बराक ओबामा एक बार फिर यूएसए के प्रेसीडेंट चुन लिए गए हैं. उन्हों ने रिपब्लिकन उम्मी दवार मिट रोमनी को हराया. इसके साथ व्हाइट हाउस पर डेमोक्रेटस का कब्जा चार साल और बरकरार रहेगा.


ओबामा की जीत की खबर आते ही उनके होम टाउन शिकागो, न्यूयार्क टाइम्स स्क्वायर और व्हाइट हाउस के बाहर समर्थकों में खुशी की लहर दौड गई. वहीं मिट रोमनी के बोस्टन स्थित हेडक्वार्टर पर सन्नाटा छा गया. टिवटर पर अपनी जीत की औपचारिक घोषणा करते हुए ओबामा ने लिखा कि हम सब इसमें साथ हैं, हमने इसी तरह कैंपेन किया और यह कि हम ऐसे ही हैं, शुक्रिया.  कुछ ही समय के भीतर इसे 88000 बार रिटवीट किया गया. (ओबामा के पास 80 लाख डॉलर के assets)अमरीकी मीडिया के मुताबिक जनता ने ओबामा के पिछले कार्यकाल की नीतियों जिनमें हेल्थकेयर सिस्टम में बदलाव और इराक व अफगानिस्ताकन से अमरीकी सैनिकों की वापसी के प्रति समर्थन जताया है. (ओबामा ने की पाक की अनदेखी)


ओबामा ने युवाओं, अल्परसंख्यकों और कॉलेज में पढी महिलाओं को अपने साथ जोडने में कामयाबी पाई.  इसके अलावा महत्वपूर्ण राज्यों जैसे ओहियो, आइवा और विस्कामसिन में सुनिश्चिचत किया कि उनके सपोर्टर्स घर से बाहर निकलकर वोट डालने आएं.

फ्लोरिडा और वर्जीनिया जैसे स्टेट जो दोनों उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण थे में ओबामा और रोमनी के बीच सिर्फ एक परसेंटेज प्वाइंट का अंतर रहा. ओहियो में भी मुकाबला काफी करीबी था. व्हाइट हाउस और यूएस कांग्रेस के दोनों सदनों के लिए हुए चुनाव में कैंपेन के दौरान छह बिलियन डॉलर से अधिक खर्च हुए. इसके बावजूद वहां कुछ नया देखने को नहीं मिलेगा. व्हाइट हाउस में पहले की तरह बराक ओबामा बने रहेंगे वहीं सीनेट पर डेमोक्रेटस और हाउस पर रिपब्लिंकंस का कब्जा रहेगा.  (क्या क्लिंटन ने ओबामा को अयोग्य कहा था)चुनाव के ठीक पहले ओबामा ने ओहियो में अपनी ताकत लगा दी थी. जिसके बारे में कहा जा रहा था कि जीत का रास्ता् वहीं से होकर गुजरेगा. आखिरकार हुआ भी यही और उनकी जीत ओहियो के वोटर्स ने तय की.जहां एक ओर रिपब्लिकंस आखिरी मौके तक उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए जूझते नजर आए वहीं ओबामा ने नार्थ में पहले ही एड कैंपेन शुरू कर दिया था. जिसका उन्हें फायदा भी मिला. ओहियो के 59 परसेंट वोटर्स ने स्टेट की इकोनॉमी के लिए जरूरी आटो मैन्यूफैक्चरर्स को दिए गए बेलआउट पैकेज पर खुशी जताई थी.

यह चुनाव अपने आप में इसलिए भी ऐतिहासिक थे कि पहली बार कोई ब्लैक प्रेसीडेंट पहले मॉरमॉन प्रेसीडेंशियल नॉम्नी के खिलाफ चुनाव लड रहा था. हालांकि अंत में चुनाव का फैसला आइडेंटिटी की बजाय इकोनॉमी पर हुआ. (समलैंगिकों की शादी के पक्ष में बराक ओबामा)   यह चुनाव ऐसे समय में हुए जब इकोनॉमी की रिकवरी की स्पीड बेहद धीमी है. बहुत पहले ही दोनों कैंडिडेटस को समझ आ गया था कि रेस इकोनॉमी पर आकर ही टिकेगी. दोनों ने ही महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही मिडिल क्लास फैमिलीज को लुभाने की पूरी कोशिश की. ओबामा ने वोटरों को बार-बार याद दिलाया कि ग्रेट डिप्रेशन के बाद की अब तक की सबसे खराब इकोनॉमिक कंडीशंस में उन्होंने गददी संभाली थी. यह उनकी पॉलिसीज का असर है कि हालात सुधर रहे हैं और बेरोजगारी में कमी आ रही है.ओबामा ने रोमनी की छवि एक ऐसे मिलिनेयर के तौर पर पेश की जो रिएलिटी से दूर और मिडिल क्लोस की कीमत पर अमीरों की मदद करना चाहते हैं. ऐसा माना जा रहा  है कि वह लोगों को यह बात समझाने में कामयाब रहे. ओपिनियन पोल के दौरान ज्यादातर लोगों ने  कहा था कि इकोनॉमिक सिस्टम सभी लोगों के लिए समान होने की बजाय अमीरों के पक्ष में झुका हुआ है.
ओबामा और रोमनी के बीच चुनावी जंग में हेल्थ केयर, एबार्शन और टैक्स जैसे मुद़दे भी छाए रहे. यह अमरीका के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे महंगा कैंपेन था, जिसके लिए प्रत्येक उम्मीरदवार ने अलग-अलग एक बिलियन डॉलर से अधिक की राशि जुटाई. (ओबामा को नाश्ता कराकर चल बसी)

Posted By: Surabhi Yadav