Allahabad : माघे निमन्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्तिअर्थात माघ मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाला मनुष्य पाप मुक्त होकर स्वर्ग को जाता है. पद्म पुराण के उत्तराखंड में भी माघ मास के महत्व को बताते हुए कहा गया है कि व्रत दान और तपस्या से भी भगवान हरि को उतनी प्रसन्ना नहीं होती जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है...


एक मंच पर नहीं पहुंच पाती हैं उनकी बातेंप्रयाग नगरी में जीवनदायिनी मां गंगा के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है। गंगा सेवा अभियानम की ओर से ट्यूजडे को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मीडिया को बताया कि माघ मेले में आए सभी संतों का पर्व संदेश इस बार लिपिबद्ध किया जा रहा है। संग्रहीत संदेशों का गं्रथ 'माघ पर्व संदेशÓ तैयार कर इसका पूर्णिमा के दिन विमोचन कर इसे सबके लिए एवेलेबल करा दिया जाएगा।
स्वामी जी ने कहा कि माघ मेले में दूर दूर से संत और महात्मा आते हैं। लेकिन उनकी बातें एक मंच पर नहीं पहुंच पाती हैं। इस बार वे कोशिश कर रहे हैं कि हर संत और महात्मा से उनके आश्रम व कुटिया में जाकर संपर्क करें और उनके संदेश को लेकर लिपिबद्ध किया जाए। ताकि यहां पर आने वाली पब्लिक व श्रद्धालुओं को माघ का संदेश तो पता चले। इसके लिए सभी के पर्व संदेश को लेकर लिपिबद्ध किया जाएगा और कुछ दिन में ही उसे पूरा करके पूर्णिमा के दिन पुस्तक का विमोचन होगा। इसमें धर्म ही नहीं समाज और संस्कृति से जुड़े संदेश भी शामिल किए जाएंगे।नजर आई उम्मीद की किरण


उन्होंने कहा कि हम 2008 से गंगा की अविरल और निर्मल धारा की मांग को लेकर सरकार से लड़ाई लड़ रहे हैं। कई जगहों पर हमें कामयाबी भी मिली है लेकिन असली कामयाबी तभी मिलेगी जब गंगा की अविरल धारा को विकास के नाम पर कहीं ब्रेक न किया जाए। हमें एक उम्मीद की किरण नजर आई है। सात आईआईटी की एक टीम गंगा बेसिन ट्रीटमेंट प्लान के लिए बनाई गई थी जिसमें कहा गया था कि 20 साल लग जाएंगे उसे लागू करने में। लेकिन अभी पता चला है कि उस प्रोजेक्ट से जुड़े साइंटिस्ट ने प्लान को तैयार कर लिया है।

Posted By: Inextlive