आयोग के रडार पर 'सोशल' प्रचार
आयोग के radar पर social प्रचार
प्रत्याशियों को whatsapp, facebook समेत अन्य माध्यमों पर प्रचार का भी देना होगा खर्च vineet.tiwariallahabad@inext.co.in ALLAHABAD: लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग सोशल मीडिया की भूमिका को समझ चुका है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में इस माध्यम को लेकर वह कोई लापरवाही बरतने के मूड में नहीं है। इस बार राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को व्हाट्एप, ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर चुनाव संबंधी पोस्ट करने पर उसका हिसाब देना होगा। आयोग इनकी दर निर्धारण की तैयारी में लग गया है। BSNL करेगा रेट निर्धारणअभी तक टीवी, न्यूजपेपर समेत प्रिंटिंग आइटम्स पर चुनावी प्रचार करने की दरें निर्धारित थीं। यह खर्च प्रत्याशी के चुनावी खर्च में जोड़ा जाता था। पहली बार होगा कि सोशल मीडिया पर प्रचार संबंधी एसएमएस या तस्वीर पोस्ट करने पर इसका खर्च भी जोड़ दिया जाएगा। इंटरनेट पर डाटा यूज करने की दरें क्या होंगी, इसके लिए चुनाव आयोग बीएसएनएल से संपर्क में है। स्थानीय जिला प्रशासन को भी इस संबंध में आयोग ने पत्र भेजा है। प्रत्याशी भी अवेयर किए जा रहे हैं।
आम बात है दुरुपयोग और उल्लंघनचुनाव आयोग ने इस तथ्य का संज्ञान लिया है कि चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थी व उनके समर्थक सोशल मीडिया के जरिए न सिर्फ प्रचार करते हैं बल्कि इस सुविधा का दुरुपयोग कर दुर्भावनापूर्ण एवं निंदाजनक सामग्री को प्रचारित कर चुनाव आचार संहिता व कानून का उल्लंघन करते हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि सोशल मीडिया के बारे में आयोग के निर्देशों का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसएमएस व रिकार्ड वायस मैसेज का व्यय अभ्यर्थी के चुनाव खर्च में शामिल किया जाएगा। इसकी मॉनीटरिंग के लिए एमसीएमसी (मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मानीटरिंग कमेटी )) गठन किया गया है। इसके अलावा एमसीसी (मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट)) की टीम भी अपनी नजर रखेगी। बता दें कि एसएमएस के माध्यम से संचार का यह माध्यम इलेक्ट्रानिक मीडिया का ही एक भाग है।
माहौल बनाता है social mediaवर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया का रोल सामने आ चुका है और यह किसी से छिपा भी नही है। किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष या विपक्ष में जारी वीडियो, तस्वीर या मैसेज तेजी से वायरल होता है और पलक झपकते ही लाखों-करोड़ों मोबाइल यूजर्स तक पहुंच जाता है। इससे प्रत्याशी की छवि और सामाजिक सद्भाव पर भी असर पड़ता है। लोगों की मानसिकता पर भी ऐसे मैसेज गहरा प्रभाव डालते हैं। इसलिए चुनाव में सोशल मीडिया के अहम रोल और पोस्ट्स के अधाधुंध उपयोग को देखते हुए आयोग ने इनकी दरें भी निर्धारित करने का फैसला किया है।
बॉक्स तो जेल जाएंगे group admin अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी सोशल मीडिया ग्रुप पर कोई आपत्तिजनक और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने वाली पोस्ट की जाती है तो इसकी जवाबदेही सिर्फ ग्रुप एडमिन की होगी। उसे तत्काल कार्रवाई करते हुए ऐसी पोस्ट करने वाले सदस्य को रोकना होगा या उसे ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखाना होगा। ऐसा नहीं करने पर चुनाव आचार संहिता और साइबर लॉ के तहत ग्रुप एडमिन के खिलाफ मामला दर्ज होगा, जिससे उसे जेल जाना पड़ सकता है। सोशल मीडिया पर चुनावी प्रचार का खर्च भी प्रत्याशी के चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा। इसकी दरें जल्द ही निर्धारित की जाएंगी। इस संबंध में निर्वाचन आयोग से लगातार पत्र व्यवहार जारी है। साथ ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को भी जानकारी दी जाएगी। अवनीश चंद्र द्विवेदी, मुख्य कोषाधिकारी व प्रभारी निर्वाचन व्यय प्रत्याशी को सोशल मीडिया पर प्रचार सामग्री डालने से पहले एमसीएमसी कमेटी से उसे प्रमाणित कराना होगा। इस कंटेंट की जानकारी उपलब्ध कराना जरूरी होगा। जल्द ही इस संबंध में संपूर्ण गाइड लाइन जारी की जाएगी।महेंद्र कुमार राय, एडीएम इलेक्शन