पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मारामारी, बढ़ा रही बीमारी
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शहर में कुल ऑटो-5000 कुल ई-रिक्शा- 2000 कुल सिटी बसें- 120 कुल डेली पैसेंजर्स- 50,000 करीब -आरटीओ आफिस में रजिस्टर्ड हैं करीब छह हजार टैम्पो और स्कूली वाहन -रोजाना अभियान चलाने का मिला है शासन से निर्देश ALLAHABAD: स्मार्ट सिटी की रेस में शामिल शहर की उनींदी आंखों में मेट्रो का ख्वाब भी है। लेकिन फिलहाल पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जमीनी हकीकत बेहद सख्त है। इसका अंदाजा यूं लगा सकते हैं कि बेतहाशा दौड़ते वाहनों की चिल्ल-पों और धुएं में आम शहरी का सांस लेना मुहाल हो गया है। इसके बाद साल दर साल प्राइवेट गाडि़यों का बढ़ता बोझ है, जो शहर की आबोहवा का दम घोंटता जा रहा है। कुल मिलाकर हालात बहुत पुरसुकून नहीं कहे जा सकते। गाडि़यों का बोझशहर में हर रोज करीब 50 हजार लोग मूव करते हैं। इन्हें लाने ले जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर शहर में कुल करीब 5000 ऑटो, 2000 ई-रिक्शा और 120 सिटी बसें हैं। इसके अलावा, साइकिलों, टू-व्हीलर्स और फोर व्हीलर्स की कोई गिनती ही नहीं है। इन व्हीकल्स का धुआं और इनसे उठने वाला शोर पूरे शहर का सुकून छीन रहा है।
सांस लेना हो रहा है मुश्किलहाल ही में आई एक रिपोर्ट में इलाहाबाद शहर को दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर मोस्ट पॉल्यूटेड सिटी का दर्जा दिया गया था। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की इस रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा गया है कि शहर में लगातार बढ़ रही गाडि़यों की संख्या और उनसे निकलने वाला धुआं वातावरण को जहरीला बना रहा है।
यह है हाल -शहर में ट्रैफिक का हाल यह है कि कोई भी सड़क जाम मुक्त नहीं रह गई है। -सड़क पर वाहनों का बोझ तो बढ़ा है, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सख्त अभाव है। -सिटी में सीएनजी वाहनों की संख्या भी काफी कम हैं। -ई-रिक्शा एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है, लेकिन इसमें कई पेंच फंसे हुए हैं। यह उपाय किए जाएं तो बेहतर -पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी से उबरने का सबसे अच्छा उपाय है कार पूलिंग। -अगर कॉलोनी के 3-4 लोग एक ही रूट पर ड्यूटी करते हों तो आपसी सहमति से एक ही कार से ऑफिस जा सकते हैं। -इससे ट्रांसपोर्ट की मुश्किल भी हल होगी, सड़कों पर वाहनों का बोझ कम होगा, पॉल्यूशन घटेगा और जाम भी कम लगेगा। दयनीय हो चुकी ट्रांसपोर्ट व्यवस्थाएआरटीओ आरएल चौधरी की मानें तो शासन से मिले निर्देश पर रोजाना वाहनों की जांच किए जाने को कहा गया है। स्थिति यह है कि पिछले छह महीने में कुल मिलाकर चार बार ही कार्रवाई की गई है। यही वजह है कि शहर में पॉल्यूशन और ट्रैफिक सिस्टम धीरे-धीरे ध्वस्त होता जा रहा है। अगर रोजाना कार्रवाई की जाती तो ऐसी स्थिति से आसानी से निपटा जा सकता है।
वर्जन शहर पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए वाहनों के खिलाफ जरूरी एक्शन लिए जा रहे हैं। जल्द ही स्थिति काबू में आएगी। -आरएल चौधरी, एआरटीओ