15 अप्रैल की रात काल्विन अस्पताल में अतीक व अशरफ की गोली मारकर की गई थी हत्यापुलिस कस्टडी में था अतीक और अशरफ तीन युवकों ने घेर कर मारी थी 13 गोली

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शायद ही किसी ने सोचा हो कि माफिया अतीक अहमद और अशरफ की बादशाहत अंत ऐसा होगा। माफिया अतीक की आवाज की गुर्राहट से प्रयागराज ही नहीं आसपास के न जाने कितने जिले थर्रा जाते थे। उस अतीक को मामूली से दिखने वाले तीन युवकों ने गोली मार दी। युवकों ने पुलिस कस्टडी में रहे अतीक और अशरफ को गोली मारकर सनसनी फैला दी। जिसने भी घटना को सुना उसे पलभर के लिए यकीन ही नहीं हुआ कि माफिया का अंत ऐसा होगा। 45 साल की बादशाहत आठ गोली में खत्म हो गई।

दर्ज होता गया मुकदमा
माफिया अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ। इसके बाद एक एक कर सौ से अधिक मुकदमें अतीक पर दर्ज हुए। जितनी तेजी से माफिया अतीक ने अपराध की दुनिया में नाम कमाया उतनी ही तेजी से राजनीति में भी अतीक का कद बढ़ा। उधर मुकदमों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही थी, और इधर अतीक राजनीति की सीढिय़ां चढ़ता जा रहा था। अतीक शहर पश्चिमी से विधायक बना फिर फूलपुर से सांसद चुना गया। अतीक के नाम का डर प्रयागराज के सिर चढ़कर बोला।

केवल एक केस में मिली सजा
28 फरवरी 2006 को राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल का अपहरण
1 मार्च 2006 को उमेश पाल ने अतीक के पक्ष में हलफनामा दिया।
5 जुलाई 2007 को उमेश पाल ने अपहरण का केस दर्ज कराया।
24 फरवरी 2023 को कोर्ट में गवाही देकर लौटे उमेश पाल की हत्या
28 मार्च 2023 को उमेश पाल अहरण कांड में अतीक दोषी करार
15 अप्रैल को अतीक और अशरफ की हत्या
3 युवकों ने घेरकर मारी गोली


यहां से शुरू हुई अंत की कहानी
राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के साथ ही माफिया अतीक के अंत की कहानी शुरू हो गई। उमेश पाल का अपहरण अतीक अहमद ने कराया था। इस मामले की गवाही देकर 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल अपने घर लौटा। घर के ठीक सामने उमेश पाल को घेर कर गोली मार दी गई। इसके बाद से माफिया अतीक के कुनबे पर पुलिस का कहर टूटने लगा।

साबरमती से लाया गया अतीक
माफिया अतीक अहमद अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद था। उमेश पाल हत्याकांड में फाइनल सुनवाई के लिए 28 मार्च को अतीक को साबरमती से प्रयागराज लाया गया। यहां कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उमेश पाल अपहरणकांड में अतीक को दोषी ठहराया। इसके बाद अतीक को नैनी जेल में रखा गया। उमेश पाल हत्याकांड में बरेली जेल से अशरफ को लाया गया। दोनों को पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में रिमांड पर लिया।

15 अप्रैल की रात मारा गया माफिया
धूमनगंज पुलिस उमेश पाल हत्याकांड की तफ्तीश कर रही थी। तात्कालीन धूमनगंज इंस्पेक्टर अतीक अहमद और अशरफ को लेकर काल्विन अस्पताल पहुंचे। रात में पुलिस दोनों का मेडिकल कराने अस्पताल ले गई थी। रात में करीब सवा नौ बजे दोनों भाई अस्पताल की बिल्डिंग से बाहर निकले। अस्पताल परिसर में दोनों भाइयों से कुछ मीडियाकर्मियों ने बात करनी चाही।

अस्पताल में शुरू हो गई फायरिंग
माफिया अतीक और अशरफ बाहर की तरफ निकल रहे थे। सामने की तरफ कुछ मीडिया कर्मी थी। तभी लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह ने फायरिंग शुरू कर दी। एक के बाद एक तेरह राउंड गोली चली। माफिया अतीक और अशरफ की मौत हो गई। अचानक गोली चलने से भगदड़ मच गई। मगर हैरत रही कि तीनों ने भागने की कोशिश नहीं की। तीनों को देखकर पुलिस ने घेराबंदी की। मगर तीनों ने सरेंडर कर दिया।

आठ गोली लगी अतीक को
घटना से सनसनी फैल गई। मौके पर ही अतीक और अशरफ ने दमतोड़ दिया। घटना के बाद तेजी से माफिया की मौत की खबर शहर में फैली। पुलिस ने बॉडी कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि माफिया अतीक को आठ गोली और अशरफ को पांच गोली लगी थी।

माफिया बनना चाहते हैं तीनों
पुलिस ने सनी सिंह, अरुण मौर्या और लवलेश तिवारी को हिरासत में ले लिया। धूमनगंज इंस्पेक्टर राजेश मौर्य ने शाहगंज थाने में तीनों के खिलाफ केस दर्ज कराया। पूछताछ में पता चला कि तीनों अतीक और अशरफ को मारकर माफिया बनना चाहते हैं। तीनों के पास से विदेशी पिस्टल गिरसान, जिगाना और एक देसी पिस्टल बरामद की गई।

चित्रकूट जेल में बंद हैं तीनों
अरुण मौर्य, सनी सिंह और लवलेश तिवारी मौजूदा समय में चित्रकूट जेल में रखे गए हैं। मामले की जांच एसआईटी ने की है। जिसमें एसआईटी ने 56 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। जबकि दो हजार पेज की केस डायरी बनाई गई है।

अतीक के न जाने कितने चेहरे
माफिया अतीक बेहद रहस्यमयी स्वभाव का व्यक्ति रहा। अतीक एक ओर जहां अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बना। वहीं राजनीति में भी खासी दखल रखी। अतीक का एक वीडियो है, जिसमें वह मंच से शिक्षा के महत्व के बारे में बता रहा है। अतीक के इस भाषण को सुन लेने के बाद शायद ही कोई कह सकता है कि अतीक अपराधी भी हो सकता है। मगर अतीक के अंदर न जाने कितने चेहरे थे। ऐसा नहीं कि अतीक सिर्फ अपराधी था, वह तमाम लोगों का मददगार भी था।

अशरफ की गलती ने कर दिया बर्बाद
अतीक को जानने वाले बताते हैं कि वह अपने भाई अशरफ को बहुत चाहता था। शायद इसी चाहत का नतीजा था कि अतीक की मौत जब आई तो भाई अशरफ भी साथ था। लोगों का कहना है कि अशरफ ने राजू पाल हत्याकांड की साजिश न रची होती तो शायद ही अतीक का अंत ऐसा होता।

बर्बाद हो गया कुनबा
जब तक अतीक खुद फैसले लेता रहा उसकी बादशाहत को कोई चुनौती नहीं मिल सकी। यह अतीक का रसूख था कि एक के बाद एक सौ से ज्यादा केस दर्ज हुए मगर उसे सजा केवल उमेश पाल अपहरण कांड में हुई। गवाही के दिन ही उमेश पाल का मर्डर हुआ। इसके बाद अतीक की बर्बादी शुरू हो गई। अतीक अशरफ मारा गया। अतीक के दो बेटे अली और उमर जेल में हैं। एक बेटा असद झांसी में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। पत्नी शाइस्ता और अशरफ की पत्नी जैनब फरारी काट रही हैं। दो बेटे हटवा में अपनी रिश्तेदारी में रहने को मजबूर हैं।

Posted By: Inextlive