आज भले ही हम 21 सदी में जीने पर गुरूर करते हैं लेकिन अभी भी बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिनको नजरंदाज से किए जा रहे हैं. बचपन की छोटी छोटी चीजों पर ध्‍यान न देना ही आज की सबसे बड़ी कमजोरी है. जिससे उसका खामियाजा बुढापे तक लोगों को झेलना पड़ता है क्‍योंकि बचपन जीवन की वह कड़ी होती है जहां से भविष्‍य तय होता है. बचपन से ही हमारे शरीर और दिमाग दोनों ही विकास की ओर बढ़ने लगता है. ऐसे में अगर इस उम्र में छोटी छोटी आंतरिक बीमारियों पर ध्‍यान नहीं देंगे ये बीमारियां विकराल रूप ले लेंगी. आइए जानें बचपन को चपेट में लेने वाली 10 बीमारियों के बारे में...


सीखने की कला:सीखने की कला बचपन से ही लोगों में होती है जो उम्र के साथ बढ़ती जाती है. ऐसे में कई बार छोटे बच्चों में सीखने की कैपेसिटी देर से होती है या फिर नहीं होती है. जिससे इसका प्रभाव उनके दिमाग पर पड़ता है और उनमें नई इंफार्मेंशन का संचार नही होता है. जिससे साफ है कि उनकी इस बीमारी का प्रभाव उनके बचपन को ही नहीं बल्िक जब वो बड़े होते हैं उस दौर में भी साफ दिखाई देता है. यह बीमारी काफी तेजी से फैल रही है.प्रतिभाशाली:
बच्चों में प्रतिभा भेंट भी एक विकार की तरह फैलती है. हालांकि यह कान्सेप्ट क्लियर करना काफी मुश्िकल है क्योंकि कल्पनाशीलता और बुद्धि कई बच्चों को उनके पैरेट्स से बतौर भेंट में मिलती है.जिससे वे बचपन से ही नई नई चीजें सीखने की ओर खुद ब खुद आगे बढ़ते हैं. बचपन से ही काफी जिज्ञासु हो जाते है लेकिन उन्हें उस टाइम यह नहीं पता होता है कि वह क्या और क्यों सीख रहे हैं.भाषा में देरी:


अक्सर बच्चों में देखा जाता है कि वह भाषा को सुनते तो है लेकिन उसे देर से समझते हैं. जिससे साफ है कि उनके अंदर भाषा कौश्ाल काफी देर से डेवलप हुआ है. ऐसे में अगर बच्चों के अंदर यह लक्षण दिख रहे हैं तो उन्हें बजाय डाटने के उसे भाषा पर पकड़ बनाने के लिए एक्साइटेड करें. भाषा विकास के लिए उसे उसकी जानकारी देने के साथ ही उसकी गहराई को समझाएं.व्यापक विकास में कमी:यह बीमारी आज काफी तेजी से बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है. इसमें बच्चों का विकास काफी निचले स्तर पर होता है. उनके अंदर स्वाद, गंध,त्वचा और अहसास जैसी एक्िटविटीज काफी धीमी होती है. वह इन चीजों पर खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दे पाते हैं. मौसमी प्रभाव:अक्सर बच्चों को यह कहकर नजरंदाज कर दिया जाता है कि यह काफी मूडी है, लेकिन यह एक बीमारी होती है. कई बच्चों पर जाड़ा,गर्मी,बसंत और बसंत का प्रभाव पड़ता है. उनका शरीर और दिमाग मौसम के मुताबिक बैलेंस नहीं बना पता है. जिससे वे किसी काम को ठीक से नहीं कर पाते हैं.विकास विकार:यह बीमारी बहुत ही साधारण लेकिन काफी घातक है. बचपन में उनका सही समय पर विकास नही होता है. सही उम्र पर उन्हें जरूरत की चीजें नहीं मिलती हैं. जिससे उन्हें बडे़ होने पर परेशानी होती है.व्यवहार विकार:

व्यवहार मतलब रिएक्ट, इसका हमारी लाइफ पर काफी प्रभाव पड़ता है. मनोचिकित्सकों और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी इस बात को स्वीकार किया है. यह व्यवहार विकार आसपास के माहौल से ही डेवलप होता है.मस्तिष्क संबंधी विकार: मस्तिष्क संबंधी समस्या भी एक बड़ी बीमारी के रूप में उभरी है. जो नसों से जुड़ी होती है क्योंकि नसों की सारी हलचल सीधे दिमाग से कनेक्ट होती है. अक्सर बच्चों में यह समस्या देखने को मिलती है. जिसके परिणाम स्वरूप पक्षाघात जैसी बीमारी अधिक बढ़ती हैं.बहरापन:यह बीमारी सामान्य तौर पर बच्चों में देखने को मिलती है लेकिन ऐसे में उस पर लापरवाही बरतने की बजाय उसे चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए. समय पर चिकित्सकीय इलाज से इस बीमारी से निजात मिल जाती है.दृष्टिहीनता:इस बीमारी में भी न्यूरॉन्स और फिजियोलॉजी का अहम रोल होता है. इस बीमारी से बच्चों में अंधापन आ जाता है और उनका जीवन काफी संकट भरा हो जाता है.

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Posted By: Shweta Mishra