जान ले रहा इश्क वाला लव
-ढाई महीने के अंदर आधा दर्जन से अधिक लोगों ने प्रेम में दे दी जान
ढाई माह में हुई घटनाएं 22 जुलाई फाफामऊ कर्जन ब्रिज से हाथ बांधकर साथ कूदे थे युगल। दारागंज में दूसरे दिन मिला था शव। 05 अगस्त नवाबगंज के सीतापुर टिकरा गांव में एक शख्स ने वाइफ को मार डाला। वह उसकी भाभी के साथ अफेयर के आड़े आ रही थी। 24 अगस्त उतरांव में हाईवे किनारे खेत में युवती और सोरांव में इसी हाईवे किनारे युवक का मिला था शव। पोस्टमार्टम में दोनों की हत्या हुई थी पुष्टि। 30 अगस्त घूरपुर, इरादतगंज में मिले महिला के शव की पहचान पति ओंकार सोनकर ने सरिता यादव उर्फ बीना के रूप में की थी। बीना के प्रेमी ने हत्याकर शव फेंका था। 06 सितंबरबम्हरौली स्टेशन के पास ट्रैक पर गर्भवती का शव मिला था। धूमनगंज पुलिस ने कौशाम्बी से प्रेमी को पकड़ा था। प्रेगनेंट होने के बाद शादी का दबाव बनाया तो मार डाला।
20 सितंबर मेजा के परवा मदरामकूनपुर में सतीश उर्फ छोटू ने फांसी लगा ली। पुलिस के मुताबिक उसका सम्बंध बिरादरी की एक युवती से था। रात में झगड़े के बाद सुसाइड किया।PRAYAGRAJ: प्यार जानलेवा होने लगा है। प्रयागराज में पिछले ढाई महीने में आधा दर्जन से अधिक लोगों ने मोहब्बत में जान दे दी। सबके हालात जुदा थे, सबकी वजहें जुदा थीं। कहीं सामाजिक बंदिशें थीं कहीं आर्थिक तंगी ने प्रेमी युगलों के रास्ते में रोड़ा अटकाया। कहीं एज फैक्टर प्रेमियों के इमोशंस पर भारी पड़ गया। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने इस लव फैक्टर को समझने के लिए बात की एक सीनियर सोशियोलॉजिस्ट से। बातचीत में जो वजहें सामने आई वह निश्चित तौर पर शॉकिंग हैं। साथ ही सोसायटी और फैमिली के लिए आई ओपनर भी हैं
प्यार की राह में मुश्किलें हजार समाजशास्त्री डॉ। हेमलता श्रीवास्तव ने लव के डिफरेंट फेजेज और उसमें आने वाली सिचुएशंस की बात की। उनके मुताबिक प्यार दो तरह का होता है 1. बंदिशों वाला लव -पहले वे लोग जो नौकरी कर स्वयं शादी कर लिए। दूसरे वे लोग होते हैं जो नौकरी करते हुए भी सामाजिक व पारिवारिक बंदिश में शादी नहीं कर पाते। -जो सोशल और फैमिली कंडीशंस के चलते शादी नहीं कर पाते, लेकिन खुद को संभाल लेते हैं। जो नहीं संभल पाते वे सुसाइड या घर छोड़कर भागने जैसे कदम उठा लेते हैं।-ऐसे लोगों के साथ ज्यादातर जाति, धर्म और पारिवारिक रजामंदी की बंदिशें ज्यादा रोड़ा बनती हैं और वे इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते। जब रास्ते नहीं दिखाई देते तो जानलेवा कदम उठा लेते हैं।
------------ 2. कच्ची उम्र का नासमझ प्यार -दूसरा, इसे लव नहीं अट्रैक्शन कह सकते हैं। आज के दौर में 10 से 17 वर्ष के आयु वर्ग में प्यार का यह रंग देखने और सुनने में आ रहा है। -इस सिचुएशन में टीनएज कपल्स का दिमाग सही दिशा में काम नहीं करता। उन्हें लगता है कि सिर्फ वही सही हैं। -जब मामला खुलता है, फैमिली मेंबर्स स्टेबिलिटी की बात करते हैं तो उन्हें लगता है कि प्रोटेस्ट हो रहा है। ऐसे में सुसाइड जैसे केसेज सामने आते हैं। 3. ऐसी स्थिति में होती हैं हत्याएं -इस सिचुएशन में सुसाइड की वजह खासकर लड़की ही होती है। जब लड़के मजबूरी बयां करते हैं वे कानून का दुरुपयोग करते हुए उन्हें फंसा देती हैं। -ऐसे में लड़का यह सोचकर सुसाइड कर लेता है कि लोग क्या कहेंगे, परिवार की इज्जत का क्या होगा। -चार साल, छह साल साथ रहने के बाद रेप जैसे केस दर्ज कराया जाना इसके उदाहरण हैं। ------------- फैमिली और सोसायटी बने हेल्पफुल -समाज और परिवार ऐसे मामलों में किसी पर ऐसा कमेंट न करे जिससे कपल हर्ट हों।-पता चलने पर उन्हें यह अहसास न होनें दें कि फैलिमी प्रोटेस्ट कर रही है। प्यार से समझाएं।
-ऐसी स्थिति में बराबर नजर रखें कि वह कहां और कब आ जा रहा है। -कच्ची उम्र के प्रेमी युगल को आगे जिम्मेदारियों के बारे में पता नहीं होता -वह पीछे नहीं तत्काल की सोचते हैं और सबकुछ अपने हिसाब से चाहते हैं। ऐसा नहीं होता तो सुसाइड जैसे कदम उठा लेते हैं दरअसल लव में सुसाइड के कई कारण हैं। लव मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं, प्रौढ़ावस्था व कच्ची उम्र में। प्रौढ़ावस्था के लव में सुसाइड केसेज कम होते हैं। कच्ची उम्र वाले लवर के साथ यह दिक्कत है। समाज व परिवार दोनों सूझबूझ से काम ले तो हालात में सुधार हो सकते हैं। -डॉ। हेमलता श्रीवास्तव, समाज शास्त्री