UP Election results 2017: यूपी में इसलिए चला मोदी मैजिक, अगर नहीं पता तो जान लीजिए
LUCKNOW: यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने वाली भारतीय जनता पार्टी की जीत का मजमून कुछ दिन पहले ही तय हो गया था। चुनाव की आहट के साथ ही यह भी माना जाने लगा कि यूपी और उत्तराखंड के चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का पैमाना भी तय कर देंगे। साथ ही भाजपा के राष्ट्रवाद के नये फार्मूले की सफलता का पता भी लग जाएगा। चुनाव से तीन माह पहले सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी से फिर सियासी समीकरण बदलने लगे और विपक्ष इन दोनों को मोदी सरकार की विफलताओं के रूप में जनता के सामने लेकर गया लेकिन उनका यह दांव उल्टा पड़ गया और यूपी में भाजपा के राष्ट्रवाद और नोटबंदी के बाद अमीर-गरीब के बीच की लड़ाई का फायदा उसे मिला।
ध्रुवीकरण और नोटबंदी सबसे अहम
बसपा ने चुनाव से पहले 97 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देकर वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की जो भाजपा के लिए मुफीद साबित हुई। इसका फायदा यह हुआ कि मुस्लिम वोट बैंक तो बसपा और सपा में बंट गया लेकिन भाजपा को हिंदू वोट बैंक पूरी तरह अपने पाले में करने में कामयाबी मिल गयी। बताना मौजू है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का दलित वोट भी इसी तरह अचानक हिंदू वोट बैंक में तब्दील होकर भाजपा के खाते में चला गया था। वोट बैंक का जाना किसी भी पार्टी के लिए सबसे बुरी स्थिति होती है। याद रहे कि 1996 के विधानसभा चुनाव में 56 विधायकों के साथ कांग्रेस ने बसपा के साथ गठबंधन करने का फैसला लिया था नतीजतन उसका दलित वोट बैंक समय के साथ बसपा के पाले में चला गया जो वापस नहीं आया। यही वोट बैंक 2014 के चुनाव में बसपा से भाजपा के पाले में शिफ्ट हुआ जो हालिया विधानसभा चुनाव तक बरकरार है। कुछ ऐसा ही हाल सपा का गढ़ माने जाने वाली सीटों पर भी देखने को मिला जहां रार के बाद असंतुष्ट नेताओं ने बसपा को वोट देने की अपील तो की लेकिन यादव वोट बैंक ने बसपा के मुकाबले भाजपा पर भरोसा कर उसके पक्ष में मतदान कर दिया।
Story by: ashok.mishra@inext.co.in
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