सिस्टम की खामी और कोरोना महामारी का उठाया फायदा
पहली बार: हत्यारों ने हत्या के बाद शव का शमशान घाट में किया अंतिम संस्कार
आगरा। सचिन चौहान हत्याकांड में हत्यारोपियों ने सिस्टम की बड़ी खामी को उजागर किया। इसमें उन्हें कोरोना महामारी की भी मदद मिली। ये शायद पहली ऐसी घटना है जब हत्यारों ने शव ठिकाने लगाने के लिए शमशान घाट को चुना। खुलेआम अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां भी ले गए। एक को छोड़ सभी पर अव्यवस्थाए शहर में ताजगंज शमशान घाट को छोड़कर अन्य की हालत दयनीय है। किसी शमशान घाट पर क्षेत्रीय लोगों की मदद से व्यवस्था चल रहीं है तो कहीं सामाजिक संस्थाएं शमशान घाट का मेंटीनेंस कर रहीं हैं। बल्केश्वर शमशान घाट में व्यवस्थाएं सकारात्मक फाउंडेशन समेत अन्य सामाजिक संस्थाओं की मदद से संचालित हैं। सीसीटीवी कैमरे भी नहींताजगंज शमशान घाट को छोड़कर अन्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे भी नहीं है। इसी का हत्यारों ने फायदा उठाया। उन्होंने शव को ठिकाने लगाने के लिए बल्केश्वर शमशान घाट को चुना। यहां न तो सीसीटीवी कैमरे हैं और न ही कोई कमेटी। यहां कर्मचारियों को चकमा दे दिया। शव का अंतिम संस्कार कर गए।
नहीं मांगते आईडी प्रूफअंतिम संस्कार के लिए शव लेकर जब परिजन पहुंचते हैं, तो उनसे कोई आईडी नहीं मांगी जाती। अगर आईडी मांगते भी हैं तो सिर्फ औपचारिकता के लिए। टालमटोल या इंकार करने पर बिना आईडी के ही सामान दे दिया जाता है। जो परिजन बताते हैं वही डिटेल नोट कर ली जाती है। रसीद काटकर दे दी जाती है। ऐसे में सवाल है कि ऐसे तो कोई भी आपराधिक घटना के बाद गलत जानकारी देकर अंतिम संस्कार करा जाएगा?
कोरोना के चलते शव से दूरी कोरोना संक्रमित के शव से परिजन के साथ शमशान घाट कर्मचारी भी एक तय दूरी बनाकर रखते हैं। पीपीई किट में आने वाले शव को खोला भी नहीं जाता है। महामारी के इस दौर का हत्यारों ने फायदा उठाया। वह शव पीपीई किट में लेकर पहुंचे। अंदर भी शव कपड़े में बंधा था। इसके चलते शमशान कर्मचारियों को भी शक नहीं हुआ। वर्जन कोई भी कोविड बॉडी आती है तो परिजनों से हॉस्पिटल की स्लिप मांगी जाती है। कोविड रिपोर्ट भी मांगी जाती है। कैंपस में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। परिजनों से आईडी भी ली जाती है। संजीव कुमार गुप्ता, प्रभारी, विद्युत शवदाह प्रभारी, क्षेत्र बजाजा कमेटीबल्केश्वर शमशान घाट पर व्यवस्थाएं कई सामाजिक संस्थाओं की मदद से संचालित हैं। इस घटना के सामने आने के बाद घाट पर कर्मचारियों से परिजनों की आईडी लेने के लिए कह दिया गया है।
अमित ग्वाला, पार्षद व चेयरमैन, सकारात्मक फाउंडेशन ताजगंज मल का चबूतरा बल्केश्वर कैलाश घाट पोइया घाट