Allahabad : डॉक्टर बनना तो बचपन की चाहत है. बड़े पापा को एक पेशेंट का इलाज करते देखा तो मुझमें भी डॉक्टर बनने की चाहत जगी. इंटरमीडिएट तक पहुंचते-पहुंचते यह चाहत जिद बन गई. एक ऐसी जिद जिसने अपनी सिस्टर के साथ कजिन्स में भी डॉक्टर बनने जज्बा भर दिया. जिपमर जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजूकेशन एंड रिसर्च में 12वीं रैंक के साथ सेलेक्शन लेने वाली त्रिशा सिंह का कुछ ऐसा ही कहना है. त्रिशा ने आईनेक्स्ट के साथ अपनी बातें शेयर करते हुए बताया कि आज सभी भाई बहनों के साथ उनकी जिद पूरी होने को है.

सब बनेंगे डॉक्टरत्रिशा के बड़े पापा डॉ। कंचन सिंह डॉक्टर हैं। त्रिशा उन्हीं से प्रभावित हुई। उन्होंने खुद के साथ अपने ब्रदर व सिस्टर को भी डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया जिसमें वह कामयाब भी रहीं। उनकी सिस्टर तान्या सिंह व कजिन दिव्या सिंह बीएचयू से एमबीबीएस कर रही हैं तो एक कजिन उत्कर्ष सिंह नीट में 84वीं रैंक के साथ सेलेक्ट होकर अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने की तैयारी में हैं।

आगे भी सपनों के साथ ही जिउंगी

त्रिशा बताती हैं कि डॉक्टर बनने का उनका बचपन का एक सपना तो पूरा होने को है। दूसरा डॉक्टर बनने के बाद पूरा होगा। उन्होंने बताया कि उनका दूसरा सपना गरीबों का फ्री में इलाज करने का है। इस सपने को भी वह हर हाल में पूरा करेंगी। उनके पास आने वाले हर पेशेंट का वह इलाज करेंगी, इसके लिए उन्हें पेशेंट कुछ मिले या न मिले। गरीबों का इलाज करने में उनके रास्ते में पैसा कभी आड़े नहीं आएगा। त्रिशा अपनी सक्सेज का सारा श्रेय अपनी मदर संगीता सिंह को देती हैं। एनसीआर में विजिलेंस डिपार्टमेंट में काम करने वाले त्रिशा के फादर मोहन लाल भी त्रिशा की सफलता में उसकी मदर का ही मेन रोल मानते हैं। त्रिशा केमिका प्वाइंट की भी स्टूडेंट रही हैं। सुजीत सर को वह अपनी सफलता का श्रेय देती हैं।


Posted By: Inextlive