इंटर कॉलेजों में भी कराह रहा है फुटबाल
फीस लेने के बावजूद कॉलेजों में ट्रेनिंग नहीं, दम तोड़ रही हैं प्रतिभाएं
अफसरों व एसोसिएशन के जिम्मेदारों द्वारा की जा रही उपेक्षा है बड़ी वजह ALLAHABAD: फीस लिए जाने के बावजूद यूपी बोर्ड के इंटर कॉलेजों में फुटबाल के खेल का दम घुट रहा है। यही स्थिति इन कॉलेजों में करीब सभी खेलों की है। कॉलेजों में गेम टीचर होने के बावजूद विद्यार्थियों को उनकी रुचि के अनुरूप प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है। शायद यही वजह है कि इन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र व छात्राएं में अपना कॅरियर नहीं बना पा रहे हैं। फिर जाती कहां है फीस2014 में यूपी बोर्ड के इंटर कॉलेजों में फुटबाल सहित अन्य खेलों के विकास को लेकर शुरुआत की गई थी। कई कॉलेजों ने फुटबॉल, तीरंदाजी, क्रिकेट जैसे खेलों की ट्रेनिंग शुरू भी हो गई थी। उस वक्त डिस्ट्रिक्ट एथलेटिक्स स्कूल एसोसिएशन के सेक्रेटरी अजय यादव थे। शैक्षणिक सत्र समाप्त होने के बाद एसोसिएशन स्वत: भंग हो गया। अगले वर्ष डीआईओएस द्वारा नए एसोसिएशन का गठन किया गया। इसमें कई नए लोग शामिल किए गए। दबी जुबान कुछ शिक्षकों का कहना है कि उसके बाद से आज तक कुछ को छोड़ दिया जाय तो किसी भी इंटर कॉलेज में विद्यार्थियों को खेल के प्रशिक्षण नहीं दिए जाते। हां, शहर में कुछ कॉलेजों के ग्राउंड पर एकेडमी के कोच खेल की ट्रेनिंग देते हैं। रुचि लेने वाले कॉलेज के छात्र व छात्राएं भी इसी एकेडमी में खेल का प्रशिक्षण लेते हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की है। चाहकर भी वह खेल में कॅरियर नहीं चुन पाते।
बॉक्स डीएएसए के मुख्य कार्य -कॉलेजों में ग्राउंड के हिसाब से खेल को बढ़ावा देना -कॉलेजों में खेल के प्रति विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देना -प्रतियोगिताएं आयोजित कराना व प्लेयर को आगे बढ़ाना -कॉलेज व खिलाडि़यों की समस्याओं को निस्तारित कराना -कॉलेजों में खेल के विकास के लिए प्रस्ताव तैयार करना -कॉलेज के अच्छे खिलाडि़यों को मंडल इसके आगे ले जाना -गेम टीचरों द्वारा दिए जा रहे खेल के प्रशिक्षण पर नजर रखना बॉक्स मेधा के दम तोड़ने की वजह -गेम के टीचर को क्लास का हेड बनाया जाना -गेम टीचर से पूरे समय तक क्लास अटेंड कराना -ख्रेल प्रशिक्षण देने के लिए उन्हें समय न मिलना -कॉलेजों में गेम की सामग्रियों का अभाव होना -कॉलेज द्वारा ग्राउंड को मेन्टेन न किया जाना -विभाग द्वारा खेल विकास में रुचि न लिया जाना -एक टीचर पर कई खेलों के प्रशिक्षण का लोड होना 05रुपए हर महीने लगती है यूपी बोर्ड के कॉलेजों में कक्षा 9 से इंटर तक के विद्यार्थियों की खेल फीस
60 रुपए साल भर की एकमुश्त खेल फीस कक्षा 9 से इंटर तक के विद्यार्थियों से जमा कराते हैं कॉलेज 10 रुपए प्रति छात्र वार्षिक की दर से डिस्ट्रिक्ट एथलेटिक्स स्कूल एसोसिएशन को देते हैं सभी कॉलेज 13 सदस्यीय डिस्ट्रिक्ट एथलेटिक्स स्कूल एसोसिएशन का गठन करते हैं जिला विद्यालय निरीक्षक