- साइबर सेल के अनुसार बैंक प्रबंधन नहीं दे रहा साथ

- डीआईजी ने भेजा बैंकों को सहयोग करने के लिए पत्र

आगरा। प्रदेश में नोटबंदी के बाद साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। बैंक खाते भरे हुए हैं, ऐसे में साइबर शातिर के लिए खुला मौका है। शातिर बैंक अधिकारी बन फोन करते हैं। लोगों से बैंक अकाउंट की डिटेल जुटाते हैं। इसके बाद अकाउंट से रकम पार कर लेते हैं। साइबर सेल ने कई मामलों में पीडि़त के रुपये वापस कराए हैं, लेकिन बैंक प्रबंधन के साथ नहीं देने के चलते अब भी कई पीडि़तों का रुपया फंसा हुआ है। ऐसे में डीआईजी ने बैंक अधिकारियों को पत्र लिखा है।

दो तीन मामले होते हैं दर्ज

साइबर सेल की मानें तो दो से तीन मामले रोज साइबर क्राइम के दर्ज किए जाते हैं। अधिकतर मामले में 10 से 20 हजार रुपये की ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन वॉलेट से रकम उड़ाने, अकाउंट से कैश ट्रंासफर आदि के आते हैं। इसमें अकाउंट से अन्य बैंक अकाउंट में कैश ट्रांसफर के मामलों को साइबर सेल लगातार ट्रेस करती हैं। अमाउंट किसी न किसी बैंक के अकाउंट में जमा पाया जाता है।

कई के रुपये कराए वापस

डीआईजी की साइबर सेल में दर्ज हुए मामलों में कई पीडि़तों के रुपये वापस कराए गए हैं। बेलनगंज निवासी कृष्ण कुमार को साइबर शातिर ने कॉल कर उसके व उसके पिता के अकाउंट से रुपया निकाल लिया था। साइबर सेल ने रुपया वापस कराया, दयालबाग निवासी शांति के अकाउंट से भी रुपया निकला था। इनका कुछ रुपया वापस हुआ है, कुछ रह गया है।

बैंक नहीं कर रही है सहयोग

साइबर सेल ने कई पीडि़तों का पैसा तो वापस कराया है, लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में पीडि़तों का रुपया फंसा हुआ है। बैंक रुपया वापस करने में सहयोग नहीं कर रही है। बैंक से बात करने पर हेड ऑफिस सम्पर्क करने की बात बोली जाती है। इससे अपराधी को जमा धनराशि को यूज करने का समय मिल जाता है। साइबर सेल ने अब तक एक लाख 20 हजार रुपये वापस कराए हैं, जबकि दो से ढाई लाख बैंक खातों में पड़ा हुआ है।

प्रदेश स्तर के अधिकारी को बनाया निशाना

साइबर के शातिरों ने एक प्रदेश स्तर के अधिकारी को निशाना बना लिया था। खाता बंद होने का झांसा देकर अकाउंट से 20 हजार रुपये अकाउंट से पार कर दिए। साइबर सेल ने मामले में 10 हजार रुपये वापस कराए हैं, बाकि की प्रक्रिया चल रही है। शातिरों ने बैंक प्रतिनिधि बनकर कॉल किया था।

Posted By: Inextlive