Allahabad: मुंबई में जॉब करने वाले सुरेंद्र घर पहुंचे तो बुखार पीछा छोडऩे का नाम नहीं ले रहा था. रामबाग के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर ने उन्हें डेंगू जांच की एडवाइज दी. पैथोलॉजी की रिपोर्ट में उन्हें पॉजिटिव बताया गया. उन्होंने सरकारी पैथोलॉजी में जांच कराई तो रिपोर्ट निगेटिव आ गई. बाद में पता चला कि वह वायरल फीवर से ग्रस्त थे. हल्के इलाज के बाद वह फिट हो गए. यह सिर्फ उदाहरण है. हालात यह हैं कि सर्दी-जुकाम के मरीजों की भी प्राइवेट पैथोलॉजी में डेंगू की जांच धड़ल्ले से कराई जा रही है. इस अनअथराइज्ड जांच के आधार पर मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाई जा रही हैं. जानकारी होते हुए भी हेल्थ डिपार्टमेंट खामोश है.

टाइफाइड-मलेरिया तक ठीक थासर्दी-जुकाम होने पर टाइफाइड और मलेरिया की जांच तो ठीक थी। लेकिन, अब हद हो गई है। डॉक्टर मरीजों को सीधे डेंगू की जांच की एडवाइज दे रहे हैं। जिन प्राइवेट पैथोलॉजी की रिपोर्ट को आधार माना जा रहा है उन्हें हेल्थ डिपार्टमेंट अवैध मानता है। गवर्नमेंट की नजर में एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद ही डेंगू की पुष्टि तभी मानी जाएगी जब एमएलएन मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयलॉजी विभाग की रिपोर्ट इसे पुष्ट करे। इसके बाद भी शहर की पैथोलॉजी से डेली एवरेज लगभग सौ डेंगू किट जांच रिफर हो रही है। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर सैंपल को एलाइजा टेस्ट के लिए भेजना जरूरी होता है। ऐसा हो नहीं रहा है, किट जांच में पाजिटिव आने पर ही डेंगू का इलाज शुरू कर दिया जाता है. 

कहां जा रही हैं platelets

जिले में अब तक डेंगू के कुल चार पेशेंट की आईडेंटीफाई हुए हैं। मौजूदा समय में ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की डिमांड दोगुनी हो गई है। सभी ब्लड बैंकों से प्रतिदिन 150 यूनिट से अधिक प्लेटलेट्स सप्लाई हो रही है। यह परिस्थिति खुलेआम नर्सिंग होम्स और प्राइवेट पैथोलॉजी की मनमानी की ओर इशारा करती है। इसी पर रोक लगाने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट ने पिछले दिनों निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी प्राइवेट पैथोलॉजी की किट जांच में यदि मरीज का प्लेटलेट्स काउंट कम आता है तो उसका एलाइजा टेस्ट कराया जाए। इसके बाद उसे डेंगू का मरीज माना जाएगा। फिलहाल यह निर्देश बेअसर है. 

सब है पैसे का खेल

सरकारी हॉस्पिटल में डेंगू की जांच किट अवेलेबल है। यहां यह नि:शुल्क होती है। प्राइवेट पैथोलॉजी में इसका चार्ज एक हजार से 1500 रुपए तक है। इसके अलावा नर्सिंग होम्स में एक यूनिट प्लेटलेट् चढ़ाने के तीन सौ रुपए वसूले जाते हैं बेड का चार्ज अलग। एक पेशेंट को कम से कम छह यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ती हैं और इसका दाम ब्लड बैंक में 1200 रुपए के आसपास है। इसके अलावा महज डेंगू का डर दिखाकर मरीज से हजारों रुपए वसूल करना बाएं हाथ का खेल है. 

अल्लापुर में मिला डेंगू का मरीज

अल्लापुर एरिया में डेंगू का नया मामला सामने आया है। 22 साल के अमित कुमार सिंह में लक्षण पाए जाने पर सैंपल जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि की गई है। डीएमओ केपी द्विवेदी ने बताया कि यह जिले का चौथा मामला है। इसके पहले प्रतापपुर का 8 साल का धीरज, धनुपुर की 19 साल की निखत फातिमा, रसूलाबाद के 23 साल के अमित मिश्रा के डेंगू पीडि़त होने की पुष्टि हो चुकी है. 

Fact file

बॉडी में कम से कम कितना प्लेटलेट्स काउंट जरूरी है-डेढ़ से तीन लाख

प्लेटलेट्स चढ़ाए जाने की जरूरत कब होती है- 60 हजार काउंटिंग के नीचे

ब्लड बैंकों में एक यूनिट का रेट- 200 रुपए

डेंगू की किट का जांच का रेट- 1000 से 1500 रुपए

रोजाना प्लेटलेट्स की खपत- 150 यूनिट से अधिक

डेंगू के लक्षण

-अचानक तेज सिरदर्द व बुखार का होना।

-मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द होना।

-आंखों के पीछे दर्द होना।

-जी मिचलना व उल्टी होना।

-नाक व मुंह से ब्लीडिंग व स्किन पर चकत्ते उभरना।

हमारी ओपीडी में डेली ऐसे केसेज आते हैं जिन्हें नॉर्मल जांच के बाद डेंगू का मरीज बता दिया गया होता है। हम ऐसे केसेज को मेडिकल कॉलेज जांच के रिफर कर देते हैं। प्लेटलेट्स चढ़ाने का बॉडी पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। वायरल फीवर और क्रानिक डिजीज में भी प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाता है।

डॉ। ओपी त्रिपाठी,

फिजीशियन, बेली हॉस्पिटल

किट जांच के दौरान प्लेटलेट्स काउंट कम आने पर डेंगू की पुष्टि नहीं मानी जा सकती है। इसके लिए एलाइजा टेस्ट भी जरूरी है। मैंने इस बारे में प्राइवेट पैथोलॉजी को निर्देशित भी किया है. 

डॉ। पदमाकर सिंह,

सीएमओ


Posted By: Inextlive