मजबूत हौसला रखने वालों ने प्रॉपर केयरिंग के बूते घर पर रहते हुए दी कोरोना को मात

प्रयागराज-कोरोना की दूसरी लहर में कई मरीजों को अस्पतालों में सुविधा नहीं मिली। जगह और इलाज की तलाश में भटकते इन मरीजों ने घरों पर ही इलाज शुरू कर दिया। आंकड़े भी बताते हैं कि अस्पतालों से ज्यादा मरीज घरों में रहकर ठीक हुए हैं। वह भी तब जब साधारण लोगों के लिए बनाए गए होम आइसोलेशन में गंभीर मरीजों को रखा गया। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में उन्होंने स्वीकार किया कि हौसले, इच्छाशक्ति और बेहतर इलाज के जरिए वह कोरोना को हरा सके।

खुद पर रखा भरोसा और दे दी मात

- जौनपुर के रहने वाले मनोज यादव को 25 दिन पहले कोरोना के लक्षण आए थे। जांच में उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। ऐसे में उनकी पत्नी प्रिया बताती हैं कि तीन दिन में उनका आक्सीजन लेवल घटकर 80 पहुंच गया। जौनपुर के ही सदर अस्पताल में पति को भर्ती कराने के बाद उनकी हालत और खराब हो गई और आक्सीजन लेवल घटकर 40 आ गया। ऐसे में प्रिया अपने पति को लेकर प्रयागराज आ गई और यहां पर झूंसी के आयुर्वेदाचार्य डॉ संजय त्रिपाठी से इलाज शुरू कराया। बताती हैं कि उनके पति को आयुर्वेद की दवाओं का जबरदस्त असर हुआ। साथ में कुछ एलोपैथी दवाएं भी दी गई। चार दिन बाद आक्सीजन लेवल नार्मल हो गया। 40 दिन में मनोज पूरी तरह से स्वस्थ हो गए। उन्हें चार दिन तक घर पर ही आक्सीजन भी देनी पड़ी लेकिन नाउम्मीद हो चुके इन लोगों की इच्छशक्ति ने उन्हें नया जीवन दिया।

दवा ली और खुद का ख्याल रखा

- नैनी के बीपीसीएल के सामने रहने वाली और पेशे से डा सविता विश्वकर्मा बताती हैं कि 4 मई को उनकी रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। इसके बाद पांच दिन तक उन्हे तेज बुखार था। वह लगातार नैनी के ही होमियोपैथी डा डीके मिश्रा के संपर्क में थी। बताती हैं कि तेज बुखार के साथ उनकी सांस फूलने लगी तो उन्हें चिंता होने लगी। लेकिन डॉक्टर ने बताया कि आप रिलैक्स रहिए। चिंता करने से आक्सीजन लेवल घट सकता है। होमियोपैथी में एस्पीडोस्पर्मा के साथ आर्सेनिक एलबम, लाबेलिया डॉक्टर ने दी। इसके अलावा एलोपैथ में पैरासिटामाल दी गई। बताया कि सांस फूलने पर प्रोन पोजीशन पर आ जाती थी और इससे सांस फूलना बंद हो जाती थी। अगले छह से सात दिन में काफी राहत महसूस हुई तो योग शुरू कर दिया। 12 को पुन: जांच कराई तो रिपोर्ट निगेटिव आ गई।

पति और पत्नी दोनों हुए स्वस्थ

हेमवती नंदन बहुगुणा इंटर कॉलेज के कार्यालय अधीक्षक महावीर और उनकी पत्नी ने भी घर पर रहकर कोरोना को मात दी। दोनों का आक्सीजन लेवल 80 के नीचे चला गया था। महावीर शर्मा बताते हैं कि 23 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट पजिटिव आई थी। लेागों ने अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी लेकिन उन्होंने हार नही मानी। पति और पत्नी दोनेां घर पर ही रहे। कमरे में आइसोलेट रहे और एक दूसरे का ख्याल रखा। टाइम पर दवाएं लेने के साथ आक्सीजन लेवल को मेंटेन रखने के लिए बताए गए योगा का पालन किाय। आक्सीजन लेवल बढ़ाने वाली होमियापैथी और एलोपैथी दवाओं का सेवन भी किया। देखते ही देखते आक्सीजन लेवल 95 से अधिक हो गया और अब दोनों नार्मल जीवन बिता रहे हैं।

63 हजार घर पर हुए ठीक

जिले में कोरोना से ठीक होने वालों में 63847 ने होम आइसोलेशन में रहकर विजय प्राप्त की है। इनमें हजारों मरीज इतने सीरियस थे कि उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत थी। लेकिन इन्होंने घर पर रहकर ही कोरोना का बहादुरी से सामना किया। आज यह सभी ठीक हैं ओर दूसरों को धैर्य रखकर इलाज कराने की सलाह दे रहे हैं।

प्रयागराज में जितने मरीज अस्पतालों में ठीक हुए हैं उससे अधिक होम आइसोलेशन में ठीक हुए हैं। अगर मरीज का अनादर न करें और उनकी टोटल मानीटरिंग की जाए तो वह घर पर संक्रमण से बाहर आ सकते हैं। आयुर्वेद में बहुत सी दवाएं हैं जो कोरोना के इलाज में कारगर हैं।

डॉ संजय त्रिपाठी, डायरेक्टर, सरयू अस्पताल झूंसी

जिन मरीजों का आक्सीजन लेवल 80 के नीचे था उनको घर पर रहने की सलाह देना वाकई तनाव भरा था लेकिन मरीजों ने खुद पर भी विश्वास रखा। उन्होंने सलाह का अक्षरश: पालन किया और अपनी इच्छाशक्ति बनाए रखी। इसी का असर रहा कि कोरोना की दूसरी लहर में कई गंभीर मरीज घर पर ठीक हो गए।

डॉ डीके मिश्रा, होमियोपैथिक पिफजीायिन

Posted By: Inextlive