Dont fear, vaccine is hear
क्या है मामलाजानकारी के मुताबिक फ्लू का इन्फ्लूएंजा वायरस हर साल अपना नेचर चेंज कर देता है। जिसकी वजह से हजारों लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। ये लोग वायरल इंफेक्शन सहित स्वाइन फ्लू से भी इंफेक्टेड होते हैं। यही रीजन है कि लगभग हर साल वैक्सीन को मार्केट में नए फॉर्मूले के साथ लांच करना पड़ता है। इस बार भी यही हुआ। वैक्सीन अवेलेबल नहीं होने से हर एज ग्रुप के लोग वायरल इंफेक्शन से परेशान हो गए। कैसे तैयार होती है वैक्सीन
वल्र्ड में कुल 12 ऐसी लैब हैं जहां हर साल वायरस के नेचर की जांच की होती है। इनमें से दो इंडिया में हैं। इनकी रिपोर्ट डब्ल्यूएचओ को भेजी जाती है। सभी रिपोर्ट को टैली करने के बाद डब्ल्यूएचओ वैक्सीन के फॉर्मूले को रिकमंड करता है। डॉक्टरों की मानें तो इस साल भी वायरस का नेचर चेंज होने की वजह से बहुत से लोग वायरल इंफेक्शन की चपेट में आ गए। इनके लिए नहीं है
इन्फ्लूएंजा वैक्सीन प्रेगनेंट लेडीज और पुअर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए नहीं है। बाकी यह प्रत्येक एजग्रुप के लोगों को दी जा सकती है। इसके लगाए जाने के बाद इन्फ्लूएंजा ए, बी व स्वाइन फ्लू से बचाव किया जा सकता है। एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान टीबी एंड चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। आशीष टंडन ने बताया कि वायरल इंफेक्शन अस्थमा, सीओपीडी और डायबिटीज के पेशेंट के लिए घातक साबित हो सकता है। इसलिए उन्हें इसे जरूर फॉलो करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सांस की बीमारी के पेशेंट्स के लिए ब्रीथफ्री सर्विस शुरू की गई है। इसके तहत ब्रीथफ्री वेहिकल 11 नवंबर के बाद एक मंथ तक ईस्टर्न यूपी के कई शहरों में घूमकर लोगों को अवेयर करेगी। मंडे को इसे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।