आठ साल की उम्र में जब बच्‍चों के हाथों में खिलौना होता है तब उसके हाथों में मेहंदी रचा दी गई। जब उसको खेलना चाहिये था तब उसे सात फेरे लेने पड़े पर कहते हैं ना की जिसमें हौसला होता है कुदरत हमेशा उसका साथ देती है।


21 साल की उम्र में क्वालीफाई किया नीटकुछ ऐसा ही हुआ उसके साथ और उस बच्ची ने 21 साल की उम्र में नीट में क्वालीफाई किया है।आठ साल की उम्र में शादी के बाद भी रूपा यादव ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। रुपा का सपना एक डॉक्अर बनने का है। 21 साल की उम्र में रुपा ने नीट में आल इंडिया रैंक 2612 पाकर 603 का स्कोर बनाया है। रूपा के पति और देवर दोनो पेशे से किसान हैं। दोनो ने शुरुआत से ही रूपा की पढाई में पूरी मदद की। पढाई के खर्च को पूरा करने के लिये रुपा के पति और देवर ने ऑटो रिक्शा भी चलाया। रुपा का जन्म जयपुर के करेरी गांप में एक किसान परिवार में हुआ था। डॉक्टर बनना चाहती है रूपा
जब रूपा कक्षा तीन में थी तब उसकी बड़ी बहन रुक्मा की शादी शंकरलाल से कर दी गई। जो उस समय 12 साल की थी। शादी के बाद भी रुपा ने पढ़ाई नहीं छोड़ी। कक्षा दस की परीक्षा में उसके 84 प्रतिशत अंक आये। कक्षा 12 में भी रुपा ने 84 प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की। उसी साल रुपा ने बीएससी के लिये एप्लाई किया और एआईपीएमटी की परीक्षा भी दी जिसमें उसकी ऑलइंडिया रैंक 23000 आई। रुपा ने कहा कि मेरी रैंक मुझे किसी अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमीशन नहीं दिला सकती थी। जिसके बाद मेरे पति और देवर ने मुझे कोटा पढ़ने के लिये भेजा। जहां मैने एमबीबीएस की तैयारी की।

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Posted By: Prabha Punj Mishra