पहल: स्कूलों में बुक शॉप को सीबीएसई ने किया ओके
सीबीएसई में सिर्फ एनसीईआरटी की बुक्स चलेंगी
आनलाइन बुक परचेज करने की सुविधा देनी होगी स्कूलों में कॅमर्शियल एक्टिविटीज पर लगी रोक हटाई गई prakashmani.tripathi@inext.co.in ALLAHABAD: बंदोबस्त तो ऐसा हो गया है कि अब प्राइवेट पब्लिशर्स का सीबीएसई स्कूलों से नाता टूट जाएगा। सीबीएसई ने नई गाइड लाइन जारी करके स्कूलों को कुछ सहूलियतें दी है तो कुछ स्थानों पर लाकर बांध दिया है। मसलन अब सीबीएसई के स्कूलों में ऑफिशियल बुक शॉप चलेगी। स्कूल कॅमर्शियल एक्टिविटी करा सकेंगे। इसके साथ जोड़ा गया है कि बुक शॉप्स पर एनसीईआरटी की ही बुक्स बेची जाएं और इसका आनलाइन विकल्प दिया जाय। सीबीएसई के इस आदेश से स्कूल्स ओनर्स में हड़कंप है। क्योंकि अब तक ये कमीशन के चक्कर में प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स ही अपने यहां चलाते थे। अब तक चली आ रही व्यवस्थाआम तौर पर एडमिशन के सीजन में स्कूलों में फीस और कापी-किताब को लेकर बखेड़ा होता था।
किताबें इन स्कूलों में ज्यादातर प्राइवेट पब्लिशर्स की इस्तेमाल की जाती थीं। इस पर मनमाना दाम प्रिंट होता था। ये किताबें कहीं बाहर से लेने की छूट पैरेंट्स को नहीं थी। कॉमन मार्केट में मिलने वाली 15 फीसदी की छूट भी यहां नहीं मिलती थी बदली व्यवस्था में उठाएंगे कदमसीबीएसई ने कहा है कि स्कूल कैंपस के अंदर छोटी दुकान खोलें
दुकान पर किताबों के साथ स्टेशनरी और बाकी की स्टडी सामग्री रखें इस स्टोर पर स्टूडेंट्स को बुक्स ऑन लाइन मांगने की भी सुविधा हो यहां से एनसीईआरटी की ही बुक्स बेची जाएंगी कराना होगा रजिस्ट्रेशन एनसीईआरटी की बुक्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड को मांग पत्र भेजना होगा। स्कूलों को सेशन 2018-19 के लिए एनसीईआरटी किताबों के संबंधी लिंक पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। 57 जिले आते हैं सीबीएसई इलाहाबाद रीजन के अंडर में 76 है जिले में सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या 1600 में आएगी क्लास नाइंथ की सभी बुक्स 3200 रुपए अभी पैरेंट्स खर्च करते हैं नाइंथ के स्टूडेंट के लिए 50 फीसदी तक सभी क्लास में कम हो जाएंगे किताबों के दाम सीबीएसई का यह निर्देश स्टूडेंट्स और पैरेंट्स दोनो के लिए बेहतर होगा। सबसे जरूरी है कि स्टूडेंट्स को बुक्स अवेलेबल होनी चाहिए। फिर वह स्कूल से हो या बाहर किसी दुकान से। अमिता मिश्रा एपीएस, चौफटकाएनसीईआरटी की बुक्स की क्राइसेस हमेशा रहती है। बुक्स नहीं मिलने पर स्कूल की तरफ से स्टूडेंट्स को सीनियर स्टूडेंट्स से बुक्स लेने की बात कही जाती है। मुख्य बात तो यही है कि स्टूडेंट्स को जरूरत के हिसाब से बुक्स अवेलेबल हो जाए।
सुष्मिता कानूनगो एमपीवीएम एनसीईआरटी की बुक्स में कुछ संशोधन होने चाहिए। जैसे प्राइवेट पब्लिशर्स अपनी बुक्स में डिटेलिंग करते ग्राफिक्स के जरिए लर्निग को ईजी बनाते हैं, वह कांसेप्ट यहां भी लागू किया जाना चाहिए। ऋषि देव त्रिपाठी पैरेंट सीबीएसई ने स्कूलों में एनसीईआरटी की बुक्स को भले ही अनिवार्य किया है, लेकिन स्कूलों की मनमानी चलती रही है। ये कदम सराहनीय है। इससे पैरेंट्स के साथ ही स्टूडेंट्स को भी लाभ होगा। -आरडी शुक्ला पैरेंट