Allahabad : क्या करते. इतना आसान और कोई धंधा समझ में नहीं आया. दूसरा धंधा समझ में आता भी कैसे. पहले से इस धंधे के बारे में पता था कि कितना आसान है पैसा कमाना. सिर्फ दो घंटे मेहनत की और कमा लिए 1200 रुपए. बिजनेस का फायदा दिखा तो मौत का सामान बनाने की फैक्ट्री ही लगा ली. लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और ये पुलिस के हत्थे चढ़ गए. पुलिस ने चमंचा की फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुए दो आरोपियों को अरेस्ट कर लिया.


जमानत पर छूटकर आया तोएसपी क्राइम अरुण पाण्डेय ने बताया कि पुलिस को पता चला कि तमंचे के के एक पुराने सप्लायर ने जेल से जमानत पर छूटने के बाद तमंचा बनाने की फैक्ट्री लगा ली है। वह तमंचा बनाकर डिस्ट्रिक्ट में सप्लाई कर रहा है। पुलिस उसकी तलाश में जुट गई। पुलिस ने खीरी एरिया में दबिश देकर जगदीश उर्फ भोंदू विश्वकर्मा और सुरेश विश्वकर्मा को अरेस्ट किया। दोनों कौंधियारा एरिया के रहने वाले हैं। पकड़ा गया जगदीश शहर में तमंचा सप्लायर के नाम से जाना जाता है। पुलिस ने पहले जार्जटाउन, कौंधियारा और नैनी थाने से जेल भेजा था। सिर्फ दो घंटे की मेहनत
जगदीश ने बताया कि वह पिछले चार साल से इस धंधे से जुड़ा है। वह काम छोड़ चुका था, लेकिन उमा केवट व राम सागर उर्फ झल्लर ने मिलकर उसे दोबारा इस धंधे में शामिल होने के लिए कहा। उन्होंने ही तमंचा बनाने का सारा सामान एवेलेबल कराया। स्टेयरिंग की राड से ही तमंचा की नाल बनाते थे। बाहर से स्प्रिंग मंगाते थे। दो घंटे की मेहनत के बाद एक तमंचा आसानी से बना देते थे। फिर उमा और झल्लर उस तमंचे के बदले 1200 रुपए देते थे। जबकि वे खुद दूसरों को एक तमंचा तीन-चार हजार रुपए में बेचते थे। इस मामले में पकड़े गए सुरेश ने बताया कि वह दो दिन पहले ही इस धंधे से जुड़ा था.  इसके पहले वह कभी जेल नहीं गया। पैसे की लालच में फंस गया और पकड़ लिया गया। पुलिस ने इनके पास से चार तमंचा, कारतूस और तमंचा बनाने की पूरी फैक्ट्री पकड़ी है। पुलिस का दावा है कि दोनों अब तक 50 से ज्यादा तमंचा बनाकर सेल कर चुके हैं। Arrested  -जगदीश -सुरेश वांटेड-उमा केवट-राम सागर उर्फ झल्लरRecovery -चार तमंचा -एक अद्धी -तीन खोखा कारतूस-नाल, बॉडी, भट्ठी, लोहे की गाटर, हथौड़ी, पेचकस आदि

Posted By: Inextlive