दस मिनट में बच्चों का भविष्य तैयार
-14 दिन में जांची गई 7.50 लाख कॉपियां
-गोरखपुर में तय समय पर हो गया मूल्यांकन -50 प्रतिशत टीचर्स की मौजूदगी में जांची गई कॉपियां लॉकडाउन में यूपी बोर्ड के बच्चों का भविष्य भी लॉक हो गया था। यूपी बोर्ड हाई स्कूल और इंटर का सही समय से रिजल्ट जारी हो सके इसके लिए टाइम से मूल्यांकन कार्य शुरू तो किया गया, लेकिन कोरोना ने सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। ऐसा लग रहा था कि इस बार रिजल्ट देर से ही आएगा। लेकिन स्थितियों में सुधार दिखा तो मूल्यांकन कार्य गोरखपुर में एक बार फिर 12 मई से शुरू हो गया। इसके बाद केवल 14 दिनों में ही 7.50 लाख कॉपियों का मूल्यांकन पूरा कर लिया गया। इस हिसाब से टीचर ने एक कॉपी पर करीब 10 मिनट खर्च किया। जबकि, बोर्ड ने एक कापी चेक करने के लिए कम से 15 मिनट का मानक बना रखा है।50 प्रतिशत टीचर ने दिखाई स्पीड
गोरखपुर में मूल्यांकन के लिए 6 सेंटर बनाए गए थे। जहां पर कॉपियां चेक करने के लिए 2985 टीचर की ड्यूटी लगाई गई थी। 14 दिन तक चले मूल्यांकन कार्य में 50 प्रतिशत टीचर ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाए। बाकी टीचर मूल्यांकन के लिए सेंटर आने में असमर्थ रहे। बावजूद इसके कम टीचरों ने ही मूल्यांकन कार्य को तेजी से निपटाया। जबकि, पहले दिन शिक्षक नेता के विरोध से दोपहर करीब 2 बजे से मूल्यांकन कार्य शुरू किया गया। बीच -बीच में ये विरोध होता रहा।
बोर्ड ने 15 मिनट का मानक बनाया बोर्ड ने एक कॉपी पर कम से कम 15 मिनट समय देने का मानक बनाया है। लेकिन गोरखपुर में एक टीचर छह घंटे में करीब 35 कॉपियां चेक कर रहा है। जबकि, छह घंटे लगातार कोई ड्यूटी नहीं करता है। इसमे वॉशरूम और लंच के लिए भी टीचर टाइम जरूर निकालते हैं। छह घंटे के अनुसार भी कॉपियों को जांचने का प्रतिशत निकाला जाए तो टीचर ने एक एक कॉपी के मूल्यांकन पर करीब 10 मिनट का समय लिया। इस तरह से बच्चों की तीन घंटे की मेहनत केवल 10 मिनट में ही धो दी गई। बोर्ड का रिजल्ट तय करता है फ्यूचर हाई स्कूल और इंटर का रिजल्ट के मॉर्क्स हर कॉम्प्टीशन में मैच किए जाते हैं। इसलिए स्टूडेंट भी बोर्ड एग्जाम में पूरी मेहनत से एग्जाम देते हैं। उसका टारगेट अच्छा रिजल्ट लाने का होता है। यह है मानक -हाई स्कूल और इंटर की कॉपियों को जांचने का अलग-अलग मानक बनाया गया है।-हाई स्कूल के एग्जामनर के लिए अधिकत 50 कॉपियों के मूल्यांकन का मानक बनाया गया है।
-इंटर के एग्जामनर के लिए अधिकतम 45 कॉपियों का मूल्याकंन का मानक बनाया गया है। -सिटी में 6 मूल्यांकन सेंटर बनाए गए हैं। -जिले में जांचने के लिए आई थी 7.50 लाख कॉपियां। -मूल्यांकन के लिए 2985 टीचर की ड्यूटी लगाई। -इसमें से 50 प्रतिशत टीचर ही हुए मौजूद। डेली 35 मिनट यहां खर्च करते हैं एग्जामनर -टीचर को एवार्ड ब्लैंक भरना अनिवार्य होता है। -एवार्ड ब्लैंक ओएमआर पैटर्न पर होता है। -एवार्ड ब्लैंक में मिली कॉपियों की डिटेल भरनी होती है। -प्रत्येक रोल नम्बर के आगे मूल्यांकन के बाद मिले अंक लिख कर ओएमआर शीट में ब्लैंक स्पॉट फिल करना होता है। -लास्ट में उनका टोटल मिले नम्बर फिल करना होता है। -स्टूडेंट ने कितनी कॉपी ली ये भी भरना होता है। -कम से कम 35 मिनट इस शीट को भरने में लगता है। टीचर की उपस्थिति 12 मई- 1017 13 मई- 1184 14 मई- 1317 15 मई-1676 16 मई-1707 17 मई-1734 18 मई-1678 19 मई-1588 20 मई- 1541 21 मई- 1380 22 मई-1049 23 मई- 563 24 मई- 433 26 मई-150 वर्जन-विरोध के बाद भी कॉपियों का मूल्यांकन सही समय पर पूरा करा लिया गया है। लॉकडाउन से कुछ वित्त विहिन और रिटायर्ड टीचर जिनकी डयूटी मूल्यांकन में लगाई गई थी वे उपस्थित नहीं हो पाए। बाकी टीचरों ने अच्छे से काम किया है।
ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह भदौरिया, डीआईओएस