पैंतीस परसेंट पर बोई जा रही लोकतंत्र की पौध
छात्रसंघ चुनाव में पिछले कई साल से 50 फीसदी से भी कम हो रहा मतदान
आधे से अधिक स्टूडेंट्स मतदान के दिन को छुट्टी के रूप में करते हैं एंजॉय vikash.gupta@inext.co.in ALLAHABAD: इन दिनो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और इससे जुड़े कॉलेजेस में छात्रसंघ चुनाव का उन्माद उफान पर है। इविवि और कॉलेजेस में प्रत्याशी नामांकन दाखिल कर चुके हैं। उनका पूरा जोर मतदाता छात्र-छात्राओं को लुभाने पर है। इसके लिये सड़क से लेकर हास्टल और डेलीगेसी तक कैम्पेनिंग की जा रही है। सभी का जोर अधिकाधिक संख्या में मतदाताओं को अपने पाले में खींचने का है। 2012 के बाद छठवां इलेक्शनपिछले कुछ चुनावों में छात्रसंघ चुनाव का हाल देखें तो लोकतंत्र की पाठशाला कहे जाने वाले छात्रसंघ की बुनियाद ही अनदेखी का शिकार हो रही है। चुनाव में मतदान का प्रतिशत कम होता जा रहा है। हाल ये है कि कुल मतदाताओं के आधे भी मतदान के दिन भागीदारी नहीं करते। इससे हर बार नौजवानों के नुमाइंदे 35 से 40 फीसदी मतदाताओं द्वारा चुनकर राजनीति की नर्सरी में कदम रखते हैं। इविवि में लम्बे समय तक रोक के बाद छात्रसंघ वर्ष 2012 में बहाल हुआ। तब से अब ये छठवां इलेक्शन होने जा रहा है।
इविवि छात्रसंघ चुनाव 2016 का विवरण 20,570 मतदाताओं की कुल संख्या14,600
छात्रों की संख्या
5970 छात्राओं की संख्या 40 मतदान प्रतिशत 2016 में जीते प्रत्याशियों को प्राप्त मतों की संख्या अध्यक्ष- रोहित मिश्रा, 3397 मत उपाध्यक्ष- आदिल हमजा, 1860 महामंत्री- शिव बालक यादव, 2853 संयुक्त सचिव- अभिषेक पांडेय, 2191 सांस्कृतिक सचिव- मनीष कुमार सैनी, 1864 छात्रसंघ चुनाव 2015 का विवरण 20,555 मतदाताओं की कुल संख्या 14,046 छात्रों की संख्या 6509 छात्राओं की संख्या 35.7 मतदान प्रतिशत 2015 चुनाव में जीते प्रत्याशियों को प्राप्त मतों की संख्या अध्यक्ष- ऋचा सिंह, 2253 उपाध्यक्ष- विक्रांत सिंह, 1194 महामंत्री- सिद्धार्थ सिंह गोलू, 2636 संयुक्त सचिव- श्रवम कुमार जायसवाल, 1777 सांस्कृतिक मंत्री- जितेन्द्र शुक्ला कवि विशाल, 2378 इविवि में छात्रसंघ चुनाव 2017 का विवरण 19,987 मतदाताओं की कुल संख्या 13,988 छात्रों की संख्या 5999 छात्राओं की संख्या 14 अक्टूबर को होना है मतदान इसका मुख्य कारण है स्टूडेंट्स का चुनाव में रूची न लेना। शोरगुल, कक्षायें बाधित करने के साथ ये लोग केवल वादे करते हैं। जीतने के बाद केवल अपना राजनीतिक भविष्य देखते हैं। धीरज सिंहहर बार आधे से कम छात्र ही विवि के पूरे छात्रों का भविष्य तय कर रहे हैं। जो छात्र पढ़ने वाला होता है। वह कभी इसमें रूची नहीं दिखाता। क्योंकि उसे पता होता है कि ये केवल अपनी राजनीतिक रोटी सेकते हैं।
हर्षिता मौर्या पूर्व के छात्रसंघों ने काम नहीं किया। छात्रों को लगता है कि ये भी वही करेंगे, इसलिए चुनाव के दिन छुट्टी एंजॉय करते हैं। ऐसे में कम जनमत से चुनाव जीतने वाले केवल आन्दोलन ही आन्दोलन करते रहते हैं। शुभ्रा खरे प्रतिशत कम होने का कारण स्टूडेंट्स ही हैं। यदि मतदान प्रतिशत बढ़ जाए तो हो सकता है कि कोई सही छात्र चुनकर सामने आए जो आगे चलकर छात्र और यूनिवर्सिटी के हित में फैसले ले। सभी को इसके लिए आगे आना होगा। हुस्ना खातून नेताओं का रूझान सिर्फ जीतने तक होता है। विवि प्रशासन भी वोटिंग बढ़ाने के लिये कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाता, जिससे स्टूडेंट्स प्रेरित हो सकें। धनबल, बाहुबल के कारण भी पढ़ने वाले स्टूडेंट्स उदासीन हो जाते हैं। दीपक चौधरी मजबूत लोकतंत्र में मतदान का महत्व बहुत अधिक है। युवाओं को सोचना होगा कि वे जिन्हें चुनते हैं। भविष्य में इनमें से कई राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय पटल पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में एक मजबूत और बेहतर छात्रसंघ चुनना छात्र-छात्राओं की जिम्मेदारी है। प्रो। आरके सिंह, चुनाव अधिकारी, इविवि