छात्र गुटों में विवाद के बाद हरीपर्वत थाने में मारपीट और हंगामा करने वाले छात्र गुटों पर पुलिस ने सरकारी कार्य में बाधा समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. एनएसयूआई और एबीवीपी के 35 अज्ञात सदस्यों को पुलिस ने आरोपी बनाया है. खास बात यह है कि थाने में हंगामे से पहले खंदारी में हुई मारपीट में न्यू आगरा थाने में नामजद मुकदमा लिखा गया है.


आगरा(ब्यूरो)। उसमें एनएसयूआई के 11 लोग नामजद हैं। आठ आरोपी के नाम अज्ञात हैं। उन्हीं छात्रों द्वारा हरीपर्वत में हंगामा और मारपीट की गई पर पुलिस मुकदमे के दौरान किसी का नाम पता नहीं कर पाई। एनएसयूआई के छात्रों ने पुलिस पर दबाव में कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है।

थाना परिसर में दो गुटों में मारपीट
शुक्रवार को डॉ। भीमराव अंबेडकर विवि के खंदारी परिसर में छात्र गुटों में मारपीट हुई थी। कार्रवाई के लिए दोनों पक्ष हरीपर्वत थाने पहुंचे थे। थाना परिसर में ही दोनों गुटों में मारपीट हुई थी। इसके बाद दोनों पक्ष न्यू आगरा पहुंचे और एक-दूसरे के खिलाफ जानलेवा हमले की तहरीर दी थी। न्यू आगरा थाने में एनएसयूआई के सतीश सिकरवार, राजन ठाकुर, कुलदीप दीक्षित, मुकुल यादव, अभिषेक चौधरी, शिव प्रताप, रोहित गौतम, आलेाक गौतम, आकाश उर्फ अंकी, धर्मेंद्र बघेल, ऋषि सिसौदिया और सात-आठ अज्ञात युवकों को आरोपी बनाया गया है। मुकदमा पलोखरा, मनसुखपुरा के रहने वाले छात्र अनिल की तहरीर पर हुआ है।

सरकारी कार्य में बाधा, मारपीट
हरीपर्वत थाने में वरिष्ठ उपनिरीक्षक राजकुमार की ओर से बलवा, सरकारी कार्य में बाधा, मारपीट, गाली-गलौज, सात क्रिमिनल लॉ एक्ट का मुकदमा लिखाया गया है। मुकदमे में दोनों गुटों के राजनीतिक दलों के नाम हैं पर आरोपी के नाम नहीं खोले गए हैं। इंस्पेक्टर हरीपर्वत आलोक कुमार ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज देखकर आरोपियों को चिह्नित किया जा रहा है। आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस के बड़े नेता करेंगे आयुक्त से मुलाकात
हत्या के प्रयास के मुकदमे में नामजद एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष सतीश सिकरवार ने पुलिस पर आरोप लगाए हैं। सतीश का कहना है इस दौरान परिसर में मारपीट हुई वह मौजूद नहीं थे। परिसर के बाहर उनके ऊपर हमला हुआ। वह और साथी चोटिल हो गए। उल्टा उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का दल पुलिस आयुक्त से मुलाकात करेगा।

पुलिस को भी छात्रों के भविष्य बर्बाद होने का दुख
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय का कहना है कि छात्रों को अभी अहसास नहीं है कि मुकदमा होने पर क्या नुकसान होता है। आरोपियों के पासपोर्ट नहीं बनेंगे। पासपोर्ट है तो दोबारा नहीं बनेगा। जब भी पुलिस सत्यापन कराया जाएगा तो मुकदमे का जिक्र होगा। चरित्र प्रमाण पत्र नहीं बनवा सकेंगे। सरकारी नौकरी मिलने में परेशानियां सामने आएंगी। आरोपियों के आधार कार्ड के आधार पर उनका मूल पता खोल दिया जाएगा।

Posted By: Inextlive