फर्जी आईडी पर बनाया जाता है ग्रुप लालच देकर करते हैं ठगीआखिर कौन है कौन है इस नए क्राइम मॉड्यूल का मास्टरमाइंडनामी कंपनियों में काम दिलाने के नाम पर होती है ठगी

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। घर बैठे कमाई कराने का लालच देकर ठगी करने वाले ग्रुप का मास्टमाइंड कौन है इस सवाल का हल पेंचीदा होता जा रहा है। आए दिन ऐसी घटनाओं में इजाफा होता जा रहा है, मगर साइबर पुलिस किसी नतीजे पर पहुंच नहीं पा रही है। असल दिक्कत ये कि सारा खेल टेलीग्राम ग्रुप पर होता है। समझ तब आती है जब कमाई के लालच में पूंजी चली जाती है। इसके बाद केस दर्ज कराकर इंतजार के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है। ये सब इतनी सफाई से होता है कि साइबर पुलिस भी कुछ ज्यादा करने की स्थिति में नहीं रहती है। क्योंकि मास्टरमाइंड ठगी का जाल फर्जी आईडी पर बिछाता है।

ऐसे होता है खेल
अचानक मोबाइल पर घर बैठे कमाई कराने के लिए कॉल आती है। कॉल करने वाला कॉलर खुद को किसी नामी कंपनी का रिप्रजेंटेटिव या कस्टमर केयर अधिकारी बताता है। इसके बाद वह घर बैठे मोटी कमाई कैसे की जा सकती है, इसकी जानकारी देता है। कॉलर बताता है कि इंस्टाग्राम, फेसबुक और टेलीग्राम पर वीडियो, फोटो लाइक शेयर करके घर बैठे कमाई की जा सकती है। कॉलर की बातों के झांसे में आए शख्स को यह कत्तई अनुमान नहीं होता है कि उसके साथ खेल शुरू हो गया है।

वीडियो, फोटो पर मिलती है रकम
कॉलर कमाई करने की लालच में आए शख्स को इंस्टग्राम, टेलीग्राम और फेसबुक का लिंक भेजा है। इसके बाद जब इन पर अपलोड फोटो या वीडियो शेयर किया जाता है तो बदले में काम करने वाले शख्स को शुरुआत में दो सौ से लेकर एक हजार रुपये तक की रकम भेजी जाती है। अर्निंग शुरू होने के बाद कॉलर पर विश्वास हो जाता है।

जोड़ दिया जाता है टेलीग्राम ग्रुप से
जब कॉलर काम करने वाले शख्स को अपने भरोसे में ले लेता है तो फिर उसे टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ दिया जाता है। ट्रेलीग्राम ग्रुप में कॉलर के गु्रप के तमाम लोग जुड़े रहते हैं। ठगी का शिकार होने वाले शख्स को कत्तई अंदाजा नहीं हो पाता है कि ग्रुप में जुड़े लोग कॉलर के ग्रुप के मेंबर हैं। ग्रुप मेंबर बताते रहते हैं कि उन्हें दस हजार रुपये मिला तो कोई बताता है कि उसे बीस हजार रुपये मिला। रुपयों के लिए उसने पांच हजार रुपये भेजा, जिस पर उसे दोगुना रकम मिली।

डिमांड की जाती है रुपयों की
कुछ रकम भेजने के बाद कॉलर काम करने वाले शख्स को बताता है कि अब उसे दस हजार मिलने वाला है। इस पर काम करने वाले शख्स को जोकि टेलीग्राम गु्रप से जुड़ा होता है उसे पहले ही भरोसा हो चुका होता है। इसके बाद शुरू होता है असली खेल। कॉलर काम करने वाले शख्स को पांच या दस हजार देने के बदले रकम की डिमांड करता है। फिर बताता है कि जितनी रकम उसे भेजी जाएगी, बदले में दो गुना रकम दी जाएगी।


नामी कंपनियों के नाम पर हेराफेरी
साइबर सेल के मुताबिक यह खेल नामी कंपनियों के नाम पर होता है। जैसे ट्रिवागो कंपनी का नाम ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है। यह कंपनी ऑन लाइन होटल बुकिंग का काम करती है। काम करने वाला शख्स जब वेबसाइट पर ट्रिवागो को सर्च करता है तो उसे कंपनी मिल जाती है। जिससे उसका विश्वास कॉलर पर जम जाता है। ट्रिवागो के अलावा ओला, ओलेक्स जैसी तमाम नामी कंपनियों को नाम लेकर ठगी का जाल बिछाया जाता है।

खेल पकड़ पाना मुश्किल
साइबर सेल के मुताबिक इस खेल को पकड़ पाना बहुत मुश्किल होता है। चूंकि सारी कवायद टेलीग्राम ग्रुप पर की जाती है। जिसे फर्जी आईडी से तैयार किया जाता है। ऐसे में फर्जी आईडी को ट्रेस कर पाना मुश्किल हो जाता है।

घर बैठे कमाई का लालच देने वाले बहुत शातिर होते हैं। इनका सारा काम फर्जी आईडी पर होता है। ऐसे में खेल करने वाले मास्टमाइंड को पकड़ पाना मुश्किल काम होता है। ठगे जाने से अच्छा है कि कमाई के फेर में लालच का शिकार न हुआ जाए।
राजीव तिवारी, इंस्पेक्टर साइबर थाना

Posted By: Inextlive