मसालों पर महंगाई ने मार दी रसोई की वो महक
-हल्दी, धनिया, इलायची आदि मसालों के दामों में आई जबरदस्त उछाल
-मौसम के बाद जमाखोरों ने बिगाड़ा किचन का बजट ALLAHABAD: दाल, तेल, सब्जी के बाद मसालों के दामों में आई तेजी ने खाने का स्वाद फीका कर दिया है। महज एक साल के अंतर में मसालों के दामों ने डेढ़ से दोगुने का अंतर आ गया है। इससे पब्लिक भी हैरान है, लेकिन जमाखोरों के चेहरे खिले हुए हैं। शासन और प्रशासन इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रहा है। नतीजा साफ है कि पब्लिक को नून, तेल, लकड़ी का जुगाड़ करने के बाद भी स्वादिष्ट खाना नसीब नहीं हो रहा है। इतनी महंगाई तो मार ही देगीपिछले एक साल में जिस तरह से मसालों के दाम बढ़े हैं उससे लोगों के किचन का बजट बुरी तरह गड़बड़ा गया है। हालात यह हैं कि दामों में तेजी से डेढ़ से दोगुने तक आई है। कारण चाहे जो भी हो, लेकिन इससे पब्लिक त्राहिमाम कर उठी है। जीरा, काली मिर्च, बड़ी इलायची से लेकर दाल चीनी तक हर एक के दाम आसमान छू रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि महंगे होते मसालों की वजह से इनकी डिमांड भी कम हुई है। आइए जानते हैं कि पिछले एक साल में मसालों में कैसे आई तेजी
मसाला पिछले साल का दाम वर्तमान कीमत (रुपएए/किलो में)
जीरा 120 200 कालीमिर्च 680 960 बड़ी इलायची 1850 2400 दाल चीनी 400 800 लौंग 780 1080 छोटी इलायची 1080 1280 जावित्री 1250 1400खड़ी हल्दी 70 120
धनिया 120 180 खड़ी मिर्च 80 120 मेथी 60 110 पिसी हल्दी 100 160 पिसी मिर्च 100 160 बॉक्स कम हो गई खपत कहां से आए खुशबू केस नंबर-एकसिविल लाइंस की रहने वाली नमिता के किचन में बनने वाली सब्जी की महक के पड़ोसी कभी कायल हुआ करते थे, लेकिन अब वह बात नहीं रही। उन्होंने बताया कि मसालों के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। इसलिए अब इनका उपयोग काफी संभालकर करना पड़ता है। जाहिर है इससे स्वाद और महक में फर्क आएगा ही।
केस नंबर-दो प्रदीप गुप्ता सिविल लाइंस के एक होटल में शेफ हैं। वह कहते हैं कि मसालों में बढ़ती महंगाई की वजह से होटलों के खाने की क्वालिटी में फर्क पड़ना लाजिमी है। डिशेज के दामों में बढ़ोत्तरी करने से पहले काफी सोचना पड़ता है। ऐसे में मैनेज करने के लिए मटेरियल में कटौती जरूरी है। केस नंबर-तीन सरकारी स्कूल में टीचर मेघना कहती हैं कि पहले खुले मसालों को तैयार कर सब्जी में यूज किया जाता था। मेहनत और समय की बचत के लिए कंपनी के पैक्ड मसालों का यूज करने लगे। मगर, अब इनके दाम भी बढ़ गए हैं। समझ में नहीं आता कि किचन कैसे मैनेज किया जाए। मौसम की मार पर जमाखोरी का जख्मइलाहाबाद में मसालों का आयात साउथ इंडिया से किया जाता है। थोक व्यापारियों के मुताबिक, इस बार मौसम खराब होने से मसालों की फसलें खराब हो गई, जिससे महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, छोटे दुकानदार बताते हैं कि जमाखोरों की वजह से मसालों के दामों में इतनी तेजी आई है। अगर सरकारें और प्रशासन ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ाई करे तो देखते ही देखते दाम नीचे आ सकते हैं। जमाखोर और सट्टेबाजों की मिलीभगत से पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है।
पैक्ड मसालों में भी आई तेजी खुले मसालों की तरह विभिन्न कंपनियों के पैक्ड मसालों में भी जबरदस्त तेजी बनी हुई है। पिछले एक साल में धनिया, हल्दी, मिर्च सहित गरम मसाले के पचास और सौ ग्राम के पैकेट्स में ख्0 फीसदी तक दाम बढ़ गए हैं। हालांकि, दुकानदारों का कहना है कि रेडीमेड मसाले होने की वजह से इनकी बिक्री ठीक-ठाक है, लेकिन, स्वाद के शौकीन खुले मसाले पसंद करते हैं। ख्भ् फीसदी कम हुई खपत महंगाई के चलते लोगों ने अपने स्वाद से समझौता करना शुरू कर दिया है। दुकानदारों के मुताबिक, पिछले एक साल में ख्भ् फीसदी खपत कम हुई है। अगर यही हालात रहे तो दामों में कमी आ सकती है। खपत अधिक कम हुई तो जमाखोरों को भी झटका लग सकता है। इसके अलावा मसालों में लगातार मिलावट के मामले सामने आने के बाद भी लोगों ने एहतियात बरतनी शुरू कर दी है। वर्जन दक्षित भारत में फसल खराब हो जाने के बाद महंगाई आना लाजिमी था। यही कारण है कि इस साल मसालों के दाम आसमान में पहुंच गए हैं। खुले ही नहीं, पैक्ड मसालों में काफी तेजी आई है। रत्नेश केसरवानी, दुकानदार, कटरा कुछ मसालों के दाम बढ़े हैं तो कहीं कम भी हुए हैं। मसालों की खपत भी कम हुई है। उम्मीद है कि ऐसे ही दाम बढ़ते रहे तो खपत और नीचे चली जाएगी। जिसके बाद दाम अपने आप कम हो जाएंगे। इसके साथ ही साउथ में फसल के अगले साल बेहतर होने का इंतजार है। राजू, थोक मसाला व्यापारी, चौक