-इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आयोजित सेमिनार में बोले एक्सपर्ट

PRAYAGRAJ: न्यूरोपैथी ऐसी समस्या है जिसमें हमारी नसें सुचारू रूप से कार्य नहीं करती हैं। इस वजह से या तो हमारे शरीर का कुछ हिस्सा सुन्न होने लगता है या अत्यधिक दर्द होने लगता है। यह बात नाजरेथ हॉस्पिटल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ। आरपी शुक्ला ने कहीं। वह रविवार को इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यह दर्द सामान्य दवाओं से ठीक नही होता है। एएमए कन्वेंशन हॉल में आयोजित इस सेमिनार की अध्यक्षता डॉ। आरकेएस चौहान ने की।

महामारी की तरह फैली है डायबिटीज

डॉ। शुक्ला ने बताया न्यूरोपैथी के प्रमुख कारणों में एक डायबिटीज है। जो हमारे देश में महामारी की तरह फैल रही है। इसकी पहचान लक्षणों से हो सकती है। जांच कराकर इसकी पुष्टि की जा सकती है। लक्षण तो बहुत देर से आते हैं और एक बार स्थापित हो जाए तो इन्हे समाप्त करना कठिन होता है। यदि इसकी पहचान जल्दी हो जाए तो इसके ठीक से नियंत्रित करना आसान है। सामान्यत: डायबिटीज दस या इससे अधिक वर्ष का हो तो इसके लक्षण आते हैं। लेकिन फ्रांस में एक नई तकनीक विकसित की है जिससे इसको शुरुआती दौर में पकड़ा जा सकता है। इस तकनीक को सूडोस्कॉन कहते हैं।

बिना इंजेक्शन

डा। शुक्ला ने बताया कि नाजरेथ में यह तकनीक उपलब्ध है। इस तकनीक में बिना किसी इंजेक्शन या इनवेजन के केवल तीन मिनट में न्यूरोपैथी को स्क्रीन किया जा सकता है। दिल्ली से आई एमिल की निदेशिक डॉ। मलिका कपूर ने बताया कि सूडोस्कॉन अन्य बीमारियों से उत्पन्न न्यूरोपैथी की पहचान में भी कारगर है। जैसे पार्किंन्सन, कार्डियक आटोनामी न्यूरोपैथी, कैंसर के इलाज में प्रयोग होने वाली कीमोथेरेपी के कारण जो न्यूरोपैथी होती है उसमें भी सूडोस्कॉन उपयोगी है। सेमिनार में डॉ अशोक अग्रवाल, डॉ। राधा घोष, डॉ। आशा जायसवाल, डॉ। वीके गुप्ता, डॉ। स्वतंत्र सिंह आदि उपस्थित रहे। सेमिनार का संचालन डॉ। राजेश मौर्या और वैज्ञानिक सचिव डॉ। आशुतोष गुप्ता ने किया।

Posted By: Inextlive