किसी भी देश की इकोनॉमी को मापना हो तो वहां की स्‍टॉक मार्केट पर गौर करना सबसे ज्‍यादा जरूरी होता है। वहां की स्‍टॉक मार्केट से ही उस देश की इकोनॉमी की सही स्‍थिति का पता चलता है। इसी स्‍टॉक मार्केट को आधार मानते हुए विदेशी निवेशक उस देश में सीधे तौर पर इन्‍वेस्‍ट करने का मन बनाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि कोई भी कंपनी हो उसके शेयर को स्‍टॉक मार्केट की मदद से ही खरीदा या बेचा जा सकता है। यही वजह है कि इसके सूचकांक पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी होती हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है स्‍टॉक मार्केट से जुड़े उन तथ्‍यों को जानना जिसपर निर्भर करता है बहुत कुछ। आइए जानें उन्‍हीं रोचक तथ्‍यों के बारे में।


दो नहीं, देश में हैं 12 स्टॉक एक्सचेंज यूं साधारण तौर पर देखा जाए तो ज्यादातर लोग नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बारे में ही जानते होंगे। वहीं आपको बता दें कि पूरे देश में कुल 12 स्टॉक एक्सचेंज हैं। इनमें से सिर्फ 7 एक्सचेंज ऐसे हैं जो परमानेंट हैं। वहीं अन्य 5 एक्सचेंज समय-समय पर अपने लाइसेंस को रिन्यू कराते रहते हैं। इसके अलावा 13 अन्य स्टॉक एक्सचेंजों को शुरुआत की मंजूरी सेबी की ओर से दे दी गई है। 2015 में बना था रिकॉर्ड


आपको अगर याद हो 2015 का वो समय, जब सेंसेक्स रिकॉर्ड 30024 अंक को छूआ भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स ने रिकॉर्ड सबसे नीचले स्तर 113.28 प्वाइंट पर दिसंबर, 1979 में चला गया था। वहीं मार्च, 2015 में सेंसेक्स ने अपने सबसे ऊंचे स्तर को छुआ था। यह 30024 प्वाइंट तक जा पहुंचा था। ऐसा सेंसेक्स के रिकॉर्ड में करीब 35 साल बाद हुआ था। यहां बता दें कि भारत के स्टॉक एक्सचेंज में सेंसेक्स और निफ्टी बेंचमार्क है। यहां हैं दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज

बता दें कि अमेरिका में दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं। एस एंड पी 500 और डाओ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज स्टॉक एक्सचेंज। इसी में शेयर मार्केट का कारोबार होता है। इसी तरह से ब्रिटेन में एफटीईएसई 100 है जो स्टॉक एक्सचेंज के तौर पर काम करता है।इसमें शामिल हैं पांच हजार से भी ज्यादा कंपनियांभारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दुनिया के टॉप स्टॉक एक्सचेंजों में माना गया है। इसका कारण है इसके लिस्टेड मेंबर्स। उधर, बीएसई की सूची में करीब पांच हजार से भी ज्यादा कंपनियों को जगह दी गई है। 2014 में भारत शामिल हुआ टॉप 10 मेंनवंबर, 2014 से भारत, मार्केट कैपिटलाइजेशन के मामले में दुनिया के टॉप 10 मार्केट में शामिल हो गया था। यहां बताना जरूरी होगा कि भारतीय मार्केट कैप्टलाइजेशन लगभग 1,60000 करोड़ रुपए था। यह साफ तौर पर स्वीट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया के मार्केट कैप पर आधारित है।यहां करते हैं सिर्फ दो फीसदी इन्वेस्ट इक्विटी मार्केट, ऐसी मार्केट है, जिसमें सिर्फ दो फीसदी भारतीय परिवार सीधे तौर पर निवेश करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर भारतीय ऐसे जोखिम उठाने के बिल्कुल खिलाफ हैं।यहां से मिलती है ताकत भारतीय स्टॉक मार्केट को एफआईआईएस (फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेर्स्टस) से प्रेरणा और ताकत मिलती है। वहीं दूसरी ओर घरेलू इंस्टीट्यूशनल निवेशकों की मदद से एनआईसी इसका नेतृत्व करती है। एनएसई को मिली है दूसरी जगह

कारोबार के मायने से डेरिवेटिव मार्केट में एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है। कुछ ऐसे आया उछाल याद दिला दें कि 2015 में 30 अप्रैल तक स्टॉक मार्केट का कुल एफ एंड ओ वैल्यू 6.27 लाख करोड़ रुपये था। इसमें 8 फीसदी का उछाल आया। उसके बाद 26 फरवरी 2015 तक यह रिकॉर्ड 5.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 2014 में हुई थी रिकॉर्ड ट्रेडिंग  2014 में शेयर बाजार के इक्िवटी सेग्मेंट में रिकॉर्ड ट्रेडस किए गए। यह 16 मई 2014 में 1.18 करोड़ रुपये के आसपास था।Interesting News inextlive from Interesting News Desk

Posted By: Ruchi D Sharma