आग लग गई तो बच पाना मुश्किल
प्रयागराज (ब्यूरो)। मेला क्षेत्र में आग की घटनाओं ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। फायर ब्रिगेड की तरफ से आग से निबटने की व्यवस्था की गई है, मगर सारी व्यवस्था टेंटों और शिविरों के चलते धराशायी हो जा रही है। आग लगने की तीन घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में फायर ब्रिगेड पर निर्भर रहने के बजाए जरुरी है कि मेलार्थी खुद भी आग से बचाव का ध्यान रखें। वरना आग लगने पर बच पाना मुश्किल है। इसके लिए जरुरी है कि आग की घटना से बचने के लिए खुद भी लापरवाही न की जाए।
घटना एक: किन्नर अखाड़ा के शिविरों में आग लग गई। घटना आधी रात को हुई। अचानक आग लगने से शिविर में सोए लोगों में भगदड़ मच गई। आग से किन्नर महामंडलेश्वर के भाई सत्यवीर, भाभी रमेश और ढोलक मास्टर बेचन राम झुलस गए थे। एसआरएन में उपचार के दौरान ढोलक मास्टर बेचन राम की मौत हो गई थी। बेचन रात करेली के रहने वाले थे और वह किन्नरों की टोली में ढोलक बजाने का काम करते थे। जबकि एसआरएन से सत्यवीर और रमेश को दिल्ली रेफर कर दिया गया था। दोनों दिल्ली के रहने वाले हैं।
घटना दो: बीते सोमवार की दोपहर मठ मछली बंदर मठ शिविर में आग गई। शिविर पुल नंबर चार के पास है। दोपहर में कलश यात्रा की तैयारी चल रही थी। तभी अचानक आग लगी। आग से तीन छोटे और एक बड़ा शिविर जल गया। उसमें रखा सामान नष्ट हो गया। घटना में दो बुजुर्ग चंद्र सेवक आश्रम और नारायण आश्रम सामान बचाने के चक्कर में झुलस गए।
घटना तीन. मेला में पुल नंबर पांच के पास एक शिविर में आग लगने की घटना हुई थी। समय रहते आग को काबू में कर लिया गया। मगर शिविर और उसमें रखा सामान जलकर नष्ट हो गया। मेला में आ चुके हैं महानिदेशकमेला में फायर ब्रिगेड के महानिदेशक अविनाश चंद्र आ चुके हैं। महानिदेशक ने सख्त निर्देश दिया था कि मेला क्षेत्र में आग लगने की घटनाएं बिल्कुल न होने पाएं। इसके लिए मेलार्थियों को जागरुक भी किया जाए। मगर इसके बाद भी आग लगने की घटनाएं हो रही हैं।
ऐसे करें आग से बचाव
- गैस या चूल्हा शिविर के अंदर इस्तेमाल करते समय नजर रखें।
- रात में अंगीठी या तपता शिविर में न रखें।
- बिजली के तारों को दुरुस्त रखें।
- शिविर में हीटर का इस्तेमाल न करें।
- शिविर में हमेशा पानी से भरकर बाल्टी रखें।
- आग लगने पर पहले खुद को बचाएं।
सुभाष चौधरी, सीएफओ मेला