-सिर्फ दलाल पकड़कर पुलिस बैठ जाती है खामोश

-देर रात खून देने के मामले को पुलिस ने लिया हल्के में

BAREILLY: शहर में खून का गोरखधंधा पुराना है लेकिन पुलिस इस धंधे के सौदागरों को पकड़ने का प्रयास ही नहीं करती है। जब भी कोई मामला पकड़ में आता है तो सिर्फ दलाल ही पकड़े जाते हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल हो या फिर आईएमए ब्लड बैंक या फिर कहीं और सभी जगह इस तरह के मामले पकड़ में आते हैं। सैटरडे रात एक बार फिर खून की सौदेबाजी का मामला पकड़ा गया लेकिन पुलिस ने इसे भी हल्के में लिया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। अब देखना होगा कि क्या एक बार फिर सिर्फ जांच के नाम पर खानापूर्ति होगी या फिर रैकेट का पुलिस पता लगाएगी।

6 हजार रुपए ले लिए थे

बता दें कि हसनपुर, मूसाझाग बदायूं निवासी सबदर शाह का 10 वर्षीय बेटा मुजाहिद मलेरिया से ग्रस्त है। उन्होंने बेटे को 5 अक्टूबर को पीलीभीत रोड स्थित अलमदीना अलमदास हॉस्पिटल में एडमिट कराया था। बेटे की हालत गंभीर होने पर डॉक्टर ने खून चढ़ाने की बात कही। 6 अक्टूबर को उन्हें जगतपुर निवासी आरिफ और मोहम्मद हसन को पकड़ लिया। इन दोनों ने एक बोतल खून के लिए 7 हजार रुपए की मांग की। जिसके तहत वह रात में आईएमए ब्लड बैंक पहुंचे। यहां पर बेटे शाहिद ने इन दोनों को 6 हजार रुपए दे दिए लेकिन दोनों ने खून देने से इनकार कर दिया।

सवालों में उलझा दलाल

जब भोजीपुरा निवासी साबिर आईएमए ब्लड बैंक में अपने साथी फैसल के साथ खून देने पहुंचा तो वहां उससे पूछताछ की गई। डॉक्टर ने साबिर से बच्चे के परिजनों से रिश्ते के बारे में पूछा गया तो उसने मौसी का रिश्ता बताया, जो उसने गलत बता दिया। यही नहीं सबदर ने उसे बरेली में ही काम करना बताया था लेकिन उसने भोजीपुरा का पता लिखवा दिया था। डॉक्टर के सवालों से साबिर को पकड़े जाने का डर हुआ तो वह तुरंत मौके से भागने लगा लेकिन परिजनों ने दौड़ाकर पकड़ लिया।

पुलिस के सामने समझौता

जब खून का खेल पकड़ा गया तो चौकी चौराहा चौकी से पुलिस ब्लड बैंक पहुंची और वहां से दो लोगों को पकड़कर चौकी में लाया गया। यहीं पर पुलिस ने ढिलाई बरतनी शुरू कर दी। जिन लोगों को मौके से पकड़ा गया, उन्होंने ढाई हजार रुपए भी वापस कर दिए। यही नहीं पीडि़त को भी मना लिया, ताकि मामला रफा दफा हो जाए, लेकिन जब मामला मीडिया के जरिए सीनियर्स के पास पहुंचा तो फिर पुलिस ने रात में ही सबदर से तहरीर लिखाकर एफआईआर दर्ज की।

28 अप्रैल को पकड़ा दलाल

बरेली में खून के दलाल पहले भी पकड़े गए हैं, लेकिन कभी दलालों के मास्टरमाइंड नहीं पकड़े गए। 28 अप्रैल को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ब्लड बैंक में ही खून बेचते हुए नेकपुर सुभाषनगर निवासी रिक्शा चालक विजय को पकड़ा गया था। उसे 3500 रुपए मिलने थे लेकिन उम्र न बता पाने पर उसे पकड़ लिया गया था। उसने पुराना शहर निवासी दलाल रवि और राशिद के जरिए खून के खेल के बारे में खुलासा किया था लेकिन पुलिस ने सिर्फ उसी तक जांच सीि1मत रखी।

राशिद को आज तक नहीं पकड़ा

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पकड़े गए दलाल विजय ने खून के खेल में रवि और राशिद का नाम लिया था। रवि तो वर्ष 2013 में क्राइम ब्रांच के द्वारा पकड़कर जेल जा चुका है लेकिन राशिद आज तक नहीं पकड़ा गया है। वह 5 दिसंबर 2014 को नॉवल्टी चौक से ही पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था लेकिन पुलिस ने उसे तलाशने की जहमत नहीं उठायी।

आईएमए के बाहर पहले भ्ाी पकड़े

करीब डेढ़ वर्ष पहले आईएमए ब्लड बैंक के बाहर भी खून का सौदा करने वाला संजीव पकड़ा गया था। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर उसे जेल भेजा था लेकिन इस धंधे में शामिल अन्य लोगों को नहीं पकड़ा था। पुलिस चाहती थी तो इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर सकती थी।

गंदा खून भी पकड़ा गया

जनवरी 2017 में भोजीपुरा स्थित मेडिकल कॉलेज में ब्लड चढ़ाते वक्त गंदा खून चढ़ाने का मामला पकड़ा गया था। फरीदपुर की एक महिला को बीसलपुर रोड स्थित हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। यहां से उसे मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया था। ब्लड चढ़ाते वक्त जब रैपर चेक किया गया था तो नकली पाया गया था। उसके बाद ड्रग डिपार्टमेंट ने कई हॉस्पिटल की ब्लड बैंक को नोटिस भी जारी किया था।

Posted By: Inextlive