साइबर सेल की रिपोर्ट लगने के बाद दर्ज होता है केस रिपोर्ट लगने में भी लग जाता है समयसाइबर फ्रॉड के शिकार को करनी पड़ती है दौड़ भाग

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। साइबर फ्रॉड हो जाने के बाद केस दर्ज करा पाने में पीडि़त का पसीना छूट जाता है। पुलिस महकमे में साइबर केस दर्ज कराने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि तमाम पीडि़त तो अपने साथ हुए फ्रॉड को भूल जाने में ही भलाई समझते हैं। अजीत का ही मामला देखिए। अजीत पटेल साइबर फ्रॉड के शिकार हो गए। अजीत के मोबाइल पर आई एक कॉल ने उन्हें एक लाख पंद्रह हजार का झटका दे दिया। जब इतनी बड़ी रकम एकाउंट से कट जाने का मैसेज आया तो अजीत का दिमाग सन्न रहा गया। इतनी बड़ी रकम गंवाने के बाद अजीत अब केस दर्ज करवाने के लिए परेशान हैं। साइबर सेल में एप्लीकेशन दे दिया है, मगर अभी तक केस दर्ज नहीं हो सका है। केस दर्ज हो, विवेचना शुरू हो इसके बाद ही रुपये वापस मिल पाने की गुंजाइश बनेगी। इसमें कितना समय लगेगा ये तो फिर भगवान ही जानें। ऐसे न जाने कितने अजीत है जो अपने साथ हुए साइबर फ्रॉड में न्याय पाने की उम्मीद लगाए साइबर सेल से थाने का चक्कर काट रहे हैं।

पहले फ्रॉड बाद में केस के लिए भागदौड़
फाफामऊ थाना क्षेत्र के गोहरी के रहने वाले हैं अजीत पटेल। अजीत के पास 20 दिसंबर को एक फोन आया। कॉलर ने खुद को आईसीआईसीआई बैंक का कस्टमर केयर अधिकारी बताया। कस्टमर केयर अधिकारी ने अजीत का क्रेडिट कार्ड अपडेट करने की बात कही। चूंकि अजीत के पास आईसीआईसीआई बैंक का क्रेडिट कार्ड है तो उन्होंने कस्टमर केयर अधिकारी की बात पर भरोसा कर लिया। अधिकारी ने अजीत के व्हाट्स एप पर एक लिंक भेजा। अजीत ने जैसे ही लिंक को टच किया, उनके पास दो मैसेज आया। एक मैसेज में एक लाख पांच हजार नवासी रुपया कटने का संदेश था जो कि आईसीआईसीआई बैंक एकाउंट का था। दूसरा मैसेज एसबीआई बैंक एकाउंट का था। जिसमें से दस हजार रुपये कटने का संदेश था। अजीत थोड़ा जागरुक हैं। सो पहले दिन अजीत ने दोनों बैंक एकाउंट को बंद कराया। इसके बाद दूसरे दिन 21 दिसंबर को सीधे साइबर सेल पहुंचे। वहां एप्लीकेशन दी। मगर घटना के पांच दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक अजीत का केस दर्ज नहीं हो सका है।

साइबर सेल में मिलता है दिशा निर्देश
जिले के सभी थानों में साइबर सेल खोल दिया गया है।
मगर ये साइबर सेल केवल दिशा निर्देश देने के लिए हैं।
जब थाने के साइबर सेल में कोई पीडि़त पहुंचता है तो उसे हेल्प लाइन नंबर 1930 पर फोन करके शिकायत दर्ज कराने और वेबसाइट साबरक्राइम डॉट गर्वनमेंट डॉट इन पर शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा जाता है।
इसके बाद पीडि़त को पुलिस लाइन स्थित साइबर सेल भेज दिया जाता है।
साइबर सेल में पीडि़त से एप्लीकेशन लिया जाता है। इसके बाद उसकी जांच पड़ताल होती है।
जांच के बाद साइबर सेल रिपोर्ट बनाकर पीडि़त के संबंधित थाने में भेजता है।
इसके बाद थाने में केस दर्ज होता है। केस की विवेचना शूुरू होती है इसके बाद पीडि़त को राहत की उम्मीद होती है।

मुकदमा दर्ज होने के इंतजार में पीडि़त
धूमनगंज के रहने वाले शिवभूषण सिंह एक सरकारी हॉस्पिटल में फार्मासिस्ट हैं। शिवभूषण के एकाउंट से 99998 रुपया निकल गया। घटना 16 दिसंबर की है। अभी तक शिवभूषण के मामले में केस दर्ज नहीं हो सका है।
न्यू बैरहना के रहने वाले सुशील पाल स्टूडेंट हैं। सुशील से उसके एक फेसबुक फ्रेंड विनय पटेल ने मदद मांगी। सुशील ने पांच हजार रुपये गूगल पे से दे दिया। इसके बाद विनय ने दस हजार रुपये फिर से मांगा। इस पर सुशील को शक हुआ। सुशील ने मोबाइल में सेव विनय के नंबर पर बात कि तो पता चला कि विनय ने सुशील से रुपये की मदद मांगी ही नहीं। अब सुशील ने साइबर सेल में एप्लीकेशन दिया है। घटना 22 दिसंबर की है। अभी तक जांच चल रही है।
कैण्ट नेवादा के रहने वाले सनी केसरवानी के बैंक एकाउंट से साढ़े चार हजार रुपये कट गए। वो भी बगैर सनी की जानकारी के। सनी ने साइबर सेल में एप्लीकेशन दिया है, जांच चल रही है। केस दर्ज नहीं हुआ है।

Posted By: Inextlive