ख्वाब मस्त हौसला पस्त
यूपीएससी, यूपीपीएससी व एसएससी परीक्षा के अभ्यर्थियों का हाल
आवेदन के बाद आधे अभ्यर्थी नहीं जुटा पाते एग्जाम देने की हिम्मत vikash.gupta@inext.co.inALLAHABAD: सबके ऊंचे ख्वाब हैं। कोई सिविल सर्विसेज में जाना चाहता है, कोई प्रादेशिक सेवा तो कोई एक अदद सरकारी नौकरी की तलाश में है। इसके लिए यूपीएससी, यूपीपीएससी व एसएससी की परीक्षाओं में आवेदन की भरमार लग जाती है। लेकिन जब परीक्षा देने का वक्त आता है तो आधे अभ्यर्थियों का हौसला पस्त हो जाता है। इसके चलते उपरोक्त तीनों आयोग की परीक्षाओं में उपस्थिति का ग्राफ पचास फीसदी के ऊपर नहीं बढ़ पा रहा है। आयोग की परीक्षाओं में लाखों की संख्या में आवेदन के बाद एन वक्त पर लगभग आधे अभ्यर्थियों द्वारा परीक्षा से किनारा कर लेने के कारण परीक्षाओं पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इससे परीक्षा कंडक्ट कराने वाले आयोग भी परेशान नजर आ रहे हैं। क्योंकि लाखों परीक्षार्थियों की परीक्षा के लिए तगड़ी मशक्कत के बाद भी आयोग की मंशा पर पानी फिर जाता है।
एग्जाम फोबिया के कारण नये नवेले प्रतियोगियों का बिना तैयारी आवेदन करना परीक्षा से पहले फेल हो जाने के डर से कॉन्फिडेंस लूज हो जाना ज्यादातर परीक्षार्थियों को पूरी परीक्षा प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती ये भी हैं मुख्य वजहेंयूपीपीएससी सही समय पर एग्जामिनेशन कैलेंडर जारी नहीं करता
इससे परीक्षार्थियों को नहीं हो पाता परीक्षा आयोजन के वक्त का अनुमान परीक्षा की तिथि एकबारगी घोषित करना, शार्ट टर्म में नोटिफिकेशन देना प्री, मेंस और इंटरव्यू के बीच सही कोआर्डिनेशन न होना परीक्षा केन्द्र दूसरे शहर में बनाना, दूसरी परीक्षाओं का आपस में टकराना उपरोक्त कारणों के विरोध में आंदोलन भी कर चुके हैं प्रतियोगी रणछोड़ बहादुर दे रहे झटका आयोग कुल परीक्षार्थियों का अनुमान लगाकर बनाते हैं परीक्षा केन्द्र परीक्षा केन्द्र बनाने, वहां की व्यवस्था करने में होता है भारी भरकम खर्च उत्तर पुस्तिका और प्रश्न पत्र छपवाने में भी होता है खर्च ऑनलाइन परीक्षाओं के आयोजन में तो और भी आती हैं मुश्किलें परीक्षा के लिये अलर्ट मोड में रहता है रेलवे और रोडवेज डिपार्टमेंट जिला प्रशासन के साथ पुलिस प्रशासन करता है कड़ी मशक्कत करेंट इयर में हुई परीक्षाओं की स्थिति यूपीपीएससी परीक्षा का नाम- कम्बाइंड लोअर सबआर्डिनेट प्री एग्जाम 2015 परीक्षा की तिथि- 17 जनवरी आवेदन करने वालों की संख्या- 4,89,984 उपस्थिति- 49.59 प्रतिशत परीक्षा का नाम- पीसीएस प्री एग्जाम 2016 परीक्षा की तिथि- 20 मार्च आवेदन करने वालों की संख्या- 4,36,213 उपस्थिति- 56.95 प्रतिशत परीक्षा का नाम- पीसीएस जे प्री एग्जाम 2016परीक्षा की तिथि- 16 अक्टूबर
आवेदन करने वालों की संख्या- 40,208 उपस्थिति- 47.01 प्रतिशत परीक्षा का नाम- समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी एग्जाम 2016 परीक्षा की तिथि- 28 नवम्बर आवेदन करने वालों की संख्या- 3,85,191 उपस्थिति- 52.77 प्रतिशत ---------- एसएससी सेंट्रल रीजन की परीक्षा परीक्षा का नाम- एसआई इन सीएपीएफएस, एएसआई इन सीआईएसएफ एंड दिल्ली पुलिस एग्जाम 2016 परीक्षा की तिथि- 20 मार्च आवेदन करने वालों की संख्या- 1,72,834 उपस्थिति- 50.96 प्रतिशत परीक्षा का नाम- स्टेनोग्राफर ग्रेड सी एंड डी एग्जाम 2016 परीक्षा की तिथि- 31 जुलाई आवेदन करने वालों की संख्या- 1,47,325 उपस्थिति- 48.29 प्रतिशत --------- इलाहाबाद में यूपीएससी परीक्षायें परीक्षा का नाम- एनडीए एंड एनए एग्जाम 2016 परीक्षा की तिथि- 17 अप्रैल आवेदन करने वालों की संख्या- 39,772 उपस्थिति- 55.58 प्रतिशत परीक्षा का नाम- सिविल सर्विसेस प्री एग्जाम 2016 परीक्षा की तिथि- सात अगस्त आवेदन करने वालों की संख्या- 39,563 उपस्थिति- 47.15 प्रतिशत परीक्षा का नाम- कम्बाइंड डिफेंस सर्विसेस एग्जाम परीक्षा की तिथि- 23 अक्टूबर आवेदन करने वालों की संख्या- 9891 उपस्थिति- 48.79 प्रतिशत परीक्षार्थियों के परीक्षा छोड़ने के अलग अलग कारण होते हैं। उनके व्यक्तिगत कारण भी शामिल होते हैं। जहां तक आयोग का प्रश्न है। आयोग की पूरी कोशिश होती है कि उन्हें सभी सहूलियत दी जाये।प्रभुनाथ, परीक्षा नियंत्रक, उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन
परीक्षा कैलेंडर का सही समय पर निर्धारण न होना इसका प्रमुख कारण है। एक दूसरे आयोगों की परीक्षा आपस में एक ही दिन पड़ जाने से भी परीक्षार्थी परीक्षा छोड़ते हैं। यह बात भी सही है कि नये प्रतियोगी इसलिये परीक्षा छोड़ते हैं कि उनकी तैयारी नहीं होती और वे फार्म डाल देते हैं। अशोक पांडेय, वरिष्ठ प्रतियोगी छात्र परीक्षा में अधिकाधिक तादाद में परीक्षार्थी शामिल हों। इसके लिये जरुरी है कि आयोग सबकुछ पहले से सुनिश्चित करें। परीक्षा और परिणाम के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करना होगा। परीक्षार्थियों के लिए भी जरुरी है कि वे तब फार्म भरें, जब उन्हें पूरा कांफिडेंस हो। इससे दूसरे लोगों का नुकसान होता है। अशोक सिंह, प्रतियोगी परीक्षाओं के विशेषज्ञ