पूर्व सांसद अतीक अहमद उसके वकील खान शौलत हनीफ और दिनेश पासी को सश्रम आजीवन कारावासपूर्व विधायक अशरफ समेत सात को कोर्ट ने किया बरी सभी को दूसरा मुकदमा न होने पर रिहा करने का आदेश

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। उमेश पाल अपहरण कांड ने माफिया पूर्व सांसद अतीक अहमद के आपराधिक साम्राज्य को तगड़ी चोट पहुंचायी है। 42 साल से अपराध जगत में सक्रिय अतीक अहमद को पहली बार इस केस में सजा सुनायी गयी है। प्रयागराज की एमपी एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को अतीक अहमद, उसके वकील रहे खान शौलत हनीफ और दिनेश पासी को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इन सभी पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने इस मामले में आरोपित अतीक के भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत सात को बाइज्जत बरी कर दिया है। कोर्ट ने किसी दूसरे मुकदमे में पाबंद न होने की स्थिति में सभी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।

28 फरवरी 2006 को हुआ था उमेश पाल का अपहरण
05 जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में दर्ज हुआ था केस
05 लोगों को किया गया था नामजद, अतीक का नाम भी था शामिल
06 आरोपितों के नाम विवेचना में प्रकाश में आए
11 के खिलाफ पुलिस ने दाखिल की थी चार्जशीट
01 आरोपित अंसार बाबा की हो चुकी है मौत
54 लोगों की गवाही करायी बचाव पक्ष ने
08 लोगों की गवाही हुई वादी पक्ष की तरफ से
03 को सश्रम आजीवन कारावास, अतीक अहमद भी शामिल
07 आरोपित किये गये दोषमुक्त, अशरफ का नाम भी शामिल
400 डेट लगी मुकदमे की सुनवाई पूरी होने में

2006 में हुई थी घटना
बसपा के तत्कालीन विधायक राजू पाल की वर्ष 2005 में दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी थी। इस हत्याकांड में उमेश पाल प्रत्यक्षदर्शी गवाह थे। उनकी गवाही रोकवाने के लिए अतीक और उनके साथियों ने 28 फरवरी 2008 को उमेश को अगवा कर लिया था। आरोप था कि उमेश को तीन दिन अतीक के चकिया स्थित कार्यालय पर रखा गया और टार्चर किया जाता रहा। दबाव बनाया गया कि वह गवाही से मुकर जाएं। तीन दिन तक टॉर्चर सहन के बाद उमेश ने गवाही बदल दी थी। लेकिन, वह तभी तक खामोश रहे जब तक ही प्रदेश की सरकार नहीं बदली। 2007 में सत्ता परिवर्तन होने पर उन्होंने मुख्यमंत्री मायावती से शिकायत की। तब तक वह जिला पंचायत सदस्य बन चुके थे। उनकी चिट्ठी पर खुल्दाबाद थाने में पांच लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ। विवेचना के दौरान पुलिस ने छह और नाम जोड़े। इन सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी थी। एक आरोपित ने विवेचना की प्रक्रिया के दौरान ही दम तोड़ दिया था। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के मुताबिक वर्ष 2009 में अपहरण के इस केस में चार्ज बना था। इस प्रकरण में सुनवाई के बाद घर लौटे वादी उमेश पाल की जयंतीपुर में घर के सामने ही 24 फरवरी 2023 को गोली और बम से मारकर हत्या कर दी गयी थी। इसमें भी अतीक उसकी, पत्नी, भाई और बेटा नामजद हैं।

11.20 बजे कोर्ट परिसर पहुंचा अतीक
मंगलवार को सजा के बिंदु पर फैसला होने के चलते पूरा कचहरी परिसर छावनी में तब्दील रहा। आसपास की ऊंची इमारतों पर भी पुलिस की टीम दूरबीन के साथ मौजूद थी। नैनी सेंट्रल जेल से अतीक अहमद को लेकर पुलिस टीम सुबह 11.20 बजे कचहरी पहुंची। उसकी वैन के साथ सुरक्षा कर्मियों की एक गाड़ी और एम्बुलेंस भी गेट के अंदर दाखिल हुई। ठीक पांच मिनट बाद 11.25 बजे प्रिजन वैन में सुरक्षा के बीच आरोपित खालिद अजीम उर्फ अशरफ कोर्ट प्रिमाइस में पहुंचा। अशरफ की गाड़ी के पीछे चित्रकूट जेल से लाए गए फरहान की प्रिजन वैन दाखिल हुई। अभियुक्तों के कचहरी पहुंचने के बाद उन्हें विधि प्रक्रिया के तहत एमपीएमएलए कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट ने गवाहों के बयान व पत्रावलियों में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अतीक अहमद, खान सौलत हनीफ और दिनेश पासी को दोषी करार दिया। अतीक के भाई अशरफ सहित नौ अभियुक्तों को जुर्म साबित न होने पर दोषमुक्त करार दिया गया। लंच के बाद दोपहर दो बजे सजा के बिन्दु पर अदालत ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने अतीक अहमद, दिनेश पासी एवं खान शौलत हनीफ को सश्रम आजीवन कारावास व एक-एक लाख के अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया।

कोर्ट ने किसे किस धारा में सुनाई सजा
अतीक अहमद एवं दिनेश पासी को धारा 364ए/34 सपठित धारा 120 बी, 147, 323 /149, 341, 342, 504, 506 (2) भादवि व धारा 7 आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम में दोष सिद्ध पाया गया
दोनो को धारा 364ए/34 सपठित 120बी भारतीय दण्ड संहिता के आरोप में सश्रम आजीवन कारावास एवं रुपये 5000-5000 अर्थदण्ड। अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर दो माह का सश्रम कारावास की सजा।
धारा 147 में एक वर्ष का सश्रम कारावास व एक-एक हजार रुपये अर्थदण्ड। अर्थदण्ड की राशि अदा नहीं करने पर 15 दिन का सश्रम कारावास।
धारा 323/149 में छह माह का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपये का अर्थदण्ड। अर्थदण्ड नहीं अदा करने पर 10 दिन का सश्रम कारावास।
धारा 341 में 15 दिन का साधारण कारावास एवं लगाए गए 300-300 रुपये अर्थदण्ड नहीं अदा करने पर एक सप्ताह का कारावास।
धारा 342 में छह माह का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपये अर्थदण्ड की राशि जमा नहीं करने एक सप्ताह का कारावास।
धारा 504 में एक वर्ष का सश्रम कारावास। 500-500 रुपये अर्थदंड अदा न करने पर एक सप्ताह सश्रम कारावास।
धारा 506 (2) भारतीय दण्ड संहिता में 03 वर्ष सश्रम कारावास। एक-एक हजार रुपये अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर एक महीने का सश्रम कारावास।
धारा 7 सीएल एक्ट में 6 माह साधारण कारावास। 500-500 रुपये का अर्थदण्ड न देने पर दस दिन का साधाराण कारावास।
अभियुक्त अतीक अहमद एवं दिनेश पासी की उपरोक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

खान शौलत किसमें सजा, किसमें बरी
147, 148, 323/149, 341, 342, 504, 506 भारतीय दण्ड संहिता व धारा 7 आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम
धारा 364 ए सपठित धारा 120बी के आरोप में दोष सिद्ध। सश्रम आजीवन कारावास एवं 5000 रुपये के अर्थदण्ड। अर्थदण्ड अदा न करने पर दो महीने का सश्रम कारावास।

इस धारा में अतीक व दिनेश दोषमुक्त
धारा 148 भारतीय दण्ड संहिता
(कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त अतीक अहमद, दिनेश पासी एवं खान शौलत हनीफ का सजायाबी वारंट उपरोक्तानुसार अविलंब बनाकर कारावास भेजा जाय.)

अशरफ सहित सात आरोपित दोष मुक्त
अभियुक्तगण जावेद, फरहान, एजाज अख्तर, इसरार, आसिफ उर्फ मल्ली एवं खालिद अजीम उर्फ अशरफ व आबिद प्रधान को उन पर लाए गए आरोप धारा 364ए, 147, 148, 323/149, 341, 342, 506, 120 बी भारतीय दण्ड संहिता व धारा 7 आपराधिक विधि संशोधन अनिधिनियम से तथा अभियुक्त फरहान को धारा 25 आयुध अधिनियम के आरोप से एवं अभियुक्त खालिद अजीम उर्फ अशरफ को धारा 30 आयुध अधिनियम के आरोप से दोषमुक्त किया गया।


उमेश के परिवार को मिलेगी क्षतिपूर्ति
एमपीएमएलए कोर्ट के न्यायाधीश डॅा। दिनेश चंद्र शुक्ल ने फैसला सुनाते हुए कहाकि अभियुक्त अतीक अहमद, दिनेश पासी व खान शौलत हनीफ के द्वारा एक-एक लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में वादी मुकदमा उमेश पाल को देय होगा। न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि वादी मुकदमा की हत्या हो चुकी है। इसलिए उक्त क्षतिपूर्ति की धनराशि वादी मुकदमा यानी उमेश पाल के परिवार को देय होगी। आदेश यह भी दिया कि निर्णय यानी आदेश की एक प्रति अविलंब सजायाफ्ता अभियुक्तों को नि:शुल्क प्रदान की जाय।

उमेश पाल अपहरण कांड में एमपी एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद, दिनेश पासी एवं खान शौलत हनीफ विभिन्न धाराओं में दोषी पाया। तीनों को सश्रम आजीवन कारावास के साथ एक-एक लाख रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। अशरफ सहित सात अभियुक्तों को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी

Posted By: Inextlive