जिनकै घर म्ह काली उनकै सदा दिवाली जिनकै घर म्ह धौली उनकै सदा होली। हरियाणा के ग्रामीण अंचल की यह कहावत भैंस-गाय से जुड़ी है। काली-मतलब भैंस। धौली-मतलब गाय। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार मानी जाने वाली गाय कुछ दशकों से उपेक्षित हो गई थी लेकिन मनोहर सरकार की पहल से देसी गाय अब फिर से पशुपालकों की दुलारी बनने लगी है।

दो माह में हुये इतने कृत्रिम गर्भधान
कृत्रिम गर्भाधान के आंकड़े बड़े बदलाव की गवाही दे रहे हैं। इस वर्ष की शुरुआत के मात्र दो माह अप्रैल व मई में ही प्रदेश में 50 हजार से अधिक देसी गायों का कृत्रिम गर्भाधान हो चुका है। जबकि वर्ष 2016-17 में एक वर्ष के दौरान दो लाख 80 हजार गायों का कृत्रिम गर्भाधान हुआ था। इससे पहले पशुपालन विभाग के सीमेन बैंक देसी सांड़ के मामले में रिक्त थे। शून्य उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि पहले देसी गायों की नस्ल सुधारने के प्रति न पशुपालक जागरूक थे और न ही सरकार।

मंत्री जी बोले हो रहा है सुधार
हरियाणा के कृषि एवं पशुपालन मंत्री ओपी धनखड़ की मानें तो हरियाणा में देसी गायों की मांग बढ़ रही है। हमारा पूरा जोर अब नस्ल सुधार पर है। जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़े। गोसरंक्षण व संवर्धन कानून बड़ी लकीर है। पशुपालक खुलकर साथ दे रहे हैं। हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है। जहां देसी गाय का पास्च्युरीकृत ए-2 दूध मार्केट में उपलब्ध कराया जा रहा है। पहले सरकारी स्तर पर देसी गायों के कृत्रिम गर्भाधान की कल्पना तक नहीं थी। सिर्फ क्रॉस ब्रीड चलता था। भाजपा सरकार ने बड़ा बदलाव किया है।

 

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Posted By: Prabha Punj Mishra