अमेरिका और ब्रिटेन में इनदिनों वहां के कुछ पॉलीसी को लेकर काफी परेशान हैं। जहां एक ओर अमेरिका के आव्रजन नीति के फेर में 52 भारतीय फंस गए हैं तो वहीँ ब्रिटेन के उदार वीजा पॉलीसी से भारतीय छात्र परेशान हैं।

52 भारतीयों को लिया गया हिरासत में
वाशिंगटन/लंदन (पीटीआई)।
अपने लाइफ को बेहतर बनाने की होड़ में अमेरिका पहुंचे 52 भारतीयों समेत 123 अप्रवासी ट्रंप प्रशासन की नई आव्रजन नीति के फेर में फंस गए हैं। इन्हें हिरासत में ले लिया गया है। इनमें ज्यादातर दक्षिण एशियाई बताए जा रहे हैं, जबकि भारतीयों में ज्यादातर सिख और ईसाई अमेरिकी हैं। मीडिया के अनुसार, 123 अप्रवासियों को ओरेगन प्रांत के यमहिल काउंटी की शेरिडान जेल में रखा गया है। वकील वैलेरी कौर ने ट्वीट कर बताया है कि पकड़े गए 123 अप्रवासियों में करीब 70 दक्षिण एशियाई हैं। इनमें से 52 भारतीय, 13 नेपाली और दो बांग्लादेशी हैं। इसके अलावा वहीँ ब्रिटेन की सरकार ने भी उदार वीजा नीति से भारतीय छात्रों को बाहर किए जाने का कारण अब साफ कर दिया है।
ब्रिटिश सरकार ने नई सूची से किया भारत को बाहर
ब्रिटिश सरकार का कहना है कि भारत को उन देशों की नई सूची से बाहर कर दिया गया है जिनके छात्र ब्रिटिश यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया में राहत पा सकते हैं। इस सूची से भारत को बाहर किए जाने की वजह अवैध भारतीय प्रवासियों का अनसुलझा मामला है। बता दें कि ब्रिटेन ने नई सूची में चीन, मालदीव, मेक्सिको और बहरीन समेत 25 देशों को शामिल किया है। लंदन में बीते सोमवार को ब्रिटेन-भारत वीक से इतर फॉक्स ने कहा, 'हमें भारत के साथ निरंतर बातचीत करने की जरूरत है। हमेशा से आसान नियमों की मांग होती रही है, लेकिन हम इन मसलों के हल के बिना इन पर गौर नहीं कर सकते।'
ये है आव्रजन नीति
ट्रंप सरकार ने अवैध रूप से सीमा पार करने वालों को लेकर नियमों में बदलाव किया है। इसके चलते वयस्कों को सीधे हिरासत में लिया जा रहा है। नतीजन, बच्चे अपने परिवार से दूर होने को मजबूर हो गए हैं। जबकि पुराने नियम के अनुसार पहली बार सीमा पार करने वालों पर साधारण अपराध का मुकदमा दर्ज किया जाता था। बता दें कि अमेरिका की नई आव्रजन नीति के कारण 19 अप्रैल से 31 मई के बीच करीब दो हजार से ज्यादा अप्रवासी बच्चे अपने परिवार से बिछड़ गए हैं। पिछले दिनों अमेरिका में इस नीति का जमकर विरोध हुआ, जिसमें अमेरिका की फ‌र्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के प्रमुख जेड राड अल हुसैन भी शामिल रहें।

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Posted By: Mukul Kumar