेकर पुलिस और प्रशासन के कई अफसरों से भी जुड़े है। जिसके चलते पुलिस इन पर हाथ डालने से बचती है।

यहां पर हर चीज पर लगता है सट्टा

हास्पिटल में आई गर्भवती महिला लड़के को जन्म देगी या लड़की। इस पर दांव लगाकर सटोरिए फायदा उठा रहे है। यह तो सिर्फ बानगी है। सिटी में हर जगह सट्टेबाजी हो रही है। कोई शर्त के नाम पर सट्टेबाजी कर रहा है, तो कोई पार्टी के नाम पर। यहां पर मौसम से लेकर शमशान घाट पर लाशों पर सट्टा लग रहा है। आपको सुनने में आश्चर्य होगा लेकिन सच है कि यहां पर हर चीज पर सट्टा लग रहा है। गली से लेकर पॉश इलाके में सट्टेबाजी का वाइरस फैल गया है। वाहन के रंग और नम्बर, सेंसेक्स, गर्भवती महिला, मोबाइल नम्बर तक सट्टेबाजी की राडार पर है।

हर जगह अलग-अलग होती है सट्टेबाजी

सिटी में हर जगह सट्टेबाजी हो रही है। मसलन हास्पिटल में कर्मचारी गर्भवती महिला पर शर्त लगाते है कि इसके लड़का होगा कि लड़की। शमशान घाट पर लाशों पर सट्टा लगता है कि आज कितनी लाश आएंगी। स्कूल में टीचर क्लास के स्टूडेंट्स पर शर्त लगाते है। व्यापारी मार्केट के भाव पर सट्टा खेलते है। स्टूडेंट्स तो हर चीज में सट्टा खेलते है। जैसे कि रोड पर गुजरने वाली गाड़ी का रंग क्या होगा। मौसम पर भी सट्टा लगता है। बार में कोई कितने पैग पीएगा, इस पर भी सट्टा लगता है।

इस तरह लगता है सट्टा

हर चीज का सट्टा खेलने का तरीका और भाव अलग अलग होता है। क्रिकेट मैच के बाद सबसे ज्यादा सट्टेबाजी सेंसेक्स पर होती है। सोर्सेज के मुताबिक सुबह क्क्.फ्0 बजे जब सेंसेक्स खुलता है, तो भाव लगता है। इसे बोस्टी कहते है। इसके बाद दोपहर क्.फ्0 बजे हेसेंगा पर सट्टा लगता है। दोपहर में फ्.फ्0 बजे सेंसेक्स कितना है, रात में क्0 बजे डेस्क पर सट्टा लगता है। रात में क्ख्.फ्0 सेंसेक्स के बन्द होने पर भी सट्टेबाजी होती है। उसे डाउजोन कहते है।

Posted By: Inextlive