बहादुरगंज में दोना पत्तल की दुकान में लगी आग घंटों मशक्कत के बाद दमकलकर्मियों ने बुझाई आगसवा करोड़ का माल जलकर हुआ राख पिता की मौत से दोनों बेट हुए बदहवास

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बहादुरगंज में दीपावली के त्योहार पर मातम बनकर आई आग ने एक कारोबारी परिवार की पूरी खुशियां छीन लीं। त्योहार और शादी के सीजन में कारोबार के लिए परिवार ने पूरी तैयारी कर रखी थी। दुकान में ठसाठस दोना पत्तल भरा था। मगर एक झटके में पूरा परिवार बर्बादी की कगार पर पहुंच गया। देखते ही देखते सवा करोड़ का माल आग में जलकर नष्ट हो गया। अपनी आंखों के सामने सामान को जलता देख सदमे से कारोबारी की मौत हो गई। पिता की मौत और कारोबार की बर्बादी से दोनों बेटे बदहवास हो गए। आग बुझाने में फायर ब्रिगेड को पांच घंटे लग गए। आग बुझी मगर तब जब सारा सामान जलकल नष्ट हो चुका था। घटना से कारोबारी के परिवार में मातम का माहौल है। मु_ीगंज और कोतवाली पुलिस भीड़ को नियंत्रित करती रही। वहीं, फौरी जांच में पता चला है कि आग की घटना शार्ट सर्किट से हुई है।

दोना पत्तल की थी होलसेल दुकान
बहादुरगंज के रहने वाले विनोद कुमार केसरवानी (७०) दोना पत्तल के होलसेल कारोबारी थे। घर के ग्राउंड फ्लोर पर उनकी दुकान थी। जबकि ऊपर के हिस्से में विनोद अपनी पत्नी रानी दो बेटे अजय और अनूप के परिवार के साथ रहते थे। कारोबार अच्छा चल रहा था। किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। दो दिन पहले अजय की पत्नी सुनीता, अपनी बेटी सौंदर्या, शशांक और रुद्राक्ष के साथ मायके कीडगंज चली गई थी। जबकि छोटे बेटे अनूप की पत्नी प्रिया बेटी लवनिया और बेटे विराज के साथ मायके कटरा गई थीं। धनतेरस वाले दिन रात में दुकान बंद करने के बाद अजय और अनूप भी अपनी ससुराल चले गए। घर में कारोबारी विनोद और उनकी पत्नी रानी थे।

नौ बजे उठने लगा धुंआ, मच गया हल्ला
शनिवार सुबह अजय के पास फोन आया। बाहर से दोना पत्तल आने की सूचना पर अजय ने छोटे भाई अनूप को फोन किया। इसके बाद दोनों भाई अपनी अपनी ससुराल से सीधे बहादुरगंज पहुंच गए। घर के पास ही अजय ने कारोबार के लिए गोदाम बना रखा है। वहां पर दोना पत्तल उतर रहा था। दोनों भाई गोदाम पर थे। इस बीच करीब नौ बजे एक परिचित ने अजय को फोन किया कि आपके घर से धुआं निकल रहा है। अजय ने फौरन छोटे भाई अनूप को घर भेजा। गोदाम से चंद कदम पर घर है। अनूप घर के सामने पहुंचे तो ग्राउंड फ्लोर से धुआं निकल रहा था। वह कुछ समझ पाते तब तक उनकी पड़ोस की एक महिला ने फायर ब्रिगेड को सूचना दे दी। पंद्रह मिनट में फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंच गई। मगर तब तक आग की लपटें उठने लगी थीं। सड़क पर भीड़ जमा होने लगी।

पांच घंटा आग बुझाने में लगी रही फायर ब्रिगेड
दमकल की गाडिय़ां आग बुझाने मेंं लग गईं। बाहर लगा लोहे का दरवाजा गरम हो चुका था। ऐसे में सीढ़ी लगाकर दमकल कर्मी फस्र्ट फ्लोर पर चढ़े। वहां पाइप लेकर अंदर बरामदे से पानी की बौछार करने लगे। इधर दरवाजे पर लगातार पानी की बौछार की गई। दरवाजा ठंडा हुआ तो दरवाजा खोलकर फायर ब्रिगेड के जवान अंदर दाखिल होने की कोशिश करने लगे मगर अंदर इतना धुआं भरा था कि अंदर जा पाना मुश्किल हो गया। कागज के दोना पत्तल का सुलगना बंद नहीं हुआ। पांच घंटे तक लगातार पानी की बौछार की जाती रही, इसके बाद धुआं निकलना बंद हुआ। मगर तब तक दुकान से लेकर अंदर तक रखा पूरा दोना पत्तल सुलग चुका था।

लग गया 58 टैंकर पानी
आग कितनी भीषण लगी थी, उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उस पर काबू पाने में 58 टैंकर पानी खत्म हो गया। आग का विकराल रूप देखकर सीएफओ डा। आरके पांडेय ने नैनी स्थित फायर स्टेशन से भी वाहनों को मंगवाया। दस फायर की गाडिय़ों ने कई राउंड लगाए और फिर करीब साढ़े पांच घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि दस फायर की गाडिय़ों के साथ ही 28 कर्मचारियों को लगाया गया था।

उतरने को तैयार नहीं हुए विनोद
फायर ब्रिगेड ने आग बुझाना शुरू किया। इस अजय और अनूप का ध्यान अपने माता पिता पर गया। पिता विनोद और मां रानी दूसरे तल से तीसरे तल पर पहुंच गए। अंदर की ओर से आंगन से धुआं पूरे घर में भर चुका था। अजय पड़ोसी पिंटू के घर के बारजे पर पहुंच गए। उधर, अपने घर के बारजे पर विनोद और उनकी पत्नी रानी खड़ी थीं। फायर ब्रिगेड वाले भी सीढ़ी लगाकर बारजे तक पहुंच गए। अजय और फायर ब्रिगेड कर्मियों ने मशक्कत कर रानी को किसी तरह पिंटू के घर के बारजे पर उतार लिया। मगर विनोद अपने घर से निकलने को तैयार नहीं थे।

Posted By: Inextlive