नगर निगम की टीम ने गुरुवार को मजदूरों की मदद से मकानों को ढहाया मलबे के भीतर दबे सामान को निगम की टीम ने परिजनों को सौंपा टीला माईथान में धर्मशाला के बेसमेंट में खोदाई के दौरान हुए हादसे के बाद क्षेत्र के व्यापारियों की भी मुसीबतें बढ़ गई हैं. नातिन की याद में बाबा के आंसू थम नहीं रहे हैं उन्होंने मलबे से निकाले पीतल के बर्तनों को भी लेने से इंकार कर दिया.


आगरा(ब्यूरो)। सिटी स्टेशन रोड पर अधिक फर्नीचर की दुकानें और कारखाने हैं। यहां निर्माण से लेकर सामान की बिक्री होती है। रायबहादुर विशंभर नाथ धर्मशाला में हादसे के बाद इस बंद मार्ग को खेल दिया गया है। बुधवार को शुरू किया गया मिट्टी डालने का कार्य गुरुवार को पूरा किया गया, इसके बाद आधे गिरे मकानों को निगम की टीम ने मजदूरों की मदद से ढहाने का कार्य किया। इससे पहले मिट्टी का डाट लगाई गई थी, जिससे मकानों तक आसानी से पहुंचा जा सके।

मलबेे से बरामद सामान देख झलका दर्द
टीला माईथान में टूटी सीवर, गलियों में सन्नाटा पसरा रहा। वहीं आधे गिरे मकानों को ढहाने के बाद उनमें से सामान को बरामद किया गया। इससे पहले निगम की टीम ने उन मकानों के मालिकों को बुलाया था जिससे उनके सामने इस प्रोसेस को पूरा किया जा सके। मौके पर मौजूद रुसाली के दादा भी वहीं थे, उनके पीतल के बर्तनों को जब निगम की टीम लेकर उनके पास पहुंची तो उन्होंने लेने से इंकार कर दिया, कहा कि जब सोने जैसी नातिन ही चली गई तो मिट्टी के बर्तनों का क्या होगा।


मकानों को ढहाने के बाद गुरुवार को टीम ने सामान निकाला है, जिसमें नातिन के खिलौने और पीतल के बर्तन के अलावा अन्य सामान भी मिला है। जब सब कुछ चला गया तो पीतल के बर्तन ही लेकर क्या होगा।
मुकेश शर्मा, पीडि़त

बाजार में 80 से अधिक दुकान हैं। व्यापारी पीडि़त परिवारों के साथ हैं। मगर, धर्मशाला हादसे के बाद मार्ग पर अक्सर जाम रहता है। इससे ग्राहकों को परेशानी होती है। शादियों के सीजन में समस्या हो रही है। पुलिस प्रशासन को आगे आना चाहिए।
मनोज, टीला माईथान

घटना के बाद दुकानों में ग्राहक नहीं आ रहे हैं। कई दुकानें बंद हैं। इस कारण बिक्री नहीं हो रही है। घर कैसे चलेगा बस यही चिंता सता रही है। प्रशासन को आर्थिक मदद करनी चाहिए।
श्री चंद झा, टीला माईथान

Posted By: Inextlive