Bareilly : पिछले तीन महीनों में घटे यह केसेज उस फेहरिस्त के चंद तस्वीर है जो सिटी में आ चुके बदलाव की कहानी बयां करते हैं. हाई प्रोफाइल सेलीब्रिटी सुनंदा पुष्कर थरुर की मौत के पीछे जो कयास लगाए जा रहे हैं उन वजहों ने बरेली में बहुत पहले ही दस्तक दे दी है. रिश्तों की मजबूती अब पतंग की डोर सरीखी हो गई है जो प्रॉŽलम के एक झटके में जिंदगी के साथ खत्म हो रही है. लोगों में असंवेदनशीलता बढ़ गई कपल्स के बीच कमिटमेंट को कम स्पेस मिलने लगा है. रिश्ते फायदे देखकर बनाए और निभाए जाने लगे और टीनएजर्स ही नहीं एजुकेटेड मैच्योर भी प्रॉŽलम को फेस करने की जगह हारकर सुसाइड में सुकुन तलाशने लगे.


Case 1एकता नगर की पारुल (नेम चेंज्ड) ने घरवालों के विरोध के बावजूद 2011 में विजय पाल से लव मैरिज की। शादी के 6 महीने में ससुराल वालों के साथ ही पति का भी पारुल के लिए बिहेव चेंज होने लगा। पति को एक लड़की के कॉल आने लगे, इस पर विवाद हुआ। बात झगड़े तक पहुंची। पारुल एक साल बाद ही ससुराल छोड़ मायके आ गई। कॉउंसलर से मीटिंग के बाद भी विजय पारुल को लेने नहीं गया। तीन महीने पहले उसने पेस्टीसाइड पीकर जान देने की कोशिश की।Case 2


इज्जतनगर में रहने वाली बीकॉम की स्टूडेंट्स ने कैंट के भरतौल में रहने वाले एक लड़के से प्यार किया। तीन साल से ज्यादा समय तक उनका रिलेशन चला। लड़के ने प्यार निभाने और शादी करने का वादा भी किया। फिर अचानक उसका बिहेवियर चेंज हुआ और जन्मों तक साथ निभाने का वादा चंद सेकेंड्स में तोड़ दिया। लड़की रोई, रिश्ते की दुहाई दी लेकिन लड़के पर असर नहीं। आखिरकार लड़की ने 30 नवंबर को लड़के के घर के सामने जहर खाकर जान दे दी।Case 3

दिसंबर, 2013 में सिटी के एक फेमस इंस्टीट्यूट्स में पढऩे वाला बीटेक स्टूडेंट्स कैंपस लव में नाकाम रहा। गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप होने पर डिप्रेशन में आकर उसकी स्टडीज बुरी तरह बर्बाद हुई। अकेलेपन में उसने हॉस्टल की रूम की दीवारों पर अपनी गर्लफ्रेंड और पेरेंट्स के नाम लेटर लिखा। जिसमें गर्लफ्रेंड को अपनी आखिरी फीलिंग्स बताने के साथ ही पेरेंट्स से माफी भी मांगी। पेरेंट्स को सॉरी कहने के बाद उसने पंखे से लटककर सुसाइड कर लिया।Case 4सैटरडे को सूरजभान डिग्री कॉलेज की बीएससी सेकेंड ईयर की एक स्टूडेंट्स ने अपने प्रेमी के घर जाकर जहर खाकर जान देने की कोशिश की। लड़की ने तीन दिन पहले भी नस काटकर जान देने का प्रयास किया था। बताया जा रहा है कि दोनों ने दीपावली में शादी भी कर ली है। 6-7 दिन पहले दोनों के बीच कुछ विवाद हो गया था। सोनिका ने अपने भाई को बताया था कि लड़का उससे बात नहीं कर रहा है। इसी वजह से शायद उसने अपनी जान देने की कोशिश की।इंडिविजुएलिटी हावी, ऑपच्र्युनिस्ट हुए लोग

लोगों में आ रहे ऐसे बदलावों पर सिटी के सोशियोलॉजिस्ट एक्सपर्ट ने फैमिली स्ट्रक्चर और वैल्यूज में गिरावट को वजह बताया। एक्सपर्ट ने बताया कि लोगों में अब इंडिविजुएलिटी का पहलू हावी हो रहा है। खुद को प्रिफरेंस देने और अपनी खुशी के बारे में पहले सोचने की टेंडेंसी लोगों में बढ़ गई हैं। वहीं वह पहले से ज्यादा अवसरवादी हुए हैं। एक पार्टनर, एक हसबैंड या एक वाइफ का कॉन्सेप्ट खत्म सा हो रहा है। एक से ज्यादा रिलेशंस बनाने या लोगों से जुडऩे के लिए वह पहले से ज्यादा ओपन और बेफ्रिक हुए हैं। जिन्होंने रिश्तों की गहराई खत्म कर उन्हें काम चलाऊ बना दिया है।  सेंस ऑफ सिक्योरिटी की कमी यंग कपल्स के साथ ही मैरिटल लाइफ में रहे कई लोगों में अपने रिलेशन के लिए सेंस ऑफ इनसिक्येारिटी घर कर रही है। अपने फिजिकल, इमोशनल, फाइनेंशियल या सोशल फायदे के लिए रिश्ते बनाने वालों में यह फीलिंग्स ज्यादा है। साइकोलॉजिस्ट का मानना है कि मेल ही नहीं बल्कि फीमेल्स में भी हर लेवल पर फायदा देखकर रिश्ते बनाने की टेडेंसी बढ़ी है। ऐसे में जब वे अपने पार्टनर की ओर से सेम बिहेव देखते हैं तो उनमें खुद को भी छोड़े जाने का डर हावी रहता है। जो डिसऑनेस्टी में गलत डिसीजन लेने पर मजबूर कर देता है।कम हुई रिश्तों की गहराई
बदलते दौर में लाइफ और रिलेशन भी फास्टफूड की तरह हो गए हैं। सबकुछ तुरंत पाने की चाहत बढ़ गई है। एक्सपर्ट ने कहा कि लोगों में चीजों को उसकी फेस वैल्यू से लेने की फितरत बढ़ी है। ऐसी चीजें और लोगों का साथ लांग टाइम तक नहीं चलते तो मूव ऑन की भी टेंडेंसी भी बढ़ी हैं। जहां फिर से एक नए साथी की तलाश शुरू हो जाती है। ऐसे में प्यार और शादी के रिश्तों में वह गर्माहट और गहराई खत्म सी होने लगी है। लोगों में फैमिली, पार्टनर व बच्चों के लिए सैक्रिफाइस, कमिटमेंट व रिस्पांसिबिलिटी की जिम्मेदारी भी खत्म सी हो जाती है। मटैरियलस्टिक चीजों का उन पर अफैक्ट ज्यादा होता है।  सोशल नेटवर्किंग भी बन रही दरारजिस सोशल नेटवर्किंग ने लोगों को तेजी से एक दूसरे के नजदीक लाने का काम किया है। उसी ने रिश्तों में, लोगों में और उनके भरोसे को तोडऩे का भी काम किया है। एक्सपट्र्स ने सोशल नेटवर्किंग को तभी तक बेहतर बताया जब तक उसमें हयूमन टच बना रहे। एक्सपर्ट मानते हैं कि अब लोगों के पास अपने पार्टनर के लिए समय नहीं, लेकिन रात भर चैटिंग पर सोशल नेटवर्किंग फ्रेंडस से बात करने का समय है। इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग ने लोगों को दुनिया भर से जुडऩे का मौका और आजादी, लेकिन पड़ोस में क्या हुआ उन्हें खबर नहीं। इसने दूरियों को कम किया पर साथ ही पास के लोगों से दूरियां भी बढ़ा दी।
'रिश्तों के लेकर लोगों की सोच में बदलाव आ गया है। शादी बेहद सेंसेटिव रिश्ता है ,लेकिन सेपरेशन और डिवोर्स अब आम हैं। वर्जिनिटी, प्रीमैरिटल, एक्स्ट्रामैरिटल, डेटिंग ट्रेंड और वन नाइट स्टैंड कोई इश्यू नहीं। मॉरल वैल्यूज की बात अब आदर्शवादी व पिछड़ापन करार दी जाती हैं.'- डॉ। नवनीत कौर आहूजा, सोशियोलॉजिस्ट'लोगों की सोशल थिकिंग में बदलाव आया है। अब परिवार-रिश्तों का टूटना और मूवऑन कर जाना नॉर्मल है। एक से रिलेशन टूटा तो दूसरे से जुडऩे को तुरंत तैयार हैं। कपल्स में एडजस्टमेंट व टॉलरेंस बिल्कुल नहीं, पेरेंट्स और बच्चों में पहले जैसा लगाव नहीं है। वहीं फैमिली वैल्यूज कम होने से संवेदनशीलता भी कम हुई है.' - डॉ। साधना मिश्रा, साइकोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive